"लेकिन मन आज़ाद नहीं है -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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देख रहा है राम राज्य का | देख रहा है राम राज्य का | ||
स्वप्न आज साकेत हमारा | स्वप्न आज साकेत हमारा | ||
खूनी | खूनी कफ़न ओढ़ लेती ह | ||
लाश मगर दशरथ के प्रण की | लाश मगर दशरथ के प्रण की | ||
10:03, 17 मई 2013 के समय का अवतरण
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तन तो आज स्वतंत्र हमारा, लेकिन मन आज़ाद नहीं है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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