"राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य''' [[राजस्थान]] के [[कोटा]] से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  
'''राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य''' [[राजस्थान]] के [[कोटा]] से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण्य 280 वर्ग किलोमीटर के [[जल]] क्षेत्र में फैला हुआ है। दक्षिण पूर्वी राजस्थान में [[चम्बल नदी]] पर राणा प्रताप सागर से चम्बल नदी के बहाव तक इसका फैलाव है।


*यह वन्य जीव अभयारण्य घड़ियालों और पतले मुँह वाले [[मगरमच्छ|मगरमच्छों]] के लिए बहुत लोकप्रिय है।
*यह वन्य जीव अभयारण्य घड़ियालों और पतले मुँह वाले [[मगरमच्छ|मगरमच्छों]] के लिए बहुत लोकप्रिय है।
*पानी में मगरमच्छ तथा घड़ियाल प्रकृति की गोद में अपना जीवन-यापन एवं वंश समृद्धि करते हैं।
*इस अभयारण्य को 'दर्राह वन्य जीव अभयारण्य' भी कहा जाता है।
*इस अभयारण्य को 'दर्राह वन्य जीव अभयारण्य' भी कहा जाता है।
*अभयारण्य में चीते, वाइल्डबोर, [[तेंदुआ|तेंदुए]] और हिरन आदि प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
*अभयारण्य में चीते, वाइल्डबोर, [[तेंदुआ|तेंदुए]] और हिरन आदि प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
*यहाँ पर बहुत कम जगह दिखाई देने वाला दुर्लभ 'कराकल' भी देखा जा सकता है।
*यहाँ पर बहुत कम जगह दिखाई देने वाला दुर्लभ 'कराकल' भी देखा जा सकता है।
*इस अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य घड़ियालों की प्रजाति को संरक्षित करना तथा उनकी संख्या में वृद्धि करना है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

07:47, 29 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण

राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य राजस्थान के कोटा से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण्य 280 वर्ग किलोमीटर के जल क्षेत्र में फैला हुआ है। दक्षिण पूर्वी राजस्थान में चम्बल नदी पर राणा प्रताप सागर से चम्बल नदी के बहाव तक इसका फैलाव है।

  • यह वन्य जीव अभयारण्य घड़ियालों और पतले मुँह वाले मगरमच्छों के लिए बहुत लोकप्रिय है।
  • पानी में मगरमच्छ तथा घड़ियाल प्रकृति की गोद में अपना जीवन-यापन एवं वंश समृद्धि करते हैं।
  • इस अभयारण्य को 'दर्राह वन्य जीव अभयारण्य' भी कहा जाता है।
  • अभयारण्य में चीते, वाइल्डबोर, तेंदुए और हिरन आदि प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
  • यहाँ पर बहुत कम जगह दिखाई देने वाला दुर्लभ 'कराकल' भी देखा जा सकता है।
  • इस अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य घड़ियालों की प्रजाति को संरक्षित करना तथा उनकी संख्या में वृद्धि करना है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख