आनंद शंकर
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पूरा नाम | आनंद शंकर |
जन्म | 11 दिसंबर, 1942 |
जन्म भूमि | तत्कालीन उत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तराखंड) |
मृत्यु | 26 मार्च, 1999 |
अभिभावक | पिता- उदय शंकर |
पति/पत्नी | तनुश्री शंकर |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | संगीत |
विद्यालय | सिंधिया स्कूल, ग्वालियर, मध्य प्रदेश |
प्रसिद्धि | गीतकार और संगीतकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | वर्ष 1996 में ‘ब्लू नोट रिकॉर्ड्स’ नामक संगीत कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर बड़ी संख्या में दर्शकों के सामने आनंद शंकर ने अपने संगीत को पेश किया और प्रसिद्धि प्राप्त की। |
आनंद शंकर (अंग्रेज़ी: Anand Shankar, जन्म- 11 दिसंबर, 1942; मृत्यु- 26 मार्च, 1999) भारतीय गीतकार और संगीतकार थे। वे विश्व प्रसिद्ध सितारवादक पंडित रवि शंकर के भतीजे थे। इन्होंने अपने जीवनकाल में पूर्वी संगीत शैलियों में पश्चिमी संगीत शैली का उत्कृष्ट मिश्रण कर संगीत को एक नया रूप दिया। सन 1990 के दशक के मध्य जब डीजे की संस्कृति का प्रचलन प्रारम्भ हुआ तो आनंद शंकर ने भी डिस्को के अनुरूप संगीत का निर्माण किया, जिसके परिणामस्वरूप इन्होंने वर्ष 1996 में ‘ब्लू नोट्स’ के अंतर्गत ‘ब्लू जूस वॉल्यूम 1’ नामक नए एल्बम का निर्माण किया था। इसके दो संस्करण लांच हुए थे- स्ट्रीट्स ऑफ कलकत्ता और डांसिंग ड्रम्स।[1]
परिचय
आनंद शंकर का जन्म एक प्रतिष्ठित बंगाली संगीतकार परिवार में 11 दिसंबर, 1942 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तराखंड) के अल्मोड़ा में हुआ था। इनके पिता प्रख्यात शास्त्रीय नर्तक उदय शंकर और मां अमला शंकर थीं। इनकी बहन का नाम ममता शंकर था। ये प्रसिद्ध सितारवादक पंडित रवि शंकर के भतीजे थे। इन्होंने वाद्य यंत्र की शिक्षा के लिए अपने चाचा पंडित रवि शंकर के बजाय गुरु के रूप में वाराणसी के डॉक्टर लालमणि मिश्रा को चुना था। बाद में इन्होंने तनुश्री शंकर से शादी कर ली। इन्होंने सिंधिया स्कूल, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) से शिक्षा ग्रहण की थी।
संगीत विकास में योगदान
आनंद शंकर वर्ष 1970 के दशक के दौरान अमेरिका में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय संगीत एलबम की सफल शुरुआत के बाद जल्द ही भारत वापस आ गए। इसके बाद आत्मविश्वास से परिपूर्ण शंकर ने संगीत के क्षेत्र में अनवरत प्रयोग जारी रखा और अंत में अपने सबसे चर्चित एल्बम ‘आनंद शंकर एंड हिज म्यूजिक’ को लांच किया, जिसमें एक ही साथ सितार, गिटार, तबला, मृदंगम, ड्रम और मूग सिंथेसाइज़र की आवाज़ को कंपोज़ किया गया था। उसी एल्बम को पुन: इनके मरणोपरान्त वर्ष 2005 में लांच किया गया।[1]
लोकप्रियता
आनंद शंकर की लोकप्रियता 1990 के दशक के दौरान फिर से बढ़ गई, जब उन्होंने लंदन में विशेष रूप से नाईट क्लबों में अपने संगीत को लोगों के सामने प्रस्तुत किया। वर्ष 1996 में ‘ब्लू नोट रिकॉर्ड्स’ नामक संगीत कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर बड़ी संख्या में दर्शकों के सामने शंकर ने अपने संगीत को पेश किया और प्रसिद्धि प्राप्त की। एक अन्य संगीत कार्यक्रम ‘ब्लू जूस वॉल्यूम 1’ के दौरान इन्होंने दो चर्चित संगीत ‘डांसिंग ड्रम’ और ‘स्ट्रीट ऑफ कलकत्ता’ का बेहतरीन प्रदर्शन किया, जो बहुत ही पसंद किया गया था।
सन 1990 के दशक में ही ब्रिटेन यात्रा के दौरान इन्होंने ‘वाकिंग ऑन’ नाम से एक बहुत ही अच्छे संगीत एल्बम की रचना की थी, जिसे उनकी अचानक मृत्यु के बाद वर्ष 2000 में जारी किया गया। वर्ष 2005 में उनके गीत ‘रघुपति’ का प्रयोग ‘ग्रैंड थेफ़्ट ऑटो : लिबर्टी सिटी स्टोरीज़’ के साउंडट्रैक के रूप में इस्तेमाल किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2008 में आनंद शंकर के गीत ‘डांसिंग ड्रम’ का इस्तेमाल ‘लिटिल बिग प्लैनेट्स’ में साउंडट्रैक के रूप में किया गया था।
आनंद शंकर ने भारत सरकार द्वारा संचालित सार्वजनिक प्रसारण चैनल ‘दूरदर्शन’ पर प्रसारित होने वाले तत्कालीन चर्चित सीरियल ‘ब्योमकेश बख्शी’ के लिए भी म्यूजिक दिया था।[1]
पुरस्कार एवं सम्मान
गीत-संगीत के प्रति समर्पण को देखते हुए आनंद शंकर को सर्वश्रेष्ठ म्यूज़िक डायरेक्शन के लिए ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
निधन
आनंद शंकर का निधन 26 मार्च, 1999 को हृदय गति रुक जाने के कारण हुआ।
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