"कलकत्ता: 300 साल -राजेश जोशी": अवतरणों में अंतर

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यह नहीं सोचा गया
यह नहीं सोचा गया
कि बेचैन पीढियां
कि बेचैन पीढियां
जन्म लेंगी यहाँ
जन्म लेंगी यहाँ।


शर बसते वक़्त
शहर बसते वक़्त
यह भी नहीं सोचा गया
यह भी नहीं सोचा गया
कि बच्चे हो जायेंगे
कि बच्चे हो जायेंगे
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कि एक नस्ल का
कि एक नस्ल का
पेट चीरा जाएगा
पेट चीरा जाएगा
दो सौ अस्सी साल बाद
दो सौ अस्सी साल बाद।


अब युवाओं से
अब युवाओं से
किसी को ख़तरा नहीं है
किसी को ख़तरा नहीं है,
किशोर कक्षाओं में जाते हैं
किशोर कक्षाओं में जाते हैं,
और शासक कहते हैं :
और शासक कहते हैं :
यह एक मरता हुआ शहर है।
यह एक मरता हुआ शहर है।

05:51, 24 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

कलकत्ता: 300 साल -राजेश जोशी
राजेश जोशी
राजेश जोशी
कवि राजेश जोशी
जन्म 18 जुलाई, 1946
जन्म स्थान नरसिंहगढ़, मध्य प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'समरगाथा- एक लम्बी कविता', एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, दो पंक्तियों के बीच, पतलून पहना आदमी धरती का कल्पतरु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
राजेश जोशी की रचनाएँ

शहर बसाते वक़्त
यह नहीं सोचा गया
कि बेचैन पीढियां
जन्म लेंगी यहाँ।

शहर बसते वक़्त
यह भी नहीं सोचा गया
कि बच्चे हो जायेंगे
बुतशिकन ...

मिस्त्रियों को


यह मालूम नहीं था
कि एक नस्ल का
पेट चीरा जाएगा
दो सौ अस्सी साल बाद।

अब युवाओं से
किसी को ख़तरा नहीं है,
किशोर कक्षाओं में जाते हैं,
और शासक कहते हैं :
यह एक मरता हुआ शहर है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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