राजन हक्सर
| |
पूरा नाम | राजन हक्सर |
पति/पत्नी | मनोरमा |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता और निर्माता |
मुख्य फ़िल्में | 'दो भाई', 'आखिरी संघर्ष', बंजारन' और 'हीर-रांझा |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | राजन हक्सर अपने कॅरियर के शिखर पर सत्तर से अस्सी के दशक में ही रहे, जब डकैतों, तस्करों, जुआरियों की भूमिकाएं बहुतायत में लिखी गईं। |
अद्यतन | 17:59, 1 जुलाई 2017 (IST)
|
राजन हक्सर (अंग्रेज़ी: Rajan Haksar) हिंदी सिनेमा के चरित्र अभिनेता थे। सत्तर और अस्सी के दशक की फ़िल्मों में बेहद सक्रिय रहे राजन हक्सर ने लगभग पचास वर्षो तक फ़िल्मों को अपनी सेवाएं दीं। राजन हक्सर ने अपने कॅरियर में पिता, चाचा, मछुआरे, ट्रस्टी, डॉक्टर, वकील, ग्रामीण, ठाकुर तथा इंस्पेक्टर की कई भूमिकाएं अदा कीं, मगर उनकी असली पहचान सह-खलनायक के रूप में ही स्थापित हुई। तस्कर, डाकू तथा अवैध बार-मालिक के रूप में इनके किरदार ही दर्शकों के जेहन में बसे।[1]
परिचय
राजन हक्सर अपने मित्र चंद्रमोहन के सहयोग से शूटिंग के दौरान ही चरित्र अभिनेत्री मनोरमा से संपर्क में आए और दोनों ने विवाह कर लिया। लगभग 20 साल तक विवाह में रहने के बाद दोनों अलग हो गए। दोनों की बेटी रीता हक्सर ने भी सन सत्तर के अंतिम सालों में कुछ फ़िल्में बतौर अभिनेत्री के रूप में की। आशानुरूप सफलता न मिलने के कारण उन्होंने विवाह के बाद फ़िल्में छोड़ दी।
फ़िल्मी कॅरियर
राजन हक्सर ने आजादी के साल में आई फ़िल्म ‘दो भाई’ से अपने फ़िल्मी जीवन की शुरुआत करते हुए नब्बे के दशक तक फ़िल्मों में की। 1997 में आई वर्षो से लंबित फ़िल्म ‘आखिरी संघर्ष’ इनकी अंतिम प्रदर्शित फ़िल्म थी। फिर भी 'बंजारन' और 'हीर-रांझा' (1992) में राजन छोटे-मोटे रोल में नजर आए। वह अपने कॅरियर के शिखर पर सत्तर से अस्सी के दशक में ही रहे जब डकैतों, तस्करों, जुआरियों की भूमिकाएं बहुतायत में लिखी गईं।
अंतिम समय
नब्बे का दशक आते-आते, फ़िल्मों के चरित्र कलाकारों की भरमार हो गयी। धारावाहिकों के अदाकार फ़िल्मों के चरित्र भूमिकाओं पर हावी हो गए। ऐतिहासिक कथानक वाली इक्का दुक्का फ़िल्मों में ही राजन दिखें, मगर फिर उम्र और स्वास्थ्य कारणों के चलते वे फ़िल्मों से दूर होते चले गए।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पहचाना? राजन नाम है मेरा, राजन हक्सर (हिंदी) hindi.firstpost.com। अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2017।
संबंधित लेख