"मुहब्बत का घर -कन्हैयालाल नंदन": अवतरणों में अंतर

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मैं तुम्हारा हूँ तुम तो सँभालो मुझे।
मैं तुम्हारा हूँ तुम तो सँभालो मुझे।


जिंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिये
ज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिये
हो सके तो भरम से निकालो मुझे।
हो सके तो भरम से निकालो मुझे।


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मुहब्बत का घर -कन्हैयालाल नंदन
कन्हैयालाल नंदन
कन्हैयालाल नंदन
कवि कन्हैयालाल नंदन
जन्म 1 जुलाई, 1933
जन्म स्थान फतेहपुर ज़िले के परसदेपुर गांव, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 25 सितंबर, 2010
मृत्यु स्थान दिल्ली
मुख्य रचनाएँ लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, आग के रंग आदि।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कन्हैयालाल नंदन की रचनाएँ

तेरा जहान बड़ा है,तमाम होगी जगह
उसी में थोड़ी जगह मेरी मुकर्रर कर दे

मैं ईंट गारे वाले घर का तलबगार नहीं
तू मेरे नाम मुहब्बत का एक घर कर दे।

मैं ग़म को जी के निकल आया,बच गयीं खुशियाँ
उन्हें जीने का सलीका मेरी नज़र कर दे।

मैं कोई बात तो कह लूँ कभी करीने से
खुदारा! मेरे मुकद्दर में वो हुनर कर दे!

अपनी महफिल से यूँ न टालो मुझे
मैं तुम्हारा हूँ तुम तो सँभालो मुझे।

ज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिये
हो सके तो भरम से निकालो मुझे।

मोतियों के सिवा कुछ नहीं पाओगे
जितना जी चाहो उतना खँगालो मुझे।

मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ
जब जी चाहो जला लो ,बुझा लो मुझे।

जिस्म तो ख्वाब है,कल को मिट जायेगा,
रूह कहने लगी है,बचा लो मुझे।

फूल बनकर खिलूँगा बिखर जाऊँगा
खुशबुओं की तरह से बसा लो मुझे।

दिल से गहरा न कोई समंदर मिला
देखना हो तो अपना बना लो मुझे।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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