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==हिंदी का राष्ट्रभाषा के रूप में विकास==
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
'''हिंदी''' भारतीय [[गणराज]] की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है। सन [[2001]] की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय [[हिंदी]] का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं। सन [[1998]] के पूर्व, मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आँकड़े मिलते थे, उनमें हिन्दी को तीसरा स्थान दिया जाता था।
{{इतिहास सामान्य ज्ञान नोट}}
==राष्ट्रभाषा क्या है==
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
*राष्ट्रभाषा का शाब्दिक अर्थ है—समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त भाषा अर्थात् आमजन की भाषा (जनभाषा)। जो भाषा समस्त राष्ट्र में जन–जन के विचार–विनिमय का माध्यम हो, वह राष्ट्रभाषा कहलाती है।
{| class="bharattable-green" width="100%"
*राष्ट्रभाषा राष्ट्रीय एकता एवं अंतर्राष्ट्रीय संवाद सम्पर्क की आवश्यकता की उपज होती है। वैसे तो सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ होती हैं, किन्तु राष्ट्र की जनता जब स्थानीय एवं तत्कालिक हितों व पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर अपने राष्ट्र की कई भाषाओं में से किसी एक भाषा को चुनकर उसे राष्ट्रीय अस्मिता का एक आवश्यक उपादान समझने लगती है तो वही राष्ट्रभाषा है।
*स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रभाषा की आवश्यकता होती है। भारत के सन्दर्भ में इस आवश्यकता की पूर्ति हिंदी ने की। यही कारण है कि हिंदी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान<ref>विशेषतः 1900 ई.-1947 ई.</ref> राष्ट्रभाषा बनी।
* राष्ट्रभाषा शब्द कोई संवैधानिक शब्द नहीं है, बल्कि यह प्रयोगात्मक, व्यावहारिक व जनमान्यता प्राप्त शब्द है।
* राष्ट्रभाषा सामाजिक, सांस्कृतिक स्तर पर देश को जोड़ने का काम करती है अर्थात् राष्ट्रभाषा की प्राथमिक शर्त देश में विभिन्न समुदायों के बीच भावनात्मक एकता स्थापित करना है।
* राष्ट्रभाषा का प्रयोग क्षेत्र विस्तृत और देशव्यापी होता है। राष्ट्रभाषा सारे देश की सम्पर्क–भाषा होती है। इसका व्यापक जनाधार होता है।
* राष्ट्रभाषा हमेशा स्वभाषा ही हो सकती है क्योंकि उसी के साथ जनता का भावनात्मक लगाव होता है।
* राष्ट्रभाषा का स्वरूप लचीला होता है और इसे जनता के अनुरूप किसी रूप में ढाला जा सकता है।
====अंग्रेज़ों का योगदान====
*राष्ट्रभाषा सारे देश की सम्पर्क भाषा होती है। हिंदी दीर्घकाल से सारे देश में जन–जन के पारस्परिक सम्पर्क की भाषा रही है। यह केवल उत्तरी भारत की नहीं, बल्कि दक्षिण भारत के आचार्यों [[वल्लभाचार्य]], [[रामानुज]], [[रामानंद]] आदि ने भी इसी भाषा के माध्यम से अपने मतों का प्रचार किया था। अहिंदी भाषी राज्यों के भक्त–संत कवियों (जैसे—[[असम]] के शंकरदेव, [[महाराष्ट्र]] के [[ज्ञानेश्वर]] व नामदेव, [[गुजरात]] के [[नरसी मेहता]], बंगाल के [[चैतन्य महाप्रभु|चैतन्य]] आदि) ने इसी भाषा को अपने धर्म और साहित्य का माध्यम बनाया था।
*यही कारण था कि जनता और सरकार के बीच संवाद स्थापना के क्रम में फ़ारसी या अंग्रेज़ी के माध्यम से दिक्कतें पेश आईं तो कम्पनी सरकार ने फ़ोर्ट विलियम कॉलेज में हिन्दुस्तानी विभाग खोलकर अधिकारियों को हिंदी सिखाने की व्यवस्था की। यहाँ से हिंदी पढ़े हुए अधिकारियों ने भिन्न–भिन्न क्षेत्रों में उसका प्रत्यक्ष लाभ देकर मुक्त कंठ से हिंदी को सराहा।
*'''सी. टी. मेटकाफ़ ने 1806 ई. में अपने शिक्षा गुरु [[जॉन गिलक्राइस्ट]] को लिखा'''— 'भारत के जिस भाग में भी मुझे काम करना पड़ा है, [[कलकत्ता]] से लेकर [[लाहौर]] तक, कुमाऊँ के पहाड़ों से लेकर [[नर्मदा नदी]] तक मैंने उस भाषा का आम व्यवहार देखा है, जिसकी शिक्षा आपने मुझे दी है। मैं [[कन्याकुमारी]] से लेकर [[कश्मीर]] तक या जावा से सिंधु तक इस विश्वास से यात्रा करने की हिम्मत कर सकता हूँ कि मुझे हर जगह ऐसे लोग मिल जाएँगे जो हिन्दुस्तानी बोल लेते होंगे।'
*'''टॉमस रोबक ने 1807 ई. में लिखा'''— 'जैसे [[इंग्लैण्ड]] जाने वाले को लैटिन सेक्सन या फ़्रेंच के बदले अंग्रेज़ी सीखनी चाहिए, वैसे ही भारत आने वाले को अरबी–फ़ारसी या संस्कृत के बदले हिन्दुस्तानी सीखनी चाहिए।'
*'''विलियम केरी ने 1816 ई. में लिखा'''— 'हिंदी किसी एक प्रदेश की भाषा नहीं बल्कि देश में सर्वत्र बोली जाने वाली भाषा है।'
*'''एच. टी. कोलब्रुक ने लिखा'''— 'जिस भाषा का व्यवहार भारत के प्रत्येक प्रान्त के लोग करते हैं, जो पढ़े–लिखे तथा अनपढ़ दोनों की साधारण बोलचाल की भाषा है, जिसको प्रत्येक गाँव में थोड़े बहुत लोग अवश्य ही समझ लेते हैं, उसी का यथार्थ नाम हिंदी है।'
*'''[[जार्ज ग्रियर्सन]] ने हिंदी को 'आम बोलचाल की महाभाषा' कहा है।
*इन विद्वानों के मंतव्यों से स्पष्ट है कि हिंदी की व्यावहारिक उपयोगिता, देशव्यापी प्रसार एवं प्रयोगगत लचीलेपन के कारण [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने हिंदी को अपनाया। उस समय हिंदी और उर्दू को एक ही भाषा माना जाता था। अंग्रेज़ों ने हिंदी को प्रयोग में लाकर हिंदी की महती संभावनाओं की ओर राष्ट्रीय नेताओं एवं साहित्यकारों का ध्यान खींचा।
 
====धर्म/समाज सुधारकों का योगदान====
*धर्म/समाज सुधार की प्रायः सभी संस्थाओं ने हिंदी के महत्त्व को भाँपा और हिंदी की हिमायत की।
*[[ब्रह्म समाज]] (1828 ई.) के संस्थापक [[राजा राममोहन राय]] ने कहा, '''इस समग्र देश की एकता के लिए हिंदी अनिवार्य है।''' ब्रह्मसमाजी [[केशव चंद्र सेन]] ने 1875 ई. में एक लेख लिखा, भारतीय एकता कैसे हो, 'जिसमें उन्होंने लिखा— '''उपाय है सारे भारत में एक ही भाषा का व्यवहार।''' अभी जितनी भाषाएँ भारत में प्रचलित हैं, उनमें हिंदी भाषा लगभग सभी जगह प्रचलित है। यह हिंदी अगर भारतवर्ष की एकमात्र भाषा बन जाए तो यह काम सहज ही और शीघ्र ही सम्पन्न हो सकता है। एक अन्य ब्रह्मसमाजी नवीन चंद्र राय ने [[पंजाब]] में हिंदी के विकास के लिए स्तुत्य योगदान दिया।
*[[आर्य समाज]] (1875 ई.) के संस्थापक [[स्वामी दयानंद सरस्वती]] गुजराती भाषी थे एवं [[गुजराती भाषा|गुजराती]] व [[संस्कृत]] के अच्छे जानकार थे। हिंदी का उन्हें सिर्फ़ कामचलाऊ ज्ञान था, पर अपनी बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए तथा देश की एकता को मज़बूत करने के लिए उन्होंने अपना सारा धार्मिक साहित्य हिंदी में ही लिखा। उनका कहना था कि '''हिंदी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।''' वे इस 'आर्यभाषा' को सर्वात्मना देशोन्नति का मुख्य आधार मानते थे। उन्होंने हिंदी के प्रयोग को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। वे कहते थे, 'मेरी आँखें उस दिन को देखना चाहती हैं, जब [[कश्मीर]] से [[कन्याकुमारी]] तक सब भारतीय एक भाषा समझने और बोलने लग जाएँगे।
*अरविन्द दर्शन के प्रणेता [[अरविन्द घोष]] की सलाह थी कि 'लोग अपनी–अपनी मातृभाषा की रक्षा करते हुए सामान्य भाषा के रूप में हिंदी को ग्रहण करें।'
*[[थियोसोफ़िकल सोसाइटी]] (1875 ई.) की संचालिका [[एनी बेसेंट]] ने कहा था, "भारतवर्ष के भिन्न–भिन्न भागों में जो अनेक देशी भाषाएँ बोली जाती हैं, उनमें एक भाषा ऐसी है जिसमें शेष सब भाषाओं की अपेक्षा एक भारी विशेषता है, वह यह कि उसका प्रचार सबसे अधिक है। वह भाषा हिंदी है। हिंदी जानने वाला आदमी सम्पूर्ण भारतवर्ष में यात्रा कर सकता है और उसे हर जगह हिंदी बोलने वाले मिल सकते हैं। भारत के सभी स्कूलों में हिंदी की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए।"
*उपर्युक्त धार्मिक/सामाजिक संस्थाओं के अतिरिक्त [[प्रार्थना समाज]]<ref>स्थापना 1867 ई., संस्थापक—आत्मारंग पाण्डुरंग</ref>, सनातन धर्म सभा<ref>स्थापना 1895 ई., संस्थापक—[[दीनदयाल उपाध्याय|पंडित दीनदयाल]]</ref>, [[रामकृष्ण मिशन]]<ref>स्थापना 1897 ई., संस्थापक—[[स्वामी विवेकानंद]]</ref> आदि ने हिंदी के प्रचार में योग दिया।
*इससे लगता है कि धर्म/समाज सुधारकों की यह सोच बन चुकी थी कि राष्ट्रीय स्तर पर संवाद स्थापित करने के लिए हिंदी आवश्यक है। वे जानते थे कि हिंदी बहुसंख्यक जन की भाषा है, एक प्रान्त के लोग दूसरे प्रान्त के लोगों से सिर्फ़ इस भाषा में ही विचारों का आदान–प्रदान कर सकते हैं। भावी राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को बढ़ाने का कार्य इन्हीं धर्म/समाज सुधारकों ने किया।
====कांग्रेस के नेताओं का योगदान====
*[[1885]] ई. में [[कांग्रेस]] की स्थापना हुई। जैसे–जैसे कांग्रेस का राष्ट्रीय आंदोलन ज़ोर पकड़ता गया, वैसे–वैसे राष्ट्रीयता, राष्ट्रीय झण्डा एवं राष्ट्रभाषा के प्रति आग्रह बढ़ता ही गया।
*[[1917]] ई. में [[लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक]] ने कहा, "यद्यपि मैं उन लोगों में से हूँ, जो चाहते हैं और जिनका विचार है कि हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।" तिलक ने भारतवासियों से आग्रह किया कि वे हिंदी सीखें।
*[[महात्मा गाँधी]] राष्ट्र के लिए राष्ट्रभाषा को नितांत आवश्यक मानते थे। उनका कहना था, "राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।" गाँधीजी हिंदी के प्रश्न को स्वराज का प्रश्न मानते थे— "हिंदी का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।" उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में सामने रखकर भाषा–समस्या पर गम्भीरता से विचार किया। 1917 ई. में भड़ौंच में आयोजित गुजरात शिक्षा परिषद के अधिवेशन में सभापति पद से भाषण देते हुए गाँधीजी ने कहा,
'''राष्ट्रभाषा के लिए 5 लक्षण या शर्तें होनी चाहिए'''—
#अमलदारों के लिए वह भाषा सरल होनी चाहिए।
#यह ज़रूरी है कि भारतवर्ष के बहुत से लोग उस भाषा को बोलते हों।
#उस भाषा के द्वारा भारतवर्ष का अपनी धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवहार होना चाहिए।
#राष्ट्र के लिए वह भाषा आसान होनी चाहिए।
#उस भाषा का विचार करते समय किसी क्षणिक या अल्पस्थायी स्थिति पर ज़ोर नहीं देना चाहिए।"
वर्ष 1918 ई. में हिंदी साहित्य सम्मेलन के [[इन्दौर]] अधिवेशन में सभापति पद से भाषण देते हुए गाँधी जी ने राष्ट्रभाषा हिंदी का समर्थन किया, "मेरा यह मत है कि हिंदी ही हिन्दुस्तान की राष्ट्रभाषा हो सकती है और होनी चाहिए।" इसी अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि प्रतिवर्ष 6 दक्षिण भारतीय युवक हिंदी सीखने के लिए प्रयाग भेजें जाएँ और 6 उत्तर भारतीय युवक को दक्षिण भाषाएँ सीखने तथा हिंदी का प्रसार करने के लिए [[दक्षिण भारत]] में भेजा जाए। इन्दौर सम्मेलन के बाद उन्होंने हिंदी के कार्य को राष्ट्रीय व्रत बना दिया। दक्षिण में प्रथम हिंदी प्रचारक के रूप में गाँधीजी ने अपने सबसे छोटे पुत्र देवदास गाँधी को दक्षिण में [[चेन्नई]] भेजा। गाँधीजी की प्रेरणा से मद्रास (1927 ई.) एवं वर्धा (1936 ई.) में राष्ट्रभाषा प्रचार सभाएँ स्थापित की गईं।
*वर्ष 1925 ई. में कांग्रेस के [[कानपुर]] अधिवेशन में गाँधीजी की प्रेरणा से यह प्रस्ताव पारित हुआ कि 'कांग्रेस का, कांग्रेस की महासमिति का और कार्यकारिणी समिति का काम–काज आमतौर पर हिंदी में चलाया जाएगा।' इस प्रस्ताव में हिंदी–आंदोलन को बड़ा बल मिला।
*वर्ष [[1927]] ई. में गाँधीजी ने लिखा, "वास्तव में ये [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] में बोलने वाले नेता हैं, जो आम जनता में हमारा काम जल्दी आगे बढ़ने नहीं देते। वे हिंदी सीखने से इंकार करते हैं, जबकि हिंदी द्रविड़ प्रदेश में भी तीन महीने के अन्दर सीखी जा सकती है।
[[चित्र:Hindi.jpg|300px|right|thumb]]
*वर्ष [[1927]] ई. में [[सी. राजगोपालाचारी]] ने दक्षिण वालों को हिंदी सीखने की सलाह दी और कहा, "हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा तो है ही, यही जनतंत्रात्मक भारत में [[राजभाषा]] भी होगी।"
*वर्ष [[1928]] ई. में प्रस्तुत [[नेहरू रिपोर्ट]] में भाषा सम्बन्धी सिफ़ारिश में कहा गया था, "[[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] अथवा [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में लिखी जाने वाली हिन्दुस्तानी भारत की राष्ट्रभाषा होगी, परन्तु कुछ समय के लिए अंग्रेज़ी का उपयोग ज़ारी रहेगा।" सिवाय 'देवनागरी या फ़ारसी' की जगह 'देवनागरी' तथा 'हिन्दुस्तानी' की जगह 'हिंदी' रख देने के अंततः स्वतंत्र भारत के संविधान में इसी मत को अपना लिया गया।
*वर्ष 1929 ई. में [[सुभाषचंद्र बोस]] ने कहा, "प्रान्तीय ईर्ष्या–द्वेष को दूर करने में जितनी सहायता इस हिंदी प्रचार से मिलेगी, उतनी दूसरी किसी चीज़ से नहीं मिल सकती। अपनी प्रान्तीय भाषाओं की भरपूर उन्नति कीजिए, उसमें कोई बाधा नहीं डालना चाहता और न हम किसी की बाधा को सहन ही कर सकते हैं। पर सारे प्रान्तों की सार्वजनिक भाषा का पद हिंदी या हिन्दुस्तानी को ही मिला है।"
*वर्ष 1931 ई. में गाँधीजी ने लिखा, "यदि स्वराज्य अंगेज़ी–पढ़े भारतवासियों का है और केवल उनके लिए है तो सम्पर्क भाषा अवश्य अंग्रेज़ी होगी। यदि वह करोड़ों भूखे लोगों, करोड़ों निरक्षर लोगों, निरक्षर स्त्रियों, सताए हुए अछूतों के लिए है तो सम्पर्क भाषा केवल हिंदी हो सकती है।" गाँधीजी जनता की बात जनता की भाषा में करने के पक्षधर थे।
*वर्ष 1936 ई. में गाँधीजी ने कहा, "अगर हिन्दुस्तान को सचमुच आगे बढ़ना है तो चाहे कोई माने या न माने राष्ट्रभाषा तो हिंदी ही बन सकती है, क्योंकि जो स्थान हिंदी को प्राप्त है, वह किसी और भाषा को नहीं मिल सकता है।"
*वर्ष 1937 ई. में देश के कुछ राज्यों में कांग्रेस मंत्रिमंडल गठित हुआ। इन राज्यों में हिंदी की पढ़ाई को प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया गया।
*जैसे–जैसे स्वतंत्रता संग्राम तीव्रतम होता गया वैसे–वैसे हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का आंदोलन ज़ोर पकड़ता गया। 20वीं सदी के चौथे दशक तक हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में आम सहमति प्राप्त कर चुकी थी। वर्ष 1942 से 1945 का समय ऐसा था जब देश में स्वतंत्रता की लहर सबसे अधिक तीव्र थी, तब राष्ट्रभाषा से ओत–प्रोत जितनी रचनाएँ हिंदी में लिखी गईं उतनी शायद किसी और भाषा में इतने व्यापक रूप से कभी नहीं लिखी गई। राष्ट्रभाषा प्रचार के साथ राष्ट्रीयता के प्रबल हो जाने पर अंग्रेज़ों को भारत छोड़ना पड़ा।
{|
|- valign="top"
|
{| class="bharattable" border="1"
|+ राष्ट्रभाषा आंदोलन (हिंदी आंदोलन) से सम्बन्धित धार्मिक–सामाजिक संस्थाएँ
|-
! नाम
! मुख्यालय
! स्थापना
! संस्थापक
|-
|-
| [[ब्रह्मसमाज|ब्रह्म समाज]]
| valign="top"|
| [[कलकत्ता]]
{| width="100%"
| 1828 ई.
| [[राजा राममोहन राय]]
|-
| [[प्रार्थना समाज]]
| [[मुम्बई|बंबई]]
| [[1867]] ई.
| आत्मारंग पाण्डुरंग
|-
| [[आर्य समाज]]
| [[मुम्बई|बंबई]]
| [[1875]] ई.
| [[दयानन्द सरस्वती]]
|-
| [[थियोसॉफिकल सोसायटी]]
| अडयार, [[चेन्नई]]
| [[1882]] ई.
| कर्नल एच.एस.आल्काट एवं मैडम एच.पी.ब्लैवेत्स्की
|-
| सनातन धर्म सभा
| [[वाराणसी]]
| [[1895]] ई.
| पं. दीनदयाल शर्मा
|-
| [[रामकृष्ण मिशन|(भारत धर्म महामंडल-1902 में नाम परिवर्तन) रामकृष्ण मिशन]]
| [[बेलूर]]
| [[1897]] ई.
| [[विवेकानंद]]
|}
|
|
{| class="bharattable" border="1"
<quiz display=simple>
|+ राष्ट्रभाषा आंदोलन से सम्बन्धित साहित्यिक संस्थाएँ
{'पेरिप्लस मैरिस एरिथ्रियन सी' के लेखक को पादौक के रूप में ज्ञात बन्दरगाह कौन-सा था?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-757
|-
|type="()"}
! नाम
+[[अरिकमेडु]]
! मुख्यालय
-[[ताम्रलिप्ति]]
! स्थापना
-कोकाई
|-
-बारबैरिकम
| [[नागरी प्रचारिणी सभा]]
| [[वाराणसी]]
{ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में भारतीय और पश्चिमी व्यापारियों का सबसे बड़ा व्यापारिसंगम-स्थल कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-758
| [[1893]] . (संस्थापक-त्रयी—[[श्यामसुन्दर दास|श्यामसुंदर दास]], रामनारायण मिश्र व [[ठाकुर शिव कुमार सिंह|शिवकुमार सिंह)]]
|type="()"}
|-
-देडेसिया
| हिंदी साहित्य सम्मेलन
+एलेक्जेंड्रिया या सिकन्दरिया
| [[प्रयाग]]
-तक्षशिला
| [[1910]] . (प्रथम सभापति– [[मदन मोहन मालवीय]])
-पालमायरा
|-
 
| गुजरात विद्यापीठ
{[[भारत]] में हिन्द-यूनानी शासन की स्थापना से पूर्व सिक्कों का प्रसारण किसके द्वारा किया जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-759
| [[अहमदाबाद]]
|type="()"}
| [[1920]] .
-शासकों
|-
-व्यक्तिगत व्यापारियों
| हिन्दुस्तानी एकेडमी
-व्यापारिक निगमों
| [[इलाहाबाद]]
+उपर्युक्त सभी
| [[1927]] .
|-
{सर्वाधिक संख्या में रोमन सिक्के कहाँ से पाए गए हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-760
| दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (पूर्व नाम- हिंदी साहित्य सम्मेलन)
|type="()"}
| [[चेन्नई]]
-[[केरल]]
| [[1927]] .
-[[तमिलनाडु]]
|-
+उपर्युक्त दोनों
| हिंदी विद्यापीठ
-[[पश्चिम बंगाल|पश्चिमी बंगाल]]
| [[देवघर]]
| [[1929]] .
{वह कौन प्रथम भारतीय शासक था, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-761
|-
|type="()"}
| राष्ट्रभाषा प्रचार समिति
-शुंग
| वर्धा
-हिन्द-यूनानी
| [[1936]] .
+[[कुषाण]]
|-
-[[गुप्तवंश]]
| महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा
| [[पुणे]]
{[[उत्तर भारत]] के किस नगर को सर्वोत्तम रेशम उत्पादन केन्द्र माना जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-762
| [[1937]] .
|type="()"}
|-
-[[तक्षशिला]]
| बंबई हिंदी विद्यापीठ
-[[पाटलिपुत्र]]
| [[बंबई]]
-[[कौशाम्बी]]
| [[1938]] ई.
+[[वाराणसी]]
|-
| असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति
{एक प्राचीन भारतीय राजवंश के शासकों ने उसके साम्राज्य में निवास करने वाले विभिन्न [[धर्म|धर्मों]] के लोगों द्वरापूजित 35 [[देवी]]-[[देवता|देवताओं]] की आकृतियों को अपने सिक्के पर अंकित कराया। उक्त राजवंश था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-763
| [[गुवाहाटी]]
|type="()"}
| [[1938]] .
-[[मौर्य वंश|मौर्य]]
|-
-शक
| [[बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना]]
+[[कुषाण वंश|कुषाण]]
| [[पटना]]
-[[गुप्त राजवंश|गुप्त]]
| [[1951]] .
|-
{[[भारत]] और पश्चिम एशिया के मध्य मुख्यत: स्थल मार्ग कहाँ से गुजरता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-764
| अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ
|type="()"}
|  
+[[खैबर दर्रा]] और [[काबुल]]
| [[1964]] .
-खैबर और [[बोलन दर्रा]]
|-
-[[तक्षशिला]], [[पेशावर]] और [[काबुल]]
| नागरी लिपि परिषद
-[[काबुल]] और [[बामियान]]
| [[नई दिल्ली]]
| [[1975]] .
{[[मौर्योत्तर काल]] में [[पश्चिम भारत]] में व्यापार का सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-765
|}
|type="()"}
|}
-सुपरिक
-कल्याण
-[[चोल]]
+[[भरुकच्छ]]
{'सिन्ध-सौवीर' प्राचीन [[भारत]] में किसलिए प्रसिद्ध था?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-766
|type="()"}
-उत्तम तलवारों एवं कटारों के उत्पादन
+घोड़ों एवं खच्चरों के व्यापार
-ऊनी वस्त्र उद्योग
-चमड़े की वस्तुओं के उत्पादन
 
 
 
{पतंजली के अनुसार [[मथुरा]] वस्त्र उद्योग का मुख्य केन्द्र था, कपड़े की निम्नलिखित कौन-सी किस्म वहाँ उत्पादित होती थी? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-767
|type="()"}
-दुकूल
+सटक
-क्षौम
-चीनांसुक
{सर्वप्रथम किस गुप्त सम्राट के समय के अभिलेख उत्तरी बंगाल से मिले थे? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-943
|type="()"}
-[[चंद्रगुप्त प्रथम]]
-[[चंद्रगुप्त द्वितीय]]
+[[कुमारगुप्त प्रथम]]
-[[समुद्रगुप्त]]
{[[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] जनपदों की सूची में प्रथम जनपद का सम्मान निम्न में से किसे दिया गया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-944
|type="()"}
+[[मालवा]]
-[[मगध]]
-[[प्रयाग]]
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
{गुप्त संवत् (319-320) को प्रारंभ करने का श्रेय किसे दिया जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-945
|type="()"}
-श्रीगुप्त
+[[चंद्रगुप्त प्रथम]]
-[[समुद्रगुप्त]]
-कुमारगुप्त
{[[हरिषेण]] किस शासक का दरबारी [[कवि]] था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-946
|type="()"}
+[[समुद्रगुप्त]]
-[[अशोक]]
-[[कनिष्क]]
-[[चंद्रगुप्त द्वितीय]]
{[[गुप्त काल]] को [[प्राचीन भारत]] का क्लासिकल युग क्यों कहा जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-947
|type="()"}
-व्यापार में अभूतपूर्ण प्रगति के कारण।
+[[कला]] एवं [[साहित्य]] के क्षेत्र के अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के कारण।
-प्रचुर मात्रा में स्वर्ण सिक्के चिलाये जाने के कारण
-उपर्युक्त सभी के कारण
 
{धन्वंतरी निम्न में से किसके कारण प्रसिद्ध थे: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-948
|type="()"}
-गणितज्ञ होने के कारण
+[[आयुर्वेद]] के विद्वान एवं चिकित्सक होने के कारण
-[[ज्योतिष]] का प्रसिद्ध विद्वान के कारण
-प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ होने के कारण
 
{[[गुप्त काल]] का प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कौन था?  (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-949
|type="()"}
-[[भास्कराचार्य]]
-[[वराहमिहिर]]
+[[आर्यभट्ट]]
-[[ब्रह्मगुप्त]]
{[[गुप्त काल]] में [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की [[काँस्य]] निर्मित प्रतिमा कहाँ से प्राप्त हुई है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-950
|type="()"}
+[[सुल्तानगंज]]
-[[बोधगया]]
-[[अजंता]]
-[[मथुरा]]
{[[सती प्रथा]] का पहला उल्लेख कहाँ से मिलता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-951
|type="()"}
-भीतरगांव लेख से
-विलसंड स्तंभलेख से
+एरण अभिलेख से
-भितरी स्तंभलेख से
 
 
 
{[[गुप्त वंश]] के किस शासक ने हूणों को परास्त किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-652
|type="()"}
+[[स्कन्दगुप्त]]
-[[चंद्रगुप्त द्वितीय]]
-[[समुद्रगुप्त]]
-[[रामगुप्त]]
{शतपथ ब्राह्मण में शिव को निम्नलिखित में से किस नाम से जाना जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-860
|type="()"}
-गिरित्र
-कपर्दिन
+सहस्त्राक्ष
-शतरुद्रिय
{[[कालिदास]] के किस [[ग्रंथ]] में प्रत्यभिज्ञा दर्शन का निरूपण हुआ था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-861
|type="()"}
-[[रघुवंश]]
-[[कुमारसम्भव]]
+[[अभिज्ञान शाकुंतलम्|अभिज्ञान शाकुंतलम]]
-[[मेघदूत]]
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा स्थल 'त्रिमूर्ति' के लिए विख्यात है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-862
|type="()"}
-[[अजंता]]
-[[एलोरा]]
+एलिफेण्टा
-इनमें से कोई नहीं
{[[संगम युग]] में प्रांतों को मंडलम में विभाजित किया गया था और मंडलम का भी उपविभाजन निम्नलिखित में से किसमें हुआ था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-863
|type="()"}
+नाडु
-कुर्रम
-कोट्टम
-उर
{निम्नलिखित में से कौन-सी रचना संगम-युगीन मदुराई नगर का सुन्दर वर्णन प्रस्तुत करती है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-864
|type="()"}
+मणिमेकलै
-[[शिलप्पादिकारम]]
-कुराल अथवा तिरुकुराल
-पत्तप्पाट्टु
{[[संगम युग]] में 'वरियम' शब्द किसका सूचक था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-865
|type="()"}
-[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को अनुदान में दिए गए राजस्व मुक्त ग्राम।
+राजस्व प्रदान करने वाली क्षेत्रीय इकाई।
-भू-राजस्व वसूल करने वाला प्रभारी अधिकारी।
-ग्रामसभाओं की प्रबंधक समिति।
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र राज्य की आय का एक स्त्रोत नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-866
|type="()"}
-राजकीय सम्पत्ति तथा राजकोष
-राज्य व्यापार
-मार्ग-शुल्क और सीमा-शुल्क
+दीवानी मुकदमों पर (स्टाम्प) न्याय-शुल्क
 
{[[संगम युग]] में [[भारत]] द्वारा आयातित सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण वस्तु क्या थी? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-867
|type="()"}
+[[सोना]] और [[चाँदी]]
-मृदभाण्ड एवं काँच के बर्तन
-[[मदिरा]] एवं दासियाँ
-[[घोड़ा|घोड़े]]
{निम्नलिखित में कौन-सा राजवंश [[संगम युग|परवर्ती संगम युग]] में चेर राजाओं के साथ निरंतर युद्ध में लगा रहा? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-868
|type="()"}
-[[चोल राजवंश|चोल]]
+[[पाण्ड्य राजवंश|पाण्ड्य]]
-[[इक्ष्वाकु वंश|इक्ष्वाकु]]
-[[पल्लव]]
 
 
 
{[[संगम युग]] में 'कोडै' क्या था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-913
|type="()"}
+उपहार प्रदान करने वाली संस्था
-ऊँची भूमि
-रमणीय पर्वतीय स्थल
-जनसभा
 
{[[संगम युग]] में विनिमय की दर निश्चित नहीं थी, परंतु दो वस्तुओं का आपसी विनियम बराबर मात्रा में होता था, वे वस्तुएँ थी: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-914
|type="()"}
-[[मछली]] और [[नमक]]
-[[धान]] और [[मछली]]
-[[दाल]] और [[नमक]]
+[[धान]] और [[नमक]]
{आरम्भिक तमिल लेखों पर किन [[भाषा|भाषाओं]] का प्रभाव नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-915
|type="()"}
-[[संस्कृत]]
-[[प्राकृत]]
-[[पालि]]
+[[कन्नड़]]
{[[संगम युग]] में 'वेत्वी' का अर्थ था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-916
|type="()"}
-पशुओं की चोरी
-पशुओं के लिए युद्ध
+[[गाय]] का हरण
-गाय के लिए युद्ध
{[[संगम युग]] में संगम [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में वर्णित नगर 'वसव समुद्र' हैं: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-917
|type="()"}
+[[मद्रास]]
-[[मदुरै]]
-कावेरीपट्टनम
-मुसिरी
 
{[[तमिल]] [[काव्य]] में आगम वर्ग की कविताएँ: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-918
|type="()"}
-प्रेम संबंधी है।
-राजाओं की प्रशंसा में हैं।
-[[प्रकृति]] की प्रशंसा हैं।
+[[शिव|भगवान शिव]] की प्रशंसा में हैं।
{[[गुप्त]] किसके सामंत थे? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-919
|type="()"}
-[[मौर्य वंश|मौर्यों के]]
+[[कुषाण वंश|कुषाणों के]]
-[[सातवाहन वंश|सातवाहनों के]]
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
{[[गुप्त वंश]] का संस्थापक कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-920
|type="()"}
-[[घटोत्कच गुप्त|घटोत्कचगुप्त]]
-[[चंद्रगुप्त प्रथम|चंद्रगुप्त प्रथम ने]]
+[[श्रीगुप्त]]
-[[रामगुप्त]]
{[[गुप्त वंश]] के किस शासन ने सर्वप्रथम महाधिराज की उपाधि धारण की? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-921
|type="()"}
-[[श्रीगुप्त |श्रीगुप्त ने]]
+[[चंद्रगुप्त प्रथम|चंद्रगुप्त प्रथम ने]]
-[[घटोत्कच गुप्त|घटोत्कचगुप्त]]
-[[समुद्रगुप्त|समुद्रगुप्त ने]]
{मेहरौली का स्तम्भ लेख किस शासक से संबंधित है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-923
|type="()"}
+[[चंद्रगुप्त द्वितीय]]
-[[चंद्रगुप्त मौर्य]]
-[[अशोक]]
-[[समुद्रगुप्त]]
 
 
 
{[[गुप्तोत्तर काल]] के बारे में निम्न में से क्या तात्पर्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1000
|type="()"}
-इस [[काल]] में गाँव भी अपनी मुद्रा जारी करने लगे।
-ग्रामीण समुदायों के भूमि संबंधी अधिकारों का ह्रास हुआ।
-एक नये भूमिधर वर्ग का उदय हुआ एवं व्यापार का पतन हुआ।
+राष्ट्रकूटों ने सैनिकों को भूमि अनुदान नहीं दिया।
{किस इतिहासकार ने [[गुप्तोत्तर काल|गुप्तोत्तरकालीन]] सामाजिक, आर्थिक संगठन एवं संरचना के लिए सामंतवाद शब्द का प्रयोग किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1001
|type="()"}
-[[ए. एस. अल्तेकर]]
+[[आर. एस. शर्मा]]
-[[के. पी. जायसवाल]]
-इनमें से कोई नहीं
{[[गुप्तोत्तर काल|गुप्तोत्तरकालीन]] भूमि व्यवस्था के बारे में कौन-सा कथन सत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1002
|type="()"}
-अर्थव्यवस्था कृषि मूलक थी।
-राज सत्ता भू-सम्पत्ति से घनिष्ठ रूप से संबद्ध हो गयी।
-अभिलेखों में सामूहिक स्वामित्व के साक्ष्य प्राप्त होते हैं।
+उपर्युक्त सभी
 
{[[गुप्त काल]] के 18 करों में वह प्रमुख कर कौन-सा था, जो 16 से 25 प्रतिशत तक वसूला जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1003
|type="()"}
-भोग
-भूतवातप्रत्याय
+उद्रंग
-प्रणय
 
{[[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में प्रयुक्त "आभ्यांतर सिद्ध" से ध्वनित होता है: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1004
|type="()"}
+फौजदारी एवं दीवानी मामले
-सामंतों की कार्य प्रणाली
-दो सामंतों के मध्य विवाद
-इनमें से कोई नहीं
 
{निम्नलिखित [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में से किसके [[गुप्तोत्तर काल|गुप्तोत्तरकालीन]] भू-राजस्व व्यवस्था पर प्रकाश नहीं पड़ता: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1005
|type="()"}
-[[हर्षचरति |हर्षचरति]]
-अपराजितापृच्छा
-राजतरंगिणी
+काव्यादर्श
 
{[[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] भू-माप के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1006
|type="()"}
-गुप्त काल में भूमि 'हस्त' से नापी जाती थी।
-हस्त से बड़ी इकाई धनु थी।
-भूमि माप हेतु सरकंडों का उपयोग किया जाता था।
+उपयुक्त सभी


{[[गुप्तत्तोर काल|गुप्तत्तोरकालीन]] करों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1007
|type="()"}
-परहीनक पशुओं द्वारा की गई हानि की क्षतिपूर्ति के रूप में लिया जाता था।
-राजकीय भूमि पर कृषि कर सीता कहलाता था।
-अवल्गक सेनाभक्त की तरह का ही एक कर था।
+हलिराकर हलवाईयों पर लगने वाला कर था।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक3|पूर्णता=|शोध=}}
{[[गुप्त काल]] में प्रशासनिक इकाइयों का सही क्रमागर स्तर निम्न में से कौन व्यक्त करता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1008
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
|type="()"}
<references/>
+भुक्ति, विषय, पेठ, ग्राम
==बाहरी कड़ियाँ==
-विषय, भुक्ति, पेठ, ग्राम
*[http://www.pravakta.com/indian-aryan-languages-of-the-indo-european-family भारोपीय परिवार की भारतीय भाषाएँ]
-पेठ, विषय, भुक्ति, ग्राम
*[http://www.pravakta.com/reflections-in-relation-to-hindi-language हिन्दी भाषा के सम्बंध में कुछ विचार]
-भुक्ति, पेठ, वुषय, ग्राम
*[http://www.rachanakar.org/2010/03/blog-post_3350.html हिन्दी भाषा-क्षेत्र एवं हिन्दी के क्षेत्रगत रूप]
*[http://www.scribd.com/doc/22142436/Hindi-Urdu हिन्दी-उर्दू का अद्वैत]
*[http://www.scribd.com/doc/22573933/Hindi-kee-antarraashtreeya-bhoomikaa हिन्दी की अन्तरराष्ट्रीय भूमिका]


==संबंधित लेख==
{[[गुप्त काल]] में बड़े पैमाने पर जारी सोने के सिक्के का वास्तविक स्त्रोत निम्न में से क्या है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1010
{{हिन्दी भाषा}}{{भाषा और लिपि}}{{व्याकरण}}
|type="()"}
[[Category:भाषा और लिपि]][[Category:भाषा कोश]][[Category:साहित्य कोश]]
-रोम के साथ जारी लाभदायक व्यापार
[[Category:हिन्दी भाषा]]
-कोलार की खान पर अधिकार
[[Category:जनगणना अद्यतन]]
+पूर्ववर्ती युग के व्यापार से संचित स्वर्ग
__INDEX__
-शकों से छीना गया मुद्रा भण्डार
__NOTOC__
</quiz>
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06:34, 23 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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1 'पेरिप्लस मैरिस एरिथ्रियन सी' के लेखक को पादौक के रूप में ज्ञात बन्दरगाह कौन-सा था?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-757

अरिकमेडु
ताम्रलिप्ति
कोकाई
बारबैरिकम

2 ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में भारतीय और पश्चिमी व्यापारियों का सबसे बड़ा व्यापारिसंगम-स्थल कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-758

देडेसिया
एलेक्जेंड्रिया या सिकन्दरिया
तक्षशिला
पालमायरा

3 भारत में हिन्द-यूनानी शासन की स्थापना से पूर्व सिक्कों का प्रसारण किसके द्वारा किया जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-759

शासकों
व्यक्तिगत व्यापारियों
व्यापारिक निगमों
उपर्युक्त सभी

4 सर्वाधिक संख्या में रोमन सिक्के कहाँ से पाए गए हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-760

केरल
तमिलनाडु
उपर्युक्त दोनों
पश्चिमी बंगाल

5 वह कौन प्रथम भारतीय शासक था, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-761

शुंग
हिन्द-यूनानी
कुषाण
गुप्तवंश

6 उत्तर भारत के किस नगर को सर्वोत्तम रेशम उत्पादन केन्द्र माना जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-762

तक्षशिला
पाटलिपुत्र
कौशाम्बी
वाराणसी

7 एक प्राचीन भारतीय राजवंश के शासकों ने उसके साम्राज्य में निवास करने वाले विभिन्न धर्मों के लोगों द्वरापूजित 35 देवी-देवताओं की आकृतियों को अपने सिक्के पर अंकित कराया। उक्त राजवंश था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-763

मौर्य
शक
कुषाण
गुप्त

8 भारत और पश्चिम एशिया के मध्य मुख्यत: स्थल मार्ग कहाँ से गुजरता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-764

खैबर दर्रा और काबुल
खैबर और बोलन दर्रा
तक्षशिला, पेशावर और काबुल
काबुल और बामियान

9 मौर्योत्तर काल में पश्चिम भारत में व्यापार का सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-765

सुपरिक
कल्याण
चोल
भरुकच्छ

10 'सिन्ध-सौवीर' प्राचीन भारत में किसलिए प्रसिद्ध था?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-766

उत्तम तलवारों एवं कटारों के उत्पादन
घोड़ों एवं खच्चरों के व्यापार
ऊनी वस्त्र उद्योग
चमड़े की वस्तुओं के उत्पादन

11 पतंजली के अनुसार मथुरा वस्त्र उद्योग का मुख्य केन्द्र था, कपड़े की निम्नलिखित कौन-सी किस्म वहाँ उत्पादित होती थी? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-767

दुकूल
सटक
क्षौम
चीनांसुक

12 सर्वप्रथम किस गुप्त सम्राट के समय के अभिलेख उत्तरी बंगाल से मिले थे? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-943

चंद्रगुप्त प्रथम
चंद्रगुप्त द्वितीय
कुमारगुप्त प्रथम
समुद्रगुप्त

13 गुप्तकालीन जनपदों की सूची में प्रथम जनपद का सम्मान निम्न में से किसे दिया गया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-944

मालवा
मगध
प्रयाग
उपर्युक्त में से कोई नहीं

14 गुप्त संवत् (319-320) को प्रारंभ करने का श्रेय किसे दिया जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-945

श्रीगुप्त
चंद्रगुप्त प्रथम
समुद्रगुप्त
कुमारगुप्त

15 हरिषेण किस शासक का दरबारी कवि था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-946

समुद्रगुप्त
अशोक
कनिष्क
चंद्रगुप्त द्वितीय

16 गुप्त काल को प्राचीन भारत का क्लासिकल युग क्यों कहा जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-947

व्यापार में अभूतपूर्ण प्रगति के कारण।
कला एवं साहित्य के क्षेत्र के अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के कारण।
प्रचुर मात्रा में स्वर्ण सिक्के चिलाये जाने के कारण
उपर्युक्त सभी के कारण

17 धन्वंतरी निम्न में से किसके कारण प्रसिद्ध थे: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-948

गणितज्ञ होने के कारण
आयुर्वेद के विद्वान एवं चिकित्सक होने के कारण
ज्योतिष का प्रसिद्ध विद्वान के कारण
प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ होने के कारण

18 गुप्त काल का प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-949

भास्कराचार्य
वराहमिहिर
आर्यभट्ट
ब्रह्मगुप्त

19 गुप्त काल में भगवान बुद्ध की काँस्य निर्मित प्रतिमा कहाँ से प्राप्त हुई है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-950

सुल्तानगंज
बोधगया
अजंता
मथुरा

20 सती प्रथा का पहला उल्लेख कहाँ से मिलता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-951

भीतरगांव लेख से
विलसंड स्तंभलेख से
एरण अभिलेख से
भितरी स्तंभलेख से

21 गुप्त वंश के किस शासक ने हूणों को परास्त किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-652

स्कन्दगुप्त
चंद्रगुप्त द्वितीय
समुद्रगुप्त
रामगुप्त

22 शतपथ ब्राह्मण में शिव को निम्नलिखित में से किस नाम से जाना जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-860

गिरित्र
कपर्दिन
सहस्त्राक्ष
शतरुद्रिय

23 कालिदास के किस ग्रंथ में प्रत्यभिज्ञा दर्शन का निरूपण हुआ था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-861

रघुवंश
कुमारसम्भव
अभिज्ञान शाकुंतलम
मेघदूत

24 निम्नलिखित में से कौन-सा स्थल 'त्रिमूर्ति' के लिए विख्यात है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-862

अजंता
एलोरा
एलिफेण्टा
इनमें से कोई नहीं

25 संगम युग में प्रांतों को मंडलम में विभाजित किया गया था और मंडलम का भी उपविभाजन निम्नलिखित में से किसमें हुआ था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-863

नाडु
कुर्रम
कोट्टम
उर

26 निम्नलिखित में से कौन-सी रचना संगम-युगीन मदुराई नगर का सुन्दर वर्णन प्रस्तुत करती है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-864

मणिमेकलै
शिलप्पादिकारम
कुराल अथवा तिरुकुराल
पत्तप्पाट्टु

27 संगम युग में 'वरियम' शब्द किसका सूचक था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-865

ब्राह्मणों को अनुदान में दिए गए राजस्व मुक्त ग्राम।
राजस्व प्रदान करने वाली क्षेत्रीय इकाई।
भू-राजस्व वसूल करने वाला प्रभारी अधिकारी।
ग्रामसभाओं की प्रबंधक समिति।

28 निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र राज्य की आय का एक स्त्रोत नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-866

राजकीय सम्पत्ति तथा राजकोष
राज्य व्यापार
मार्ग-शुल्क और सीमा-शुल्क
दीवानी मुकदमों पर (स्टाम्प) न्याय-शुल्क

29 संगम युग में भारत द्वारा आयातित सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण वस्तु क्या थी? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-867

सोना और चाँदी
मृदभाण्ड एवं काँच के बर्तन
मदिरा एवं दासियाँ
घोड़े

30 निम्नलिखित में कौन-सा राजवंश परवर्ती संगम युग में चेर राजाओं के साथ निरंतर युद्ध में लगा रहा? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-868

चोल
पाण्ड्य
इक्ष्वाकु
पल्लव

31 संगम युग में 'कोडै' क्या था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-913

उपहार प्रदान करने वाली संस्था
ऊँची भूमि
रमणीय पर्वतीय स्थल
जनसभा

32 संगम युग में विनिमय की दर निश्चित नहीं थी, परंतु दो वस्तुओं का आपसी विनियम बराबर मात्रा में होता था, वे वस्तुएँ थी: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-914

मछली और नमक
धान और मछली
दाल और नमक
धान और नमक

33 आरम्भिक तमिल लेखों पर किन भाषाओं का प्रभाव नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-915

संस्कृत
प्राकृत
पालि
कन्नड़

34 संगम युग में 'वेत्वी' का अर्थ था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-916

पशुओं की चोरी
पशुओं के लिए युद्ध
गाय का हरण
गाय के लिए युद्ध

35 संगम युग में संगम ग्रंथों में वर्णित नगर 'वसव समुद्र' हैं: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-917

मद्रास
मदुरै
कावेरीपट्टनम
मुसिरी

36 तमिल काव्य में आगम वर्ग की कविताएँ: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-918

प्रेम संबंधी है।
राजाओं की प्रशंसा में हैं।
प्रकृति की प्रशंसा हैं।
भगवान शिव की प्रशंसा में हैं।

37 गुप्त किसके सामंत थे? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-919

मौर्यों के
कुषाणों के
सातवाहनों के
उपर्युक्त में से कोई नहीं

38 गुप्त वंश का संस्थापक कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-920

घटोत्कचगुप्त
चंद्रगुप्त प्रथम ने
श्रीगुप्त
रामगुप्त

39 गुप्त वंश के किस शासन ने सर्वप्रथम महाधिराज की उपाधि धारण की? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-921

श्रीगुप्त ने
चंद्रगुप्त प्रथम ने
घटोत्कचगुप्त
समुद्रगुप्त ने

40 मेहरौली का स्तम्भ लेख किस शासक से संबंधित है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-923

चंद्रगुप्त द्वितीय
चंद्रगुप्त मौर्य
अशोक
समुद्रगुप्त

41 गुप्तोत्तर काल के बारे में निम्न में से क्या तात्पर्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1000

इस काल में गाँव भी अपनी मुद्रा जारी करने लगे।
ग्रामीण समुदायों के भूमि संबंधी अधिकारों का ह्रास हुआ।
एक नये भूमिधर वर्ग का उदय हुआ एवं व्यापार का पतन हुआ।
राष्ट्रकूटों ने सैनिकों को भूमि अनुदान नहीं दिया।

42 किस इतिहासकार ने गुप्तोत्तरकालीन सामाजिक, आर्थिक संगठन एवं संरचना के लिए सामंतवाद शब्द का प्रयोग किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1001

ए. एस. अल्तेकर
आर. एस. शर्मा
के. पी. जायसवाल
इनमें से कोई नहीं

43 गुप्तोत्तरकालीन भूमि व्यवस्था के बारे में कौन-सा कथन सत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1002

अर्थव्यवस्था कृषि मूलक थी।
राज सत्ता भू-सम्पत्ति से घनिष्ठ रूप से संबद्ध हो गयी।
अभिलेखों में सामूहिक स्वामित्व के साक्ष्य प्राप्त होते हैं।
उपर्युक्त सभी

44 गुप्त काल के 18 करों में वह प्रमुख कर कौन-सा था, जो 16 से 25 प्रतिशत तक वसूला जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1003

भोग
भूतवातप्रत्याय
उद्रंग
प्रणय

45 गुप्तकालीन ग्रंथों में प्रयुक्त "आभ्यांतर सिद्ध" से ध्वनित होता है: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1004

फौजदारी एवं दीवानी मामले
सामंतों की कार्य प्रणाली
दो सामंतों के मध्य विवाद
इनमें से कोई नहीं

46 निम्नलिखित ग्रंथों में से किसके गुप्तोत्तरकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर प्रकाश नहीं पड़ता: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1005

हर्षचरति
अपराजितापृच्छा
राजतरंगिणी
काव्यादर्श

47 गुप्तकालीन भू-माप के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1006

गुप्त काल में भूमि 'हस्त' से नापी जाती थी।
हस्त से बड़ी इकाई धनु थी।
भूमि माप हेतु सरकंडों का उपयोग किया जाता था।
उपयुक्त सभी

48 गुप्तत्तोरकालीन करों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1007

परहीनक पशुओं द्वारा की गई हानि की क्षतिपूर्ति के रूप में लिया जाता था।
राजकीय भूमि पर कृषि कर सीता कहलाता था।
अवल्गक सेनाभक्त की तरह का ही एक कर था।
हलिराकर हलवाईयों पर लगने वाला कर था।

49 गुप्त काल में प्रशासनिक इकाइयों का सही क्रमागर स्तर निम्न में से कौन व्यक्त करता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1008

भुक्ति, विषय, पेठ, ग्राम
विषय, भुक्ति, पेठ, ग्राम
पेठ, विषय, भुक्ति, ग्राम
भुक्ति, पेठ, वुषय, ग्राम

50 गुप्त काल में बड़े पैमाने पर जारी सोने के सिक्के का वास्तविक स्त्रोत निम्न में से क्या है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1010

रोम के साथ जारी लाभदायक व्यापार
कोलार की खान पर अधिकार
पूर्ववर्ती युग के व्यापार से संचित स्वर्ग
शकों से छीना गया मुद्रा भण्डार