"सती संतोसी सावधान -कबीर": अवतरणों में अंतर
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सती | सती संतोसी सावधान, सबदभेद सुबिचार। | ||
सतगुर के परसाद तैं, सहज शील मत सार॥ | सतगुर के परसाद तैं, सहज शील मत सार॥ | ||
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12:20, 11 जनवरी 2014 के समय का अवतरण
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सती संतोसी सावधान, सबदभेद सुबिचार। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि जो साधक सत्यनिष्ठ है, सहनशील है और अवधानपूर्वक सभी ध्वनियों के रहस्य पर भली-भाँति विचार करता है, वह सत्गुरु के कृपा से उस सहज अवस्था को प्राप्त करता है जो सब मतों का सार है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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