परमेश्वर मनुष्यों के न तो कर्तापन की, न कर्मों की और न कर्म फल के संयोग की ही रचना करते हैं; किंतु स्वभाव ही बर्त रहा है ।।14।।
|
God determines not the doership nor the doings of men, nor even their contact with the result of actions; but it is nature alone that functions.(14)
|