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*अपने समकालीन [[गुजरात विद्यापीठ]] व जामिया इस्लामिया की भांति यह विद्यापीठ भी पूरी तरह ब्रिटिश अधिकारियों के नियंत्रण और सहायता से परे था। भारतीय शिक्षाविद और राष्ट्रप्रेमी लोग ही इसका सारा प्रबन्धन और देखरेख करते थे।  
*अपने समकालीन [[गुजरात विद्यापीठ]] व जामिया इस्लामिया की भांति यह विद्यापीठ भी पूरी तरह ब्रिटिश अधिकारियों के नियंत्रण और सहायता से परे था। भारतीय शिक्षाविद और राष्ट्रप्रेमी लोग ही इसका सारा प्रबन्धन और देखरेख करते थे।  
==स्थापना==
==स्थापना==
महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ की स्थापना [[10 फ़रवरी]] सन् [[1920]] में बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने की थी और गांधीजी ने इसकी आधारशिला रखी थी। शिव प्रसाद जी राष्ट्रवादी शिक्षाविद थे। [[जुलाई]] [[1963]] में इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय घोषित किया गया। इस विश्वविद्यालय में स्नातक, परा स्नातक एवं अनुसंधान स्तर की शिक्षा उपलब्ध है। प्रमुख राष्ट्रवादी व विद्वान् [[नरेन्द्र देव|आचार्य नरेन्द्र देव]], भारत के प्रथम [[राष्ट्रपति]] [[डॉ. राजेन्द्र प्रसाद]], जीवत राम कृपलानी, [[बाबू श्रीप्रकाश]], बाबू सम्पूर्णानन्द आदि महान लोगों ने इसमें शिक्षण कार्य किया। भारत के पूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[लाल बहादुर शास्त्री]] ने भी इस विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण की थी।<ref>{{cite web |url=http://www.varanasicity.com/education/kashi-vidyapeeth.html |title=Kashi Vidya Peeth |accessmonthday=[[22 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=Varanasi holi city of india |language=[[अंग्रेज़ी]]}}</ref>
महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ की स्थापना [[10 फ़रवरी]] सन् [[1920]] में बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने की थी और गांधीजी ने इसकी आधारशिला रखी थी। शिव प्रसाद जी राष्ट्रवादी शिक्षाविद थे। [[जुलाई]] [[1963]] में इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय घोषित किया गया। इस विश्वविद्यालय में स्नातक, परा स्नातक एवं अनुसंधान स्तर की शिक्षा उपलब्ध है। प्रमुख राष्ट्रवादी व विद्वान् [[नरेन्द्र देव|आचार्य नरेन्द्र देव]], भारत के प्रथम [[राष्ट्रपति]] [[डॉ. राजेन्द्र प्रसाद]], जीवत राम कृपलानी, [[बाबू श्रीप्रकाश]], बाबू सम्पूर्णानन्द आदि महान् लोगों ने इसमें शिक्षण कार्य किया। भारत के पूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[लाल बहादुर शास्त्री]] ने भी इस विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण की थी।<ref>{{cite web |url=http://www.varanasicity.com/education/kashi-vidyapeeth.html |title=Kashi Vidya Peeth |accessmonthday=[[22 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=Varanasi holi city of india |language=[[अंग्रेज़ी]]}}</ref>


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महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी
  • महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में स्थित एक मानित राजपत्रित विश्वविद्यालय है।
  • इसे पहले काशी विद्या पीठ के नाम से ही जाना जाता था किन्तु बाद में इसे भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को पुनः समर्पित किया गया और उनका नाम इसके साथ जोड दिया गया।
  • इस विद्यापीठ में गाँधी जी के सिद्धांतों का पालन किया जाता है। महात्मा गाँधी के स्वावलम्बन तथा स्वराज के आह्वान से प्रेरित होकर ब्रिटिश शासनकाल में भारतीयों द्वारा स्थापित यह पहला आधुनिक विश्वविद्यालय था।
  • अपने समकालीन गुजरात विद्यापीठ व जामिया इस्लामिया की भांति यह विद्यापीठ भी पूरी तरह ब्रिटिश अधिकारियों के नियंत्रण और सहायता से परे था। भारतीय शिक्षाविद और राष्ट्रप्रेमी लोग ही इसका सारा प्रबन्धन और देखरेख करते थे।

स्थापना

महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ की स्थापना 10 फ़रवरी सन् 1920 में बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने की थी और गांधीजी ने इसकी आधारशिला रखी थी। शिव प्रसाद जी राष्ट्रवादी शिक्षाविद थे। जुलाई 1963 में इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय घोषित किया गया। इस विश्वविद्यालय में स्नातक, परा स्नातक एवं अनुसंधान स्तर की शिक्षा उपलब्ध है। प्रमुख राष्ट्रवादी व विद्वान् आचार्य नरेन्द्र देव, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, जीवत राम कृपलानी, बाबू श्रीप्रकाश, बाबू सम्पूर्णानन्द आदि महान् लोगों ने इसमें शिक्षण कार्य किया। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी इस विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण की थी।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Kashi Vidya Peeth (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) Varanasi holi city of india। अभिगमन तिथि: 22 फ़रवरी, 2011

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