"क्यों, आखिर क्यों? -कन्हैयालाल नंदन": अवतरणों में अंतर

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अधरों पर उठ रही शिकायतें
अधरों पर उठ रही शिकायतें
सिया,
सिया,
फूँक-फूँक कदम रखे,
फूँक-फूँक क़दम रखे,
चले साथ-साथ,
चले साथ-साथ,
मगर
मगर
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हिलती है एक-एक चूल!
हिलती है एक-एक चूल!


रफू ग़लतफ़हमियाँ
रफू ग़लतफ़हमियाँ,
जीते हैं दिन!
जीते हैं दिन!
रातों को चूभते हैं
रातों को चुभते हैं
यादों के पिन
यादों के पिन,
पतझर में भोर हुई
पतझर में भोर हुई
शाम हुई पतझर में
शाम हुई पतझर में,
कब होगी मधुऋतु
कब होगी मधुऋतु
अनुकूल
अनुकूल
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
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14:16, 11 मई 2012 के समय का अवतरण

क्यों, आखिर क्यों? -कन्हैयालाल नंदन
कन्हैयालाल नंदन
कन्हैयालाल नंदन
कवि कन्हैयालाल नंदन
जन्म 1 जुलाई, 1933
जन्म स्थान फतेहपुर ज़िले के परसदेपुर गांव, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 25 सितंबर, 2010
मृत्यु स्थान दिल्ली
मुख्य रचनाएँ लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, आग के रंग आदि।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कन्हैयालाल नंदन की रचनाएँ

हो गई क्या हमसे
कोई भूल?
बहके-बहके लगने लगे फूल!

अपनी समझ में तो
कुछ नहीं किया,
अधरों पर उठ रही शिकायतें
सिया,
फूँक-फूँक क़दम रखे,
चले साथ-साथ,
मगर
तन पर क्यों उग रहे बबूल?

नज़रों में पनप गई
शंका की बेल,
हाथों में
थमी कोई अजनबी नकेल!
आस्था का अटल सेतुबंध
लड़खड़ाता है
हिलती है एक-एक चूल!

रफू ग़लतफ़हमियाँ,
जीते हैं दिन!
रातों को चुभते हैं
यादों के पिन,
पतझर में भोर हुई
शाम हुई पतझर में,
कब होगी मधुऋतु
अनुकूल
तन पर...



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