"अब तो मज़हब -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Gopaldas-Neeraj.jp...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 30: | पंक्ति 30: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem>अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया | <poem> | ||
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, | |||
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए। | जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए। | ||
जिसकी ख़ुशबू से महक जाय पड़ोसी का भी घर | जिसकी ख़ुशबू से महक जाय पड़ोसी का भी घर, | ||
फूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए। | फूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए। | ||
आग बहती है यहाँ गंगा में झेलम में भी | आग बहती है यहाँ गंगा में, झेलम में भी, | ||
कोई बतलाए कहाँ जाके नहाया जाए। | कोई बतलाए कहाँ जाके नहाया जाए। | ||
प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिए | प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिए, | ||
हर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए। | हर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए। | ||
मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा | मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा, | ||
मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए। | मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए। | ||
जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे | जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे, | ||
मेरा | मेरा आँसू तेरी पलकों से उठाया जाए। | ||
गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रूबाई है दुखी | गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रूबाई है दुखी, | ||
ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बुलाया जाए। | ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बुलाया जाए। | ||
06:05, 14 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||
|
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख