मत व्यर्थ पुकारे शूल-शूल, कह फूल-फूल, सह फूल-फूल। हरि को ही-तल में बन्द किये, केहरि से कह नख हूल-हूल। कागों का सुन कर्त्तव्य-राग, कोकिल-काकलि को भूल-भूल। सुरपुर ठुकरा, आराध्य कहे, तो चल रौरव के कूल-कूल। भूखंड बिछा, आकाश ओढ़, नयनोदक ले, मोदक प्रहार, ब्रह्यांड हथेली पर उछाल, अपने जीवन-धन को निहार।