"हर जगह आकाश -राजेश जोशी": अवतरणों में अंतर

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एक अविभाजित वितान है आकाश
एक अविभाजित वितान है आकाश
जो न कहीं से शुरू होता है न कहीं खत्म
जो न कहीं से शुरू होता है न कहीं खत्म
मैं दरवाजा खोल कर घुसता हूं, अपने ही घर में
मैं दरवाज़ा खोल कर घुसता हूं, अपने ही घर में
और एक आकाश में प्रवेश करता हूं
और एक आकाश में प्रवेश करता हूं
सीढ़ियां चढ़ता हूं
सीढ़ियां चढ़ता हूं

14:27, 31 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

हर जगह आकाश -राजेश जोशी
राजेश जोशी
राजेश जोशी
कवि राजेश जोशी
जन्म 18 जुलाई, 1946
जन्म स्थान नरसिंहगढ़, मध्य प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'समरगाथा- एक लम्बी कविता', एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, दो पंक्तियों के बीच, पतलून पहना आदमी धरती का कल्पतरु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
राजेश जोशी की रचनाएँ

बोले और सुने जा रहे के बीच जो दूरी है
वह एक आकाश है
मैं खूंटी से उतार कर एक कमीज पहनता हूं
और एक आकाश के भीतर घुस जाता हूं
मैं जूते में अपना पांव डालता हूं
और एक आकाश मोजे की तरह चढ़ जाता है
मेरे पांवों पर
नेलकटर से अपने नाखून काटता हूं
तो आकाश का एक टुकड़ा कट जाता है

एक अविभाजित वितान है आकाश
जो न कहीं से शुरू होता है न कहीं खत्म
मैं दरवाज़ा खोल कर घुसता हूं, अपने ही घर में
और एक आकाश में प्रवेश करता हूं
सीढ़ियां चढ़ता हूं
और आकाश में धंसता चला जाता हूं

आकाश हर जगह एक घुसपैठिया है

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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