"व्यंजन (व्याकरण)": अवतरणों में अंतर

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*परंपरागत रूप से व्यंजनों की संख्या 33 मानी जाती है।
*परंपरागत रूप से व्यंजनों की संख्या 33 मानी जाती है।
*द्विगुण व्यंजन ड़, ढ़ को जोड़ देने पर इनकी संख्या 35 हो जाती है।   
*द्विगुण व्यंजन ड़, ढ़ को जोड़ देने पर इनकी संख्या 35 हो जाती है।   
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|+हिन्दी के व्यंजन
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====<u>संयुक्त व्यंजन</u>====
====<u>संयुक्त व्यंजन</u>====
*दो व्यंजनों के योग से बने हुए व्यंजनों को 'संयुक्त-व्यंजन कहते हैं।  
*दो व्यंजनों के योग से बने हुए व्यंजनों को 'संयुक्त-व्यंजन कहते हैं।  
*[[हिन्दी]] में निम्नलिखित तीन व्यंजन ऐसे हैं, जो दो-दो व्यंजनों के योग से बने हैं, किन्तु एक व्यंजन के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
*[[हिन्दी]] में निम्नलिखित तीन व्यंजन ऐसे हैं, जो दो-दो व्यंजनों के योग से बने हैं, किन्तु एक व्यंजन के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
# क् और ष के योग से बना हुआ- क्ष
# क् और ष के योग से बना हुआ- '''क्ष'''
# त् और र के योग से बना हुआ- त्र
# त् और र के योग से बना हुआ- '''त्र'''
# ज् और ञ के योग से बना हुआ- ज्ञ
# ज् और ञ के योग से बना हुआ- '''ज्ञ'''
==व्यंजन के भेद==
==व्यंजन के भेद==
व्यंजन के 4 भेद होते हैं।
व्यंजन के 4 भेद होते हैं।
;<u>स्पर्श</u>
====<u>1.स्पर्श</u>====
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| म
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;<u>स्पर्श- संघर्षी</u>
====<u>2.स्पर्श- संघर्षी</u>====
तालव्य, तालु, , , , ,
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;<u>अंत:स्थ व्यंजन</u>  
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! वर्ग
! उच्चारण स्थान
! अघोष अल्पप्राण
! अघोष महाप्राण
! सघोष अल्पप्राण
! सघोष महाप्राण
! नासिक्य
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| तालव्य
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====<u>3.अंत:स्थ व्यंजन</u>====
*य- (सघोष अल्पप्राण, तालव्य, उच्चारण स्थान- तालु)
*य- (सघोष अल्पप्राण, तालव्य, उच्चारण स्थान- तालु)
*र- (सघोष अल्पप्राण, वर्त्स्य, उच्चारण स्थान- दंतमूल)
*र- (सघोष अल्पप्राण, वर्त्स्य, उच्चारण स्थान- दंतमूल)
*ल- (सघोष अल्पप्राण, वर्त्स्य, उच्चारण स्थान- दंतमूल)
*ल- (सघोष अल्पप्राण, वर्त्स्य, उच्चारण स्थान- दंतमूल)
*व- (सघोष अल्पप्राण, दंतोष्ठ्य, उच्चारण स्थान- निचले होंठ और ऊपर के दाँत)
*व- (सघोष अल्पप्राण, दंतोष्ठ्य, उच्चारण स्थान- निचले होंठ और ऊपर के दाँत)
;<u>ऊष्म (संघर्षी) व्यंजन</u>
====<u>4.ऊष्म (संघर्षी) व्यंजन</u>====
*श- (अघोष, तालव्य, उच्चारण स्थान- तालु)
*श- (अघोष, तालव्य, उच्चारण स्थान- तालु)
*ष- (अघोष, मूर्धन्य, उच्चारण स्थान- तालु का मूर्धा भाग)
*ष- (अघोष, मूर्धन्य, उच्चारण स्थान- तालु का मूर्धा भाग)
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*ह- (सघोष, स्वरयंत्रीय, उच्चारण स्थान- स्वरयंत्र)
*ह- (सघोष, स्वरयंत्रीय, उच्चारण स्थान- स्वरयंत्र)


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==संबंधित लेख==
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09:14, 14 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

  • स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण 'व्यंजन' कहलाते हैं।
  • परंपरागत रूप से व्यंजनों की संख्या 33 मानी जाती है।
  • द्विगुण व्यंजन ड़, ढ़ को जोड़ देने पर इनकी संख्या 35 हो जाती है।
हिन्दी के व्यंजन
ड़ ढ़

संयुक्त व्यंजन

  • दो व्यंजनों के योग से बने हुए व्यंजनों को 'संयुक्त-व्यंजन कहते हैं।
  • हिन्दी में निम्नलिखित तीन व्यंजन ऐसे हैं, जो दो-दो व्यंजनों के योग से बने हैं, किन्तु एक व्यंजन के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
  1. क् और ष के योग से बना हुआ- क्ष
  2. त् और र के योग से बना हुआ- त्र
  3. ज् और ञ के योग से बना हुआ- ज्ञ

व्यंजन के भेद

व्यंजन के 4 भेद होते हैं।

1.स्पर्श

वर्ग उच्चारण स्थान अघोष अल्पप्राण अघोष महाप्राण सघोष अल्पप्राण सघोष महाप्राण नासिक्य
कंठ्य गला ड़
मूर्धन्य तालु का मूर्धा भाग
दंत्य दाँत
ओष्ठ्य दोनों होठ

2.स्पर्श- संघर्षी

वर्ग उच्चारण स्थान अघोष अल्पप्राण अघोष महाप्राण सघोष अल्पप्राण सघोष महाप्राण नासिक्य
तालव्य तालु

3.अंत:स्थ व्यंजन

  • य- (सघोष अल्पप्राण, तालव्य, उच्चारण स्थान- तालु)
  • र- (सघोष अल्पप्राण, वर्त्स्य, उच्चारण स्थान- दंतमूल)
  • ल- (सघोष अल्पप्राण, वर्त्स्य, उच्चारण स्थान- दंतमूल)
  • व- (सघोष अल्पप्राण, दंतोष्ठ्य, उच्चारण स्थान- निचले होंठ और ऊपर के दाँत)

4.ऊष्म (संघर्षी) व्यंजन

  • श- (अघोष, तालव्य, उच्चारण स्थान- तालु)
  • ष- (अघोष, मूर्धन्य, उच्चारण स्थान- तालु का मूर्धा भाग)
  • स- (अघोष, वर्त्स्य, उच्चारण स्थान- दंतमूल)
  • ह- (सघोष, स्वरयंत्रीय, उच्चारण स्थान- स्वरयंत्र)


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