"महमूद": अवतरणों में अंतर
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'''महमूद | '''महमूद''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mahmood'', जन्म- [[29 सितंबर]], [[1932]], [[मुम्बई]]; मृत्यु- [[23 जुलाई]], [[2004]], [[अमेरिका]]) फ़िल्म जगत् के प्रसिद्ध हास्य अभिनेता थे। उनका पूरा नाम महमूद अली था। तीन दशक लम्बे चले उनके कैरियर में उन्होंने 300 से ज़्यादा हिन्दी फ़िल्मों में काम किया। अपने बहुरंगीय किरदारों से दर्शकों को हँसाने और गंभीर भूमिका कर रुलाने वाले महमूद अभिनय के प्रति समर्पित थे। अपने बहुमुखी अभिनय और कला के प्रति समर्पण ने उन्हें बुलंदियाँ दी और उनको फ़िल्मफ़ेयर सहित कई पुरस्कारों का सम्मान मिला। उन्होंने कई फ़िल्मों में गीत ही नहीं गाये बल्कि फ़िल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया। | ||
==जन्म और परिवार== | ==जन्म और परिवार== | ||
महमूद का जन्म 29 सितंबर 1932, मुम्बई भारत में हुआ था। महमूद मशहूर नृतक | महमूद का जन्म 29 सितंबर, 1932, मुम्बई, [[भारत]] में हुआ था। महमूद मशहूर नृतक मुमताज़ अली के बेटे और चरित्र अभिनेत्री मिन्नो मुमताज़ अली के भाई थे। महमूद ने अभिनेत्री [[मीना कुमारी]] की बहन मधु से [[विवाह]] किया था। आठ संतानों के पिता महमूद के दूसरे बेटे मक़सूद लकी अली जाने-माने गायक और अभिनेता हैं। निर्देशक के रूप में महमूद की अंतिम फ़िल्म थी 'दुश्मन दुनिया का'। [[1996]] में बनी इस फ़िल्म में उन्होंने अपने बेटे मंज़ूर अली को पर्दे पर उतारा था।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2004/07/040723_mehmud_death.shtml |title=सबको हँसाने वाले महमूद नहीं रहे |accessmonthday=[[11 जुलाई]] |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=bbchindi.com |language=हिन्दी }}</ref> | ||
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महमूद पहला ब्रेक 1958 की फ़िल्म परवरिश में मिला था, जिसमें उन्होंने [[राज कपूर]] के भाई की भूमिका निभाई थी। 1961 की "ससुराल" उनके कैरियर की अहम फ़िल्म थी जिसके जरिए बतौर हास्य कलाकार स्थापित होने में उन्हें मदद मिली। 60 के दशक के हास्य कलाकारों की टीम की सफल शुरुआत के लिए भी "ससुराल" को अहम माना जाता है क्योंकि इस फ़िल्म में महमूद के साथ-साथ शुभा खोटे जैसी हास्य अभिनेत्री ने भी अपनी कला के जौहर दिखाए। | महमूद को पहला ब्रेक [[1958]] की फ़िल्म 'परवरिश' में मिला था, जिसमें उन्होंने [[राज कपूर]] के भाई की भूमिका निभाई थी। [[1961]] की "ससुराल" उनके कैरियर की अहम फ़िल्म थी, जिसके जरिए बतौर हास्य कलाकार स्थापित होने में उन्हें मदद मिली। 60 के दशक के हास्य कलाकारों की टीम की सफल शुरुआत के लिए भी "ससुराल" को अहम माना जाता है, क्योंकि इस फ़िल्म में महमूद के साथ-साथ शुभा खोटे जैसी हास्य अभिनेत्री ने भी अपनी कला के जौहर दिखाए। | ||
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1965 की | [[1965]] की फ़िल्म "जौहर महमूद इन गोवा" में उन्हें कॉमेडियन के साथ-साथ प्रमुख भूमिका निभाने का भी मौक़ा मिला। "प्यार किए जा" ([[1966]]) और "पड़ोसन" ([[1968]]) महमूद की दो सर्वाधिक यादगार भूमिकाओं वाली फ़िल्में हैं। "प्यार किए जा" में महमूद ने एक ऐसे युवक का किरदार निभाया, जो फ़िल्म निर्देशक बनना चाहता है और अपने बैनर 'वाह वाह प्रोडक्शन' के लिए वह अपने पिता ([[ओम प्रकाश]]) से आर्थिक मदद की उम्मीद रखता है। वहीं "पड़ोसन" में दक्षिण भारतीय गायक के किरदार में भी महमूद ने दर्शकों को खूब लुभाया।<ref>{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/789017.cms |title=महमूद |accessmonthday=[[11 जुलाई]] |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=सी.एम.एस. |publisher=नवभारत टाइम्स |language=हिन्दी }}</ref> | ||
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*[https://www.youtube.com/watch?v=bmfDGoV0-14 महमूद के बॉलीवुड सफ़र पर एक वीडियो देखें (यू-ट्यूब)] | |||
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महमूद
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पूरा नाम | महमूद अली |
प्रसिद्ध नाम | महमूद |
जन्म | 29 सितंबर, 1932 |
जन्म भूमि | मुम्बई, भारत |
मृत्यु | 23 जुलाई, 2004 |
मृत्यु स्थान | अमेरिका |
अभिभावक | पिता- मुमताज़ अली |
पति/पत्नी | मधु अली |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता |
मुख्य फ़िल्में | 'प्यार किए जा', 'पड़ोसन', 'कुँवारा बाप' आदि। |
पुरस्कार-उपाधि | फ़िल्मफेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता (4 बार) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | तीन दशक लम्बे चले उनके कैरियर में इन्होंने 300 से ज़्यादा हिन्दी फ़िल्मों में काम किया। |
महमूद (अंग्रेज़ी: Mahmood, जन्म- 29 सितंबर, 1932, मुम्बई; मृत्यु- 23 जुलाई, 2004, अमेरिका) फ़िल्म जगत् के प्रसिद्ध हास्य अभिनेता थे। उनका पूरा नाम महमूद अली था। तीन दशक लम्बे चले उनके कैरियर में उन्होंने 300 से ज़्यादा हिन्दी फ़िल्मों में काम किया। अपने बहुरंगीय किरदारों से दर्शकों को हँसाने और गंभीर भूमिका कर रुलाने वाले महमूद अभिनय के प्रति समर्पित थे। अपने बहुमुखी अभिनय और कला के प्रति समर्पण ने उन्हें बुलंदियाँ दी और उनको फ़िल्मफ़ेयर सहित कई पुरस्कारों का सम्मान मिला। उन्होंने कई फ़िल्मों में गीत ही नहीं गाये बल्कि फ़िल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया।
जन्म और परिवार
महमूद का जन्म 29 सितंबर, 1932, मुम्बई, भारत में हुआ था। महमूद मशहूर नृतक मुमताज़ अली के बेटे और चरित्र अभिनेत्री मिन्नो मुमताज़ अली के भाई थे। महमूद ने अभिनेत्री मीना कुमारी की बहन मधु से विवाह किया था। आठ संतानों के पिता महमूद के दूसरे बेटे मक़सूद लकी अली जाने-माने गायक और अभिनेता हैं। निर्देशक के रूप में महमूद की अंतिम फ़िल्म थी 'दुश्मन दुनिया का'। 1996 में बनी इस फ़िल्म में उन्होंने अपने बेटे मंज़ूर अली को पर्दे पर उतारा था।[1]
पहली फ़िल्म
महमूद को पहला ब्रेक 1958 की फ़िल्म 'परवरिश' में मिला था, जिसमें उन्होंने राज कपूर के भाई की भूमिका निभाई थी। 1961 की "ससुराल" उनके कैरियर की अहम फ़िल्म थी, जिसके जरिए बतौर हास्य कलाकार स्थापित होने में उन्हें मदद मिली। 60 के दशक के हास्य कलाकारों की टीम की सफल शुरुआत के लिए भी "ससुराल" को अहम माना जाता है, क्योंकि इस फ़िल्म में महमूद के साथ-साथ शुभा खोटे जैसी हास्य अभिनेत्री ने भी अपनी कला के जौहर दिखाए।
प्रमुख भूमिका
1965 की फ़िल्म "जौहर महमूद इन गोवा" में उन्हें कॉमेडियन के साथ-साथ प्रमुख भूमिका निभाने का भी मौक़ा मिला। "प्यार किए जा" (1966) और "पड़ोसन" (1968) महमूद की दो सर्वाधिक यादगार भूमिकाओं वाली फ़िल्में हैं। "प्यार किए जा" में महमूद ने एक ऐसे युवक का किरदार निभाया, जो फ़िल्म निर्देशक बनना चाहता है और अपने बैनर 'वाह वाह प्रोडक्शन' के लिए वह अपने पिता (ओम प्रकाश) से आर्थिक मदद की उम्मीद रखता है। वहीं "पड़ोसन" में दक्षिण भारतीय गायक के किरदार में भी महमूद ने दर्शकों को खूब लुभाया।[2]
प्रतिभाशाली व्यक्तित्व
अपनी बहुरंगीय किरदारों से दर्शकों को हँसाने और गंभीर भूमिका कर रूलाने वाले महमूद अभिनय के प्रति समर्पित थे। अपने बहुमुखी अभिनय और कला के प्रति समर्पण ने उन्हें बुलंदियाँ दी और उनको फ़िल्मफ़ेयर सहित कई पुरस्कारों का सम्मान मिला। उन्होंने कई फ़िल्मों में गीत ही नहीं गाये बल्कि फ़िल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया। जिसमें "छोटे नवाब", "भूतबंगला", "पड़ोसन", "बांबे टू गोवा", "दुश्मन दुनिया का", "सबसे बड़ा रुपैया" आदि शामिल है। जबकि विकलांगों पर बनी फ़िल्म "कुँवारा बाप" में किया गया उनका अभिनय आज भी उनकी यादों को ताजा करता है।[3] महमूद के व्यक्तित्व में तमाम रंग थे। इनमें से एक था, नए लोगों को मौक़ा देना। उन्होंने 'छोटे नवाब' फ़िल्म में संगीतकार राहुल देव बर्मन को पहली बार मौक़ा देकर फ़िल्म उद्योग को एक बेहतरीन तोहफा दिया था। इसी प्रकार महमूद ने सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की उस समय मदद की थी, जब वह संघर्ष के दौर से गुजर रहे थे। उनके कैरियर को बल देने के लिए महमूद ने 'बांबे टु गोवा' फ़िल्म बनाई थी।[4]
निधन
अपने जीवन के आख़िरी दिनों में महमूद का स्वास्थ्य ख़राब हो गया। वह इलाज के लिए अमेरिका गए, जहाँ 23 जुलाई, 2004 को उनका निधन हो गया। दुनिया को हंसाकर लोट-पोट करने वाला यह महान् कलाकार नींद के आगोश में बड़ी खामोशी से इस दुनिया से विदा हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सबको हँसाने वाले महमूद नहीं रहे (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) bbchindi.com। अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2011।
- ↑ महमूद (हिन्दी) (सी.एम.एस.) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2011।
- ↑ महमूद तो महमूद ही थे (हिन्दी) (पी.एच.पी.) keepintouchnews.com। अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2011।
- ↑ हास्य के पर्याय थे महमूद (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण याहू। अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2011।
बाहरी कड़ियाँ
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