ए वी एम प्रोडक्शंस (अंग्रेज़ी: A V M Productions) भारत की सबसे पुरानी फ़िल्म निर्माण कंपनी है। यह 'ए वी एम स्टूडियो' के नाम से भी पहचानी जाती है। इसके स्टूडियो चेन्नई के वडपलनी क्षेत्र में स्थित हैं। इस निर्माण संस्था में लगभग 170 तमिल, तेलुगु, मलयालम और हिंदी फ़िल्में निर्मित हुई हैं। आज भी यह स्टूडियो और निर्माण संस्था फ़िल्म निर्माण में अग्रणी है।
लोकप्रिय हिंदी फ़िल्में
ए वी एम स्टूडियो (फ़िल्म कंपनी) में निर्मित लोकप्रिय मशहूर हिंदी फ़िल्में हैं[1]-
फ़िल्म | वर्ष |
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'बहार' | 1951[2] |
'लड़की' | 1953 |
'चोरी चोरी' | 1956 |
'मिस मेरी' | 1957 |
'भाई भाई' | 1957 |
'भाभी' | 1957 |
'बरखा' | 1959 |
'छाया' | 1961 |
'मैं चुप रहूँगी' | 1963 |
'पूजा के फूल' | 1964 |
'दिल का राजा' | 1972 |
'जैसे को तैसा' | 1973 |
सिनेमा तथा धारावाहिक निर्माण
सिनेमा के साथ-साथ ए वी एम प्रोडक्शंस ने टेलीविज़न धारावाहिकों के निर्माण में भी अपनी विशेष पहचान बना ली है। ए वी एम ने कई बड़े सितारों को तमिल और तेलुगु सिनेमा जगत में प्रवेश दिलाया, जिनमें प्रमुख हैं- वैजयंतीमाला, शिवाजी गणेशन, एस. एस. राजेन्द्रन और कमल हासन आदि। ए वी एम के पास शूटिंग फ्लोर के अलावा डब्बिंग, रिकॉर्डिंग और अन्य तकनीकी सुविधाओं की व्यवस्था है।
नारी प्रधान फ़िल्मों का निर्माण
पारिवारिक समस्याओं पर आधारित सुंदर स्वच्छ भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को संवर्धित करने वाली, भारतीय नारी के त्याग, क्षमा, सेवा, परोपकार और संघर्ष को दर्शाने वाली कहानियों को चुनकर फ़िल्में बनाने का श्रेय ए वी एम स्टूडियो को जाता है। सम्मिलित परिवार में स्नेह और आत्मीयता, परस्पर समर्पण और त्याग की भावना को प्रेरित करने वाली इन फ़िल्मों में प्रेम और सौन्दर्य का मधुर मिश्रण भारतीय पारिवारिक जीवन के सुखमय पक्ष को दर्शाता है।[1]
दक्षिण भारत की अन्य फ़िल्म निर्माण संस्थाएँ, जहाँ से उत्तम पारिवारिक-सामाजिक मूल्यों के पक्षधर फ़िल्मों का निर्माण हुआ, उनमने प्रमुख रूप से जेमिनी स्टूडियो, विजया-वाहिनी और प्रसाद स्टूडियो एवं निर्माण संस्थाएँ उल्लेखनीय हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 हिंदी सिनेमा के विकास में फ़िल्म निर्माण संस्थाओं की भूमिका (हिंदी) sahityakunj.net। अभिगमन तिथि: 05 जुलाई, 2017।
- ↑ वैजयंतीमाला की पहली हिंदी फ़िल्म