प्रोकर दासगुप्ता
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पूरा नाम | डॉ. प्रोकर दासगुप्ता |
अभिभावक | पिता- सी. आर. दासगुप्ता माता- अरुणा दासगुप्ता |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | चिकित्सा |
विद्यालय | कोलकाता विश्वविद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 2022 |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | यूनाइटेड किंगडम- किंग्स कॉलेज लंदन में यूरोलॉजी के प्रोफेसर और अध्यक्ष डॉ. प्रोकर दासगुप्ता रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र में अग्रणी हैं। |
अद्यतन | 18:01, 6 जून 2022 (IST)
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डॉ. प्रोकर दासगुप्ता (अंग्रेज़ी: Dr. Prokar Dasgupta) राउरकेला के प्रसिद्ध डॉक्टर हैं जिन्हें भारत सरकार ने साल 2022 में पद्म श्री से सम्मानित किया है। वर्ष 2022 के पद्म पुरस्कारों के अंतर्गत 10 डॉक्टरों को चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान हेतु पद्म श्री से सम्मानित किया गया। इस सूची में भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान हेतु डॉ. प्रोकर दासगुप्ता का नाम भी शामिल था। उन्होंने अपनी शानदार उपलब्धि से राउरकेला के स्टील सिटी को गौरवान्वित किया है।
परिचय
डॉ. प्रोकर दासगुप्ता के पिता सी. आर. दासगुप्ता सेल के पूर्व कार्यकारी और माता अरुणा दासगुप्ता, राउरकेला स्टील प्लांट, सेल की पूर्व शिक्षिका रह चुकी हैं। इस नाते भी उनका यहां से खासा जुड़ाव रहा है। उल्लेखनीय है कि डॉ. दासगुप्ता ने अपनी शुरुआती शिक्षा राउरकेला से प्राप्त की है। वह सेंट पॉल स्कूल राउरकेला के छात्र रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1982 में स्कूल से दसवीं कक्षा पास की थी। पिता सी. आर. दासगुप्ता आरएसपी के आर एंड सी लैब में एक्ज़ीक्यूटिव थे, जबकि उनकी मां आई.एल.एस. में शिक्षिका के पद पर कार्यरत थीं। वे उस वक्त सेक्टर-6 के एफ ब्लॉक में एक क्वार्टर में रहते थे। 2007 में डॉ. दासगुप्ता सेंट पॉल स्कूल के एलिमनाई मीट में भाग लेने राउरकेला आए थे।
चिकित्सा की डिग्री
डॉ. प्रोकर दासगुप्ता ने 1989 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की और बाद में यूनाइटेड किंगडम से यूरोलॉजी में एफ.आर.सी.एस. किया। वह वर्तमान में यूके में लंदन स्थित किंग्स हेल्थ पार्टनर्स में सर्जिकल एकेडमी में सर्जरी के प्रोफेसर हैं।
रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र में अग्रणी
यूनाइटेड किंगडम- किंग्स कॉलेज लंदन में यूरोलॉजी के प्रोफेसर और अध्यक्ष डॉ. प्रोकर दासगुप्ता रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र में अग्रणी हैं। 2009 में वह किंग्स में रोबोटिक सर्जरी और यूरोलॉजी के पहले प्रोफेसर बने और बाद में किंग्स कॉलेज-वट्टीकुटी इंस्टीट्यूट ऑफ रोबोटिक सर्जरी के अध्यक्ष बने। रोबोटिक यूरोलॉजी के पहले यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण के साथ-साथ “दासगुप्ता तकनीक” के संस्थापक होने के साथ ही इस क्षेत्र में कई सफलताएं प्राप्त कर चुके हैं। यह एक लचीली सिस्टोस्कोप का उपयोग कर मूत्राशय की दीवार में बोटॉक्स को इंजेक्ट करने का गणित है। उनकी टीम को मूत्राशय के कैंसर के लिए रोबोटिक सिस्टोप्रोस्टेटेक्टोमी तकनीक के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
उल्लेखनीय है कि यह अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक सिस्टेक्टोमी कंसोर्टियम (आईआरसीसी) के बीच अग्रणी समूह है। वह किडनी ट्रांसप्लांट के हिस्से के रूप में की-होल सर्जरी करने के लिए दा विंची रोबोट का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति थे। उनके पथ-प्रदर्शक चिकित्सा उपलब्धियों ने उन्हें यूरोलॉजी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित व्यक्ति बना दिया।
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