"जर्णा का अंग -कबीर": अवतरणों में अंतर
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भारी कहौं तो बहु डरौं, हलका कहूं तौ | भारी कहौं तो बहु डरौं, हलका कहूं तौ झूठ। | ||
मैं का जाणौं राम कूं, नैनूं कबहूँ न | मैं का जाणौं राम कूं, नैनूं कबहूँ न दीठ॥1॥ | ||
दीठा है तो कस कहूँ, कह्या न को | दीठा है तो कस कहूँ, कह्या न को पतियाय। | ||
हरि जैसा है तैसा रहो, तू हरषि-हरषि गुण | हरि जैसा है तैसा रहो, तू हरषि-हरषि गुण गाइ॥2॥ | ||
पहुँचेंगे तब कहैंगे ,उमड़ैंगे उस | पहुँचेंगे तब कहैंगे, उमड़ैंगे उस ठांइ। | ||
अजहूँ बेरा समंद मैं, बोलि बिगूचैं | अजहूँ बेरा समंद मैं, बोलि बिगूचैं कांइ॥3॥ | ||
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12:53, 25 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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भारी कहौं तो बहु डरौं, हलका कहूं तौ झूठ। |
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