"मधुपुर के घनश्याम -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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वे तो हुए महल के वासी, | वे तो हुए महल के वासी, | ||
जपते उनका नाम यहाँ हम | जपते उनका नाम यहाँ हम | ||
यौवन में बनकर | यौवन में बनकर संन्यासी | ||
सावन बिना मल्हार बीतता, फागुन बिना फाग कट जाता, | सावन बिना मल्हार बीतता, फागुन बिना फाग कट जाता, |
11:42, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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मधुपुर के घनश्याम अगर कुछ पूछें हाल दुखी गोकुल का |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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