"मुस्कुराकर चल मुसाफिर -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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वह प्रगति भी क्या जिसे कुछ रंगिनी कलियाँ तितलियाँ, | वह प्रगति भी क्या जिसे कुछ रंगिनी कलियाँ तितलियाँ, | ||
मुस्कुराकर गुनगुनाकर ध्येय-पथ, | मुस्कुराकर गुनगुनाकर ध्येय-पथ, मंज़िल भुला दें? | ||
ज़िन्दगी की राह पर केवल वही पंथी सफल है, | |||
आँधियों में, बिजलियों में जो रहे अविचल मुसाफिर! | आँधियों में, बिजलियों में जो रहे अविचल मुसाफिर! | ||
पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर॥ | पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर॥ | ||
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है अधिक अच्छा यही फिर ग्रंथ पर चल मुस्कुराता, | है अधिक अच्छा यही फिर ग्रंथ पर चल मुस्कुराता, | ||
मुस्कुराती जाए जिससे | मुस्कुराती जाए जिससे ज़िन्दगी असफल मुसाफिर! | ||
पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर। | पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर। | ||
पंक्ति 52: | पंक्ति 52: | ||
वे समय के पंथ पर पदचिह्न अपने छोड़ जाते, | वे समय के पंथ पर पदचिह्न अपने छोड़ जाते, | ||
चिह्न वे जिनको न धो सकते प्रलय-तूफ़ान घन भी, | |||
मूक रह कर जो सदा भूले हुओं को पथ बताते, | मूक रह कर जो सदा भूले हुओं को पथ बताते, | ||
किन्तु जो कुछ मुश्किलें ही देख पीछे लौट पड़ते, | किन्तु जो कुछ मुश्किलें ही देख पीछे लौट पड़ते, | ||
ज़िन्दगी उनकी उन्हें भी भार ही केवल मुसाफिर! | |||
पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर॥ | पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर॥ | ||
14:18, 3 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण
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पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर! |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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