यश राज फ़िल्म्स

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यश राज फ़िल्म्स का प्रतीक चिह्न

यश राज फ़िल्म्स (अंग्रेज़ी: Yash Raj Films) भारतीय हिन्दी सिनेमा की एक प्रतिष्ठित फ़िल्म निर्माण कंपनी है, जिसकी स्थापना प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा ने की थी। यश चोपड़ा ने इस बैनर की शुरुआत राजेश खन्ना अभिनीत ‘दाग’ जैसी सुपरहिट फ़िल्म से की थी। इस फ़िल्म की कामयाबी ने उन्हें बॉलीवुड में नया नाम दिया था।

स्थापना

यश राज फ़िल्म्स भारत की अग्रणी फ़िल्म कंपनी है, जिसे निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा ने सन 1970 में मुंबई में स्थापित किया था। फिल्मी मनोरंजन के क्षेत्र में यश चोपड़ा का महत्वपूर्ण स्थान है। यश चोपड़ा ने फ़िल्मी जीवन का प्रारम्भ अपने भाई बी. आर. चोपड़ा के सहायक के रूप में किया था।[1]

फ़िल्म निर्माण

यश चोपड़ा ने अपने भाई की फ़िल्म कंपनी 'बी. आर. फ़िल्म्स ' के लिए पाँच सफल फ़िल्मों का निर्देशन किया था। ये सभी फ़िल्में हिंदी की सर्वाधिक लोकप्रिय फ़िल्मों में गिनी जाती हैं, जो निम्न प्रकार हैं-

  1. 'धूल का फूल' (1959)
  2. 'धर्मपुत्र' (1961)
  3. 'वक़्त' (1965)
  4. 'इत्तेफाक' (1969)
  5. 'आदमी और इंसान' (1969)

रोमांटिक फ़िल्मांकन

इस संस्था ने पचास से ज़्यादा बहुत ही सफल और लोकप्रिय फ़िल्में निर्मित की हैं, जो कि फ़िल्म जगत में एक कीर्तिमान है। इनमें से तेरह फ़िल्मों का निर्देशन यश चोपड़ा ने स्वयं किया है। सामाजिक समस्याओं के अतिरिक्त युवा रोमांस के फिल्मांकन में यश चोपड़ा अपनी ख़ास पहचान रखते हैं। इनकी सभी फ़िल्में प्रेम प्रधान होती हैं और इनका संगीत पक्ष बहुत ही सशक्त होता है। देश-विदेश के अति सुदर प्रदेशों के रोमांटिक फ़िल्मांकन के लिए यश राज बैनर एक सुपरिचित नाम है।[1]

लोकप्रिय फ़िल्में

'दाग' (1973), 'कभी-कभी' (1976), 'काला पत्थर' (1979), 'सिलसिला' (1981), 'चाँदनी' (1989), 'डर' (1993), 'दिल तो पागल है' (1997) और 'वीर–ज़ारा' (2004), यशराज फ़िल्म कंपनी की सार्वकालिक लोकप्रिय फ़िल्में हैं। यशराज की फ़िल्मों की पटकथा सशक्त और संगीत कर्णप्रिय होता है। यशराज के पुत्र आदित्य चोपड़ा इस फ़िल्म कंपनी में बतौर निर्माता जुड़ गए हैं और वे अपनी फ़िल्में स्वयं बना रहे हैं। इस कंपनी का अपना स्टूडियो है, जिसमें इनकी और अन्य निर्माताओं की फ़िल्में निर्मित होती हैं।

दक्षिणी फ़िल्म कंपनियों का योगदान

हिंदी फ़िल्मों के निर्माण में प्रारम्भ से ही दक्षिण की फ़िल्म कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। दक्षिण की बड़ी-बड़ी फ़िल्म कंपनियों में हिंदी फ़िल्म निर्माण के प्रति विशेष रुझान दिखाई देता है। फ़िल्मी कहानियों के लिए दक्षिण के फ़िल्मकार अपनी ख़ास पहचान रखते हैं। दक्षिण में फ़िल्म उद्योग का केंद्र चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलोर में स्थापित है। इन सबमें सबसे पुराना विशाल दक्षिण फ़िल्म उद्योग चेन्नई में केन्द्रित है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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