मानुष जनम दुलभ है -कबीर
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मानुष जनम दुलभ है, होइ न बारंबार। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! यह मानव जन्म अति दुर्लभ है। मानव शरीर बार-बार नहीं मिलता। एक बार जब फल वृक्ष से गिर पड़ता है, तब वह फल शाखा से पुन: नहीं जुड़ सकता, वैसे ही एक बार मानव शरीर के क्षीण हो जाने पर वह पुन: नहीं प्राप्त हो सकता। इसलिए इस अवसर को न चूक। इस शरीर के रहते हुए प्रभु-साधना में लग जा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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