"प्रौद्योगिकी की माया -राजेश जोशी": अवतरणों में अंतर
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अचानक ही बिजली गुल हो गयी | अचानक ही बिजली गुल हो गयी | ||
और बंद हो गया माइक | और बंद हो गया माइक | ||
ओह उस वक्ता की | ओह उस वक्ता की आवाज़ का जादू | ||
जो इतनी देर से अपनी गिरफ्त में बांधे हुए था मुझे | जो इतनी देर से अपनी गिरफ्त में बांधे हुए था मुझे | ||
कितनी | कितनी कमज़ोर और धीमी थी वह आवाज | ||
एकाएक तभी मैंने जाना | एकाएक तभी मैंने जाना | ||
उसकी | उसकी आवाज़ का शासन खत्म हुआ | ||
तो उधड़ने लगी अब तक उसके बोले गये की परतें | तो उधड़ने लगी अब तक उसके बोले गये की परतें | ||
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13:00, 14 मई 2013 के समय का अवतरण
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अचानक ही बिजली गुल हो गयी |
टीका टिप्पणी और संदर्भबाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख
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