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*रामायणानुसार दुर्मुख [[अयोध्या]] के राजा श्रीराम का गुप्तचर था। | *रामायणानुसार दुर्मुख [[अयोध्या]] के राजा श्रीराम का गुप्तचर था। | ||
*वनवास अवधि पूर्ण कर लौट आने के | *वनवास अवधि पूर्ण कर लौट आने के पश्चात् राम सुखपूर्वक राजपाट सम्भाल रहे थे। कुछ समय बाद मन्त्रियों और दुर्मुख नामक एक गुप्तचर के मुँह से राम ने जाना कि प्रजाजन सीता की पवित्रता के विषय में संदिग्ध हैं। अत: सीता और राम को लेकर अनेक बातें कहते हैं। | ||
*[[सीता]] गर्भवती थीं और उन्होंने राम से एक बार तपोवन की शोभा देखने की इच्छा प्रकट की थी। | *[[सीता]] गर्भवती थीं और उन्होंने राम से एक बार तपोवन की शोभा देखने की इच्छा प्रकट की थी। | ||
*[[रघु वंश]] को कलंक से बचाने के लिए राम ने सीता को तपोवन की शोभा देखने के बहाने से [[लक्ष्मण]] के साथ भेजा। | *[[रघु वंश]] को कलंक से बचाने के लिए राम ने सीता को तपोवन की शोभा देखने के बहाने से [[लक्ष्मण]] के साथ भेजा। |
07:50, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
दुर्मुख | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- दुर्मुख (बहुविकल्पी) |
दुर्मुख एक पौराणिक चरित्र का नाम है, जिसका उल्लेख 'रामायण' में हुआ है। 'रामायण' के अनुसार दुर्मुख द्वारा दी गई सूचना के आधार पर ही श्रीराम ने सीता का परित्याग कर दिया था।
- रामायणानुसार दुर्मुख अयोध्या के राजा श्रीराम का गुप्तचर था।
- वनवास अवधि पूर्ण कर लौट आने के पश्चात् राम सुखपूर्वक राजपाट सम्भाल रहे थे। कुछ समय बाद मन्त्रियों और दुर्मुख नामक एक गुप्तचर के मुँह से राम ने जाना कि प्रजाजन सीता की पवित्रता के विषय में संदिग्ध हैं। अत: सीता और राम को लेकर अनेक बातें कहते हैं।
- सीता गर्भवती थीं और उन्होंने राम से एक बार तपोवन की शोभा देखने की इच्छा प्रकट की थी।
- रघु वंश को कलंक से बचाने के लिए राम ने सीता को तपोवन की शोभा देखने के बहाने से लक्ष्मण के साथ भेजा।
- लक्ष्मण को अलग बुलाकर श्रीराम ने कहा कि वह सीता को वहीं छोड़ आये।
- लक्ष्मण ने तपोवन में पहुँचकर अत्यंत उद्विग्न मन से सीताजी से सब कुछ कह सुनाया और उन्हीं वहीं छोड़कर लौट आये।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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