"जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना | |||
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। | अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। | ||
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नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा, | नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा, | ||
उतर क्यों न आयें नखत सब नयन के, | उतर क्यों न आयें नखत सब नयन के, | ||
नहीं कर सकेंगे | नहीं कर सकेंगे हृदय में उजेरा, | ||
कटेंगे तभी यह अँधरे घिरे अब, | कटेंगे तभी यह अँधरे घिरे अब, | ||
स्वयं धर मनुज दीप का रूप आए | स्वयं धर मनुज दीप का रूप आए |
09:51, 24 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
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जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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