रीता गांगुली
रीता गांगुली
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पूरा नाम | रीता गांगुली |
जन्म | 1940 |
जन्म भूमि | लखनऊ |
अभिभावक | पिता: के. एल. गांगुली और माता: मीना |
पति/पत्नी | केशव कोठारी |
संतान | एक पुत्र और एक पुत्री |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | संगीतकार (हिंदी सिनेमा) |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मश्री (2003) |
नागरिकता | भारतीय |
बाहरी कड़ियाँ | आजकल रीता गांगुली कुछ ऐसे ग़रीब बच्चों को संगीत सिखा रही हैं, जिनके पास किसी उस्ताद के पास जाकर सीखने के साधन नहीं हैं। उनके द्वारा बच्चों को सीख कर ख़ुशी मिल रही है और उन्हें बच्चों को सिखा कर मज़ा आ रहा है। |
अद्यतन | 18:07, 21 जून 2017 (IST)
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रीता गांगुली (अंग्रेज़ी: Rita Ganguly, जन्म: 1940, लखनऊ) भारतीय शास्त्रीय संगीत गायिका हैं। प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका सिद्धेश्वरी देवी और बेगम अख़्त उनके गुरु हैं। रीता गांगुली को उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा 2003 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इन दिनों वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में माइम का हुनर सिखाने के साथ-ही-साथ आजकल ग़रीब बच्चों को भी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा देने में जुटी हुई हैं।[1]
परिचय
रीता गांगुली का जन्म 1940 में लखनऊ के ब्राह्मण घराने में हुआ था। उनके पिता के. एल. गांगुली और माता मीना है। रीता गांगुली का सुर से रिश्ता तो तभी जुड़ गया था, जब बचपन में उनकी माँ लोरी सुनाया करती थीं। उनके यहाँ किसी ने कभी भी गाना नहीं गाया था और ब्राह्मण घराने में पैदा होने के कारण घर के अलावा बाहर गाना गाने पर पाबंदी थी, हालाँकि उनके पिता गाने सुनने के शौकीन थे। रीता गांगुली के यहाँ बचपन में रसूलन बाई आती थीं, जो उनके पिता को भाई मानती थीं और इस तरह उन्हें बचपन में ही बहुतों को सुनने का मौक़ा मिला। रीता गांगुली का विवाह केशव कोठारी से हुआ। इनके एक पुत्र और एक पुत्री है।
संगीत की शिक्षा
रीता गांगुली सिद्धेश्वरी देवी की पहली शिष्या थीं। बेगम अख़्तर से उनकी मुलाकात लखनऊ के एक कार्यक्रम के दौरान हुई, जहाँ वो उन्हें पसंद आ गई। कार्यक्रम ख़त्म होने पर बेगम अख़्तर ने सिद्धेश्वरी देवी से कहा, "मुझे तुम से कुछ चाहिए।" सिद्धेश्वरी देवी ने कहा, "ज़िदगी भर मांगती आई हो, कभी किसी को कुछ दिया भी है?" बेगम ने अपनी खूबसूरत मुस्कुराहट के साथ कहा, “यह तो अपनी अपनी-अपनी क़िस्मत है। मैं मांगती हूँ मुझे मिल जाता है और तुम हो कि मांगना ही नहीं जानती।" वह बहुत ऐतिहासिक दिन था। तक़रीबन तीस साल बाद दोनों कलाकार रूबरू हुई थीं। इस तरह बेगम ने उन्हें सिद्धेश्वरी देवी से मांग लिया और वह उनकी शिष्या बन गई।
फ़िल्म के लिए गाना
रीता गांगुली को फ़िल्मी दुनिया में जाने की ख़्वाहिश कभी नहीं रहीं। उन्हें लगता है कि आज भी वह किसी मुक़ाम पर नहीं पहुँची हैं। यह महज़ इत्तेफ़ाक़ है कि उन्होंने जगमोहन मूदड़ा जी की फ़िल्म 'बवंडर' में 'केसारिया बालम' गाया, हालांकि राज कपूर ने फ़िल्म 'हिना' के लिए भी गाने को कहा था लेकिन वह 'हां' न कर सकी। 'परिणीता' में उन्हें इसलिए गाना पड़ा, क्योंकि शरतचंद और प्रदीप सरकार की वो भक्त है और प्रदीप सरकार आज के सत्यजीत राय हैं।
रीता गांगुली के अनुसार- शम्भू महाराज जी लोगों को नाच कर रुलाते थे, सिद्धेश्वरी जी के क्या कहने, बेगम अख़्तर उस तरह से आज भी ज़िंदा हैं। आजकल रीता गांगुली कुछ ऐसे ग़रीब बच्चों को संगीत सिखा रही हैं जिनके पास किसी उस्ताद के पास जाकर सीखने के साधन नहीं हैं। एक कोशिश है, बच्चों को सीख कर ख़ुशी मिल रही है और मुझे उन्हें सिखा कर मज़ा आ रहा है।"
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 'जिसे सुनकर लोग रो पड़ें वो है संगीत' (हिंदी) www.bbc.com/hindi। अभिगमन तिथि: 20 जून, 2017।
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