"इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय": अवतरणों में अंतर
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*इस संग्रहालय में 32 पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं। | *इस संग्रहालय में 32 पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं। | ||
*संग्रहालय परिसर में वन-प्रान्तों, पर्वतीय, समुद्र-तटीय तथा अन्य क्षेत्रों के मूल निवासियों द्वारा निर्मित या उन क्षेत्रों से प्रतिस्थापित तथा देश की विविध मौलिक समाजों की जीवन पद्धतियों को प्रतिबिम्बित करती सामग्रियों और मूर्त वस्तुओं से युक्त जनजातियों के आवासों के प्रकारों की मुक्ताकाश प्रदर्शनी मानव विकास की अविरल परंपरा से अवगत कराती है। | *संग्रहालय परिसर में वन-प्रान्तों, पर्वतीय, समुद्र-तटीय तथा अन्य क्षेत्रों के मूल निवासियों द्वारा निर्मित या उन क्षेत्रों से प्रतिस्थापित तथा देश की विविध मौलिक समाजों की जीवन पद्धतियों को प्रतिबिम्बित करती सामग्रियों और मूर्त वस्तुओं से युक्त जनजातियों के आवासों के प्रकारों की मुक्ताकाश प्रदर्शनी मानव विकास की अविरल परंपरा से अवगत कराती है। | ||
*प्रमुख आदिवासी प्रजातियों में [[टोडा जनजाति|टोडा]], बाराली, बाडो, कछरी, कोटा, सोवरा, गदेव, कुटियाक, [[अगरिया]], राजवद, करवी, [[भील]] की झोपड़ियाँ, बस्तर का रथ, मारिया लोगों का घोटुल, 110 फीट लकड़ी की बनी लकड़ी की नाव, शैलचित्र आदि अनेक प्रदर्शन है। | *प्रमुख आदिवासी प्रजातियों में [[टोडा जनजाति|टोडा]], बाराली, बाडो, कछरी, कोटा, सोवरा, गदेव, कुटियाक, [[अगरिया]], राजवद, करवी, [[भील]] की झोपड़ियाँ, बस्तर का रथ, [[मारिया जनजाति|मारिया]] लोगों का घोटुल, 110 फीट लकड़ी की बनी लकड़ी की नाव, शैलचित्र आदि अनेक प्रदर्शन है। | ||
*मानव संग्रहालय द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के मानव समूहों द्वारा संजोयी हुई धरोहरों, लोकगीतों आदि को जन-सामान्य का परिचय कराने हेतु समय-समय पर विविध समारोहों का आयोजन भी किया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://citybhopal.com/IndiraGandhiMusim.html |title=इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय |accessmonthday=[[22 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हमारा शहर भोपाल |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | *मानव संग्रहालय द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के मानव समूहों द्वारा संजोयी हुई धरोहरों, लोकगीतों आदि को जन-सामान्य का परिचय कराने हेतु समय-समय पर विविध समारोहों का आयोजन भी किया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://citybhopal.com/IndiraGandhiMusim.html |title=इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय |accessmonthday=[[22 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हमारा शहर भोपाल |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
*[[मार्च]] [[1985]] में इस संग्रहालय का पुनः नामकरण किया गया और इसको राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नाम से जाना गया। फिर सन [[1993]] में एक कैबिनेट के फैसले के माध्यम से इस संग्रहालय का नाम तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गांधी|श्रीमती इंदिरा गांधी]] के नाम पर 'इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय' कर दिया गया।<ref name="igrms" /> | *[[मार्च]] [[1985]] में इस संग्रहालय का पुनः नामकरण किया गया और इसको राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नाम से जाना गया। फिर सन [[1993]] में एक कैबिनेट के फैसले के माध्यम से इस संग्रहालय का नाम तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गांधी|श्रीमती इंदिरा गांधी]] के नाम पर 'इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय' कर दिया गया।<ref name="igrms" /> |
11:53, 12 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
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विवरण | श्यामला पहाड़ी के शैल शिखरों पर लगभग 200 एकड़ परिक्षेत्र में स्थापित है। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
नगर | भोपाल |
निर्माण | 21 मार्च, 1977[1] |
मार्ग स्थिति | राजा भोज हवाई अड्डे से लगभग 20 किमी की दूरी पर है। |
गूगल मानचित्र | |
अन्य जानकारी | मार्च 1985 में इस संग्रहालय का पुनः नामकरण किया गया और इसको राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नाम से जाना गया।[1] |
अद्यतन | 17:46, 7 मई 2012 (IST)
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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय मध्य प्रदेश के भोपाल शहर की बड़ी झील के पार्श्व में स्थित श्यामला पहाड़ी के शैल शिखरों पर लगभग 200 एकड़ परिक्षेत्र में स्थापित है।
- इस संग्रहालय में 32 पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं।
- संग्रहालय परिसर में वन-प्रान्तों, पर्वतीय, समुद्र-तटीय तथा अन्य क्षेत्रों के मूल निवासियों द्वारा निर्मित या उन क्षेत्रों से प्रतिस्थापित तथा देश की विविध मौलिक समाजों की जीवन पद्धतियों को प्रतिबिम्बित करती सामग्रियों और मूर्त वस्तुओं से युक्त जनजातियों के आवासों के प्रकारों की मुक्ताकाश प्रदर्शनी मानव विकास की अविरल परंपरा से अवगत कराती है।
- प्रमुख आदिवासी प्रजातियों में टोडा, बाराली, बाडो, कछरी, कोटा, सोवरा, गदेव, कुटियाक, अगरिया, राजवद, करवी, भील की झोपड़ियाँ, बस्तर का रथ, मारिया लोगों का घोटुल, 110 फीट लकड़ी की बनी लकड़ी की नाव, शैलचित्र आदि अनेक प्रदर्शन है।
- मानव संग्रहालय द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के मानव समूहों द्वारा संजोयी हुई धरोहरों, लोकगीतों आदि को जन-सामान्य का परिचय कराने हेतु समय-समय पर विविध समारोहों का आयोजन भी किया जाता है।[2]
- मार्च 1985 में इस संग्रहालय का पुनः नामकरण किया गया और इसको राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नाम से जाना गया। फिर सन 1993 में एक कैबिनेट के फैसले के माध्यम से इस संग्रहालय का नाम तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के नाम पर 'इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय' कर दिया गया।[1]
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वीथिका
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मुखौटे, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
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मुखौटे, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
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मृदंग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
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घरेलू सामान, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय