"अब तुम रूठो -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " दुनियां " to " दुनिया ") |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 48: | पंक्ति 48: | ||
अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। | अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। | ||
अब मेरी | अब मेरी आवाज़ मुझे टेरा करती है, | ||
अब मेरी | अब मेरी दुनिया मेरे पीछे फिरती है, | ||
देखा करती है, मेरी तस्वीर मुझे अब, | देखा करती है, मेरी तस्वीर मुझे अब, | ||
मेरी ही चिर प्यास अमृत मुझ पर झरती है, | मेरी ही चिर प्यास अमृत मुझ पर झरती है, |
11:49, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||
|
अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख