यौवन का पागलपन -माखन लाल चतुर्वेदी
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हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया। |
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हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया। |