"गीता 5:17": अवतरणों में अंतर
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तद्बुद्वय: = तद्रूप है | तद्बुद्वय: = तद्रूप है बुद्धि जिनकी (तथा); तदात्मान: = तद्रूप है मन जिनका (और ); तन्निष्ठा: = उस सच्चिदानन्दघन परमात्मा में ही है निरन्तर एकीभाव से स्थिति जिनकी ऐसे; तत्परायणा = तत्परायण पुरुष; ज्ञाननिर्धूत कल्मषा: = ज्ञान के द्वारा पापरहित हुए; अपुनरावृत्तिम् = अपुनरावृत्ति को अर्थात् परमगति को; गच्छन्ति = प्राप्त होते है; | ||
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08:17, 15 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-5 श्लोक-17 / Gita Chapter-5 Verse-17
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