पन्द्रहवीं लोकसभा के लिए चुनाव पाँच चरणों में पूर्ण हुए। ये चुनाव 19 अप्रैल, 22/23 अप्रैल, 30 अप्रैल, 7 मई और 13 मई को सम्पन्न हुए। परिणाम आने के पश्चात् कांग्रेस के नेतृत्व वाले 'संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन' (संप्रग) ने लोकसभा का नेतृत्व करने का जनादेश जीता। मीरा कुमार लोकसभा की अध्यक्ष नियुक्त की गईं थीं।
चुनावी बजट
चुनाव आयोग के अनुसार वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में 71 करोड़, 40 लाख लोग मतदान के लिए योग्य थे। यह संख्या वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव की अपेक्षा 4 करोड़, 30 लाख अधिक थी। इस लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने 1,120 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था।
परिणाम
वर्ष 2009 में लोकसभा के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और सिक्किम विधानसभा के लिए भी चुनाव कराए गए थे। 16 मई को मतगणना हुई। प्रारम्भिक नतीजों के फलस्वरूप कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने ढाई सौ से भी अधिक बढ़त हासिल कर ली थी, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पराजय स्वीकार की। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और राजस्थान में यूपीए ने बेहतर प्रदर्शन किया। यूपीए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई में सरकार बनाने की स्थिति में आ गई थी।
इस लोकसभा चुनाव में न केवल भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए की हार हुई, बल्कि गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपाई सरकार का सपना पालने वाले वाममोर्चे का भी खराब प्रदर्शन रहा। इस चुनाव में तमिलनाडु में जयललिता, आंध्र प्रदेश में महाकुटुमी, केरल और पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा, बिहार में लालू प्रसाद यादव और पासवान को भी पराजय का सामना करना पड़ा।
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