"साँसों के मुसाफिर -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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गलियाँ गाँव गुँजाता चल, | गलियाँ गाँव गुँजाता चल, | ||
पथ-पथ फूल बिछाता चल, | पथ-पथ फूल बिछाता चल, | ||
हर | हर दरवाज़ा रामदुआरा सबको शीश झुकाता चल। | ||
राही हैं सब एक डगर के सब पर प्यार लुटाता चल।। | राही हैं सब एक डगर के सब पर प्यार लुटाता चल।। | ||
14:27, 31 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
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इसको भी अपनाता चल, |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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