विजय पी. भटकर
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पूरा नाम | विजय पाण्डुरंग भटकर |
जन्म | 11 अक्टूबर, 1946 |
जन्म भूमि | महाराष्ट्र |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | सूचना प्रौद्योगिकी |
शिक्षा | मास्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग |
विद्यालय | आई. आई. टी. दिल्ली, सर विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री (2000), पद्म भूषण (2015), महाराष्ट्र भूषण अवार्ड (1999-2000) |
प्रसिद्धि | भारतीय सुपरकम्प्यूटिंग के जनक |
विशेष योगदान | देश के पहले सुपरकम्प्यूटर परम के निर्माता और देश में सुपरकम्प्यूटिंग की शुरुआत से जुड़े सी-डेक के संस्थापक कार्यकारी निदेशक के रूप में उनका विशेष योगदान है। |
नागरिकता | भारतीय |
वर्तमान स्थिती | नालंदा विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति |
अन्य जानकारी | विजय पाण्डुरंग भटकर पुणे स्थित सेंटर फ़ॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डैक) में सुपर-कंप्यूटर बनाने की परियोजना का नेतृत्व कर चुके हैं। इसके तहत भारत के पहले सुपर कम्प्यूटर परम 8000 और परम 10000 बनाए गए थे। |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेवसाइट |
अद्यतन | 18:02, 12 अक्टूबर 2017 (IST)
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विजय पाण्डुरंग भटकर (अंग्रेज़ी: Vijay Pandurang Bhatkar, जन्म- 11 अक्टूबर, 1946, महाराष्ट्र) भारतीय वैज्ञानिक एवं आई. टी. प्रध्यापक हैं। भारतीय सुपर कम्प्यूटरों के विकास में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। वे भारतीय सुपरकम्प्यूटिंग के जनक कहे जाते हैं। उनकी पहचान देश के पहले सुपरकम्प्यूटर परम के निर्माता और देश में सुपरकम्प्यूटिंग की शुरुआत से जुड़े सी-डेक के संस्थापक कार्यकारी निदेशक के रूप में है। 25 जनवरी 2017 से अगले तीन सालों तक में वे नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रहेंगे।
परिचय
भारत के पहले सुपर कम्प्यूटर परम के निर्माता डॉ. विजय भटकर का जन्म 11 अक्टूबर, 1946 को महाराष्ट्र में हुआ था। वह आई. टी. लिडर के नाम से प्रसिद्ध हैं। डॉ. भटकर ने 1965 में बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग और 1968 में मास्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग की डिग्री आई. आई. टी. दिल्ली, सर विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर और एम. एस. यूनिवर्सिटी, वड़ोदरा से ग्रहण की थी।[1]
कार्यक्षेत्र
वह दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई. आई. टी.) के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संगठन विज्ञान भारती के प्रमुख भी हैं, जो स्वदेशी विज्ञान को बढ़ावा देने से जुड़ा है। भाटकर केंद्रीय मंत्रिमंडल की वैज्ञानिक सलाहकार समिति एवं वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के संचालक मंडल के सदस्य रह चुके हैं।
कुलपति पद पर नियुक्ति
भारत में सुपर कम्प्यूटर के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले कम्प्यूटर वैज्ञानिक डॉ. विजय भटकर को नालंदा विश्वविद्यालय का नया कुलपति बनाया गया है। वे इस विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा डॉ. भटकर की नियुक्ति को मंजूरी दी गयी। उनका कार्यकाल 25 जनवरी, 2017 से तीन वर्ष तक का है।
सुपरकम्प्यूटर के निर्माण में भूमिका
डॉ भटकर 1987 में पुणे स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डैक) में सुपर-कंप्यूटर बनाने की परियोजना का नेतृत्व कर चुके हैं। इसके तहत भारत के पहले सुपर कम्प्यूटर परम 8000 और परम 10000 बनाए गए थे। इसके साथ ही डॉ. भटकर ने अब तक 12 किताबों और 80 से अधिक शोध का संपादन एवं लेखन किया है। कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए वह कई सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।[1]
सम्मान एवं पुरस्कार
विजय पाण्डुरंग भटकर को विज्ञान आदि के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए कई पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें प्राप्त कुछ मुख्य पुरस्कार इस प्रकार हैं-
- पद्म श्री - 2000
- पद्म भूषण - 2015
- महाराष्ट्र भूषण अवार्ड - 1999-2000
- संत ज्ञानेश्वर विश्व शांति पुरस्कार
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 भारत के सुपर कंप्यूटर के जनक डॉ विजय भटकर नालंदा विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति बने (हिंदी) satyagrah.scroll.in। अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर, 2017।
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