राखनहारे बाहिरा -कबीर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
| ||||||||||||||||||||
|
राखनहारे बाहिरा, चिड़ियौं खाया खेत। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! तेरे आध्यात्मिक जीवन-क्षेत्र का रक्षक बाहर ही बाहर है अर्थात् तुझे कोई सद्गुरु नहीं मिला और ऊपर से विषय-वासना रूपी पक्षी तेरे खेत को खाए जा रहे हैं। तू अब भी चेत जा, जाग जा और थोड़ा-बहुत जो बचा सके, उसे बचा ले अर्थात् अब भी आध्यात्मिक जीवन को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित कर ले।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख