राजन हक्सर का फ़िल्मी कॅरियर
राजन हक्सर का फ़िल्मी कॅरियर
| |
पूरा नाम | राजन हक्सर |
पति/पत्नी | मनोरमा |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता और निर्माता |
मुख्य फ़िल्में | 'दो भाई', 'आखिरी संघर्ष', बंजारन' और 'हीर-रांझा |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | राजन हक्सर अपने कॅरियर के शिखर पर सत्तर से अस्सी के दशक में ही रहे, जब डकैतों, तस्करों, जुआरियों की भूमिकाएं बहुतायत में लिखी गईं। |
अद्यतन | 17:59, 1 जुलाई 2017 (IST)
|
राजन हक्सर ने अपने कॅरियर में पिता, चाचा, मछुआरे, ट्रस्टी, डॉक्टर, वकील, ग्रामीण, ठाकुर तथा इंस्पेक्टर की कई भूमिकाएं अदा कीं, मगर उनकी असली पहचान सह-खलनायक के रूप में ही स्थापित हुई।[1]
फ़िल्मी कॅरियर
राजन हक्सर ने आजादी के साल में आई फ़िल्म ‘दो भाई’ से अपने फ़िल्मी जीवन की शुरुआत करते हुए नब्बे के दशक तक फ़िल्मों में की। 1997 में आई वर्षो से लंबित फ़िल्म ‘आखिरी संघर्ष’ इनकी अंतिम प्रदर्शित फ़िल्म थी। फिर भी 'बंजारन' और 'हीर-रांझा' (1992) में राजन छोटे-मोटे रोल में नजर आए। वह अपने कॅरियर के शिखर पर सत्तर से अस्सी के दशक में ही रहे जब डकैतों, तस्करों, जुआरियों की भूमिकाएं बहुतायत में लिखी गईं। राजन हक्सर फ़िल्में करते रहे और इन्हीं दिनों में उन्होंने डॉन, लोक परलोक जैसी फ़िल्मों में यादगार भूमिकाएं अदा कीं।
- निर्माता के रूप में
राजन हक्सर ने बतौर सहयोगी निर्माता भी अपनी किस्मत आजमाई। 'आधी रात के बाद' (1965), 'प्यार का सपना' (1969), 'रेशम की डोरी' (1974)। रेशम की डोरी इस तीनों में सबसे यादगार फ़िल्म रही। इस फ़िल्म के बाद राजन हक्सर ने किसी फ़िल्म के निर्माण में सहयोग नहीं किया और अभिनय पर ही अपना ध्यान केन्द्रित किया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पहचाना? राजन नाम है मेरा, राजन हक्सर (हिंदी) hindi.firstpost.com। अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2017।
संबंधित लेख