"कर्मवीर -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'": अवतरणों में अंतर
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देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं | देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं | ||
रह भरोसे भाग्य के | रह भरोसे भाग्य के दु:ख भोग पछताते नहीं | ||
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं, | काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं, | ||
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं, | भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं, | ||
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सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही, | सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही, | ||
मानते जो भी हैं सुनते हैं सदा सबकी कही, | मानते जो भी हैं सुनते हैं सदा सबकी कही, | ||
जो मदद करते हैं अपनी इस | जो मदद करते हैं अपनी इस जगत् में आप ही, | ||
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं, | भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं, | ||
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं। | कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं। |
13:51, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
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देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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