फ़िल्मिस्तान स्टूडियो
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विवरण | 'फ़िल्मिस्तान स्टूडियो' हिन्दी सिनेमा जगत के सबसे पुराने स्टूडियोज़ में से एक है। |
उद्योग | मनोरंजन |
स्थापना | 1943 |
संस्थापक | शशिधर मुखर्जी, अशोक कुमार |
मुख्यालय | गोरेगाँव, मुम्बई, महाराष्ट्र |
प्रमुख फ़िल्में | 'शहीद', 'आनंदमठ', 'जागृति', 'अनारकलि', 'नागिन', 'नास्तिक', 'पेइंग गेस्ट', 'तुमसा नहीं देखा', 'दूज का चाँद' आदि। |
अन्य जानकारी | 1948 में नासिर हुसैन ने फ़िल्मिस्तान स्टूडियो के लिए कार्य करना शुरू किया और 'शहीद', 'शबनम', 'अनारकली' जैसी बड़ी फ़िल्मों का निर्माण किया। |
फ़िल्मिस्तान स्टूडियो (अंग्रेज़ी: Filmistan Studio) हिन्दी सिनेमा जगत के सबसे पुराने स्टूडियो में से एक है। यह महाराष्ट्र में मुम्बई शहर के गोरेगाँव में स्थित है। 14 सेट वाले इस स्टूडियो में करीब 60 हिट फ़िल्मों की शूटिंग हो चुकी है। इनमें 'नागिन', 'अनारकली', 'शहीद' और 'शबनम' शामिल हैं।
स्थापना
फ़िल्मिस्तान स्टूडियो हिन्दी सिनेमा जगत के सबसे पुराने स्टूडियोज़ में से एक है। इसका निर्माण 1943 के आसपास हुआ था। 1943 में अभिनेता अशोक कुमार ने निर्माता शशिधर मुखर्जी के साथ मिलकर यहां प्रोडक्शन हाउस खोला। बाद में इसे स्टूडियो में बदल दिया गया। 1940 और 50 के दशक में यहां कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग हुई। बॉम्बे टाकीज़ के संस्थापक हिमांशु राय की मृत्यु के बाद अशोक कुमार और शशिधर मुखर्जी ने मिलकर इस स्टूडियो का निर्माण किया था।
फ़िल्म निर्माण
साल 1948 में पटकथा लेखक नासिर हुसैन ने फ़िल्मिस्तान स्टूडियो के लिए कार्य करना शुरू किया और 'शहीद', 'शबनम', 'अनारकली' जैसी बड़ी फ़िल्मों का निर्माण किया। कई सालों तक ये स्टूडियो बंद रहा, लेकिन 1964 में आई फ़िल्म 'दूज का चांद' के बाद हाल ही में आई फ़िल्म 'रा-वन' और 'बॉडीगार्ड' की शूटिंग भी यहीं हुई। 'झलक दिखला जा, सीज़न-1' रियलिटी शो की शूटिंग भी यहीं हुई थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- फिल्मिस्तान स्टूडियो में बनेंगे घर
- इन 10 Legendary Studios के आधार पर टिकी हुई है भारतीय सिनेमा की नींव
- हिंदी सिनेमा के विकास में फ़िल्म निर्माण संस्थाओं की भूमिका