"उत्तम कुमार": अवतरणों में अंतर

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'''उत्तम कुमार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Uttam Kumar'' ; जन्म- [[3 सितम्बर]], [[1926]], [[कोलकाता]], [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]]; मृत्यु- [[24 जुलाई]], [[1980]], [[पश्चिम बंगाल]]) [[भारतीय सिनेमा]] में [[हिन्दी]] और [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता थे। उनका मूल नाम 'अरुण कुमार चटर्जी' था। मुख्य रूप से बंगाली सिनेमा में काम करने वाले उत्तम कुमार एक अभिनेता होने के साथ-साथ फ़िल्म निर्देशक, निर्माता, गायक और संगीतकार भी थे। जिस तरह हिन्दी सिनेमा में [[राज कपूर]] और [[नरगिस]] की जोड़ी याद की जाती है, उसी तरह बंगाली सिनेमा में उत्तम कुमार और [[सुचित्रा सेन]] का कोई मुकाबला नहीं था। बंगाली सिनेमा में उत्तम कुमार को 'महानायक' की पदवी दी गई है।
==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==
बंगाली फ़िल्मों के महानायक उत्तम कुमार का जन्म ब्रिटिश कालीन भारत में [[3 सितम्बर]], [[1926]] को भवानीपुर, कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में उनके गिरीश मुखर्जी मार्ग स्थित पुश्तैनी मकान में हुआ था। उन्होंने कोलकाता के ही 'साउथ सबर्बन स्कूल (मेन)' से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए '[[कोलकाता विश्वविद्यालय]]' से सम्बद्ध 'गोयेनका कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड बिजनेस ऐडमिनिस्ट्रेशन' में दाखिला ले लिया। लेकिन उत्तम कुमार अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और उन्होंने 'कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट' में एक लिपिक की नौकरी प्राप्त कर ली।
बंगाली फ़िल्मों के महानायक उत्तम कुमार का जन्म ब्रिटिश कालीन भारत में [[3 सितम्बर]], [[1926]] को भवानीपुर, कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में उनके गिरीश मुखर्जी मार्ग स्थित पुश्तैनी मकान में हुआ था। उन्होंने कोलकाता के ही 'साउथ सबर्बन स्कूल (मेन)' से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए '[[कोलकाता विश्वविद्यालय]]' से सम्बद्ध 'गोयेनका कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड बिजनेस ऐडमिनिस्ट्रेशन' में दाखिला ले लिया। लेकिन उत्तम कुमार अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और उन्होंने 'कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट' में एक लिपिक की नौकरी प्राप्त कर ली।
==अभिनय की शुरुआत==
==अभिनय की शुरुआत==
अभिनेता उत्तम कुमार की बतौर नायक पहली फ़िल्म 'दृष्टिदान' थी, जिसे मशहूर निर्देशक [[नितिन बोस]] ने निर्देशित किया था। [[सुचित्रा सेन]] के साथ उनकी जोड़ी खूब पसंद की गई। सुचित्रा के साथ उनकी 'सप्तपदी', 'पौथे होलो देरी', 'हारानो सुर', 'चावा पावा', 'बिपाशा', 'जीवन तृष्णा' और 'सागरिका' जैसी फ़िल्में बेहद लोकप्रिय रहीं। बंगाली के साथ-साथ उन्होंने पांच [[हिन्दी]] फ़िल्मों में भी अभिनय किया, जो निम्नलिखित थीं-
अभिनेता उत्तम कुमार की बतौर नायक पहली फ़िल्म 'दृष्टिदान' थी, जिसे मशहूर निर्देशक [[नितिन बोस]] ने निर्देशित किया था। [[सुचित्रा सेन]] के साथ उनकी जोड़ी खूब पसंद की गई। सुचित्रा के साथ उनकी 'सप्तपदी', 'पौथे होलो देरी', 'हारानो सुर', 'चावा पावा', 'बिपाशा', 'जीवन तृष्णा' और 'सागरिका' जैसी फ़िल्में बेहद लोकप्रिय रहीं। बंगाली के साथ-साथ उन्होंने कई [[हिन्दी]] फ़िल्मों में भी अभिनय किया, जैसे-


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==सुचित्रा सेन के साथ जोड़ी==
जिस प्रकार [[हिन्दी]] सिनेमा में [[राज कपूर]] और [[नरगिस]] की जोड़ी याद की जाती है, उसी तरह बंगाली सिनेमा में उत्तम कुमार और [[सुचित्रा सेन]] का कोई मुकाबला नहीं था। प्रेम को इस तीव्रता से वे अपने अभिनय में व्यक्त करते थे कि दर्शक दंग रह जाते थे। यही वजह रही कि दर्शक इस जोड़ी से कभी बोर नहीं हुए। दो दशक तक तीस फ़िल्मों में दोनों ने अपने अभिनय के रंग बिखेरे और इनमें से ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं। उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन बंगाली सिनेमा के व्यवसाय को एक बार फिर ऊपर की ओर ले गए, क्योंकि जब उन्होंने बंगाली सिनेमा में कदम रखा था, तब वहां के फ़िल्म उद्योग की हालत खस्ता थी। ऐसे में उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन के स्टारडम ने दर्शकों के बीच पहचान बनाई और बंगाली फ़िल्में फिर सफल होने लगीं।


फ़िल्म 'अग्निपरीक्षा' से उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की जोड़ी सफल हुई थी। दोनों ने फ़िल्म में इस कदर डूब कर रोमांस किया कि कई लोग उन्हें पति-पत्नी मानने लगे। फ़िल्मी पर्दे पर जिस तरह से वे रोमांस करते थे, उस कारण आज भी कई लोग मानते हैं कि उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन में प्रेम था। पर्दे पर दर्शक दोनों को खुशहाल जोड़ी के रूप में देखना पसंद करते थे। फ़िल्म 'शिल्पी' में उत्तम कुमार के किरदार की आखिर में मौत दिखाई गई और इस कारण फ़िल्म फ्लॉप हो गई थी। सु‍चित्रा और उत्तम कुमार बेहतरीन कलाकार थे। दोनों साथ काम करते तो उनका अभिनय और निखर जाता था। उन्होंने कई अलग-अलग भूमिकाएँ अभिनीत कीं और अपने बेहतरीन अभिनय से यादगार बनाया। बिना कहे दोनों बहुत कुछ कह जाते थे और दोनों के रोमांटिक सीन में पर्दा जगमगाने लगता था। उन पर फ़िल्माए गए गीत सुपरहिट रहे।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/bollywood-article/%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%95%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0-%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%B8-%E0%A4%A5%E0%A5%87-%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AE-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE-114011700056_1.htm|title= बंगाली सिनेमा के राजकपूर-नरगिस थे उत्तम सुचित्रा|accessmonthday= 24 जनवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= वेब दुनिया|language= हिन्दी}}</ref>
[[चित्र:Suchitra-sen.jpg|thumb|250px|[[सुचित्रा सेन]]]]
====प्रमुख फ़िल्में====
उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की कुछ प्रमुख फ़िल्में निम्नलिखित थीं-
#ओरा ठाकरे ओधारे - [[1954]]
#मरनेर पारे - [[1954]]
#अग्नि परीक्षा - [[1954]]
#गृह प्रबेश - [[1954]]
#सांझेर प्रदीप - [[1955]]
#एक्ति रात - [[1956]]
#शिल्पी - [[1956]]
#चन्द्रनाथ - [[1957]]
#जीबन तृष्णा - [[1957]]
==निधन==
उत्तम कुमार का निधन [[24 जुलाई]], [[1980]] को [[पश्चिम बंगाल]] में हुआ। [[कोलकाता]] में हाजरा अंचल में उनके नाम पर 'उत्तम थियेटर' है तथा टालीगंज ट्रामडिपो के समक्ष उनका विशाल पुतला सड़क के चौक पर लगाया गया है। [[वर्ष]] [[2009]] में टालीगंज मेट्रो स्टेशन का नामकरण 'महानायक उत्तम कुमार' हो गया है। उत्तम कुमार के एकमात्र पुत्र गौतम कुमार चटर्जी (दिवंगत) एक व्यवसायी थे। फ़िल्मों में उनकी रुचि नहीं थी, लेकिन उत्तम के पौत्र गौरव ने बांग्ला फ़िल्मों में अभिनय किया। उनकी ख़्वाहिश थी कि अभिनय करते हुए उनका दम निकले और हुआ भी ऐसा ही। [[1980]] में 'ओ गो बोधु शुंदरी' की शूटिंग के दौरान हृदयाघात से उनका निधन हो गया।


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05:34, 24 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

उत्तम कुमार
उत्तम कुमार
उत्तम कुमार
पूरा नाम अरुण कुमार चटर्जी
प्रसिद्ध नाम उत्तम कुमार
जन्म 3 सितम्बर, 1926
जन्म भूमि कोलकाता, बंगाल
मृत्यु 24 जुलाई, 1980
मृत्यु स्थान पश्चिम बंगाल
पति/पत्नी गौरी चटर्जी
संतान गौतम कुमार चटर्जी
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र बांग्ला और हिन्दी सिनेमा
मुख्य फ़िल्में 'छोटी सी मुलाक़ात', 'अमानुष', 'आनंद आश्रम', 'क़िताब', 'दूरियां' आदि।
विद्यालय 'साउथ सबर्बन स्कूल (मेन)', कोलकाता; 'गोयेनका कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड बिजनेस ऐडमिनिस्ट्रेशन'
प्रसिद्धि अभिनेता, निर्माता-निर्देशक, संगीतकार
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख सुचित्रा सेन, सिनेमा
अन्य जानकारी अभिनेता उत्तम कुमार की बतौर नायक पहली फ़िल्म 'दृष्टिदान' थी, जिसे मशहूर निर्देशक नितिन बोस ने निर्देशित किया था। कोलकाता में हाजरा अंचल में उनके नाम पर 'उत्तम थियेटर' है।

उत्तम कुमार (अंग्रेज़ी: Uttam Kumar ; जन्म- 3 सितम्बर, 1926, कोलकाता, बंगाल; मृत्यु- 24 जुलाई, 1980, पश्चिम बंगाल) भारतीय सिनेमा में हिन्दी और बांग्ला फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता थे। उनका मूल नाम 'अरुण कुमार चटर्जी' था। मुख्य रूप से बंगाली सिनेमा में काम करने वाले उत्तम कुमार एक अभिनेता होने के साथ-साथ फ़िल्म निर्देशक, निर्माता, गायक और संगीतकार भी थे। जिस तरह हिन्दी सिनेमा में राज कपूर और नरगिस की जोड़ी याद की जाती है, उसी तरह बंगाली सिनेमा में उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन का कोई मुकाबला नहीं था। बंगाली सिनेमा में उत्तम कुमार को 'महानायक' की पदवी दी गई है।

जन्म तथा शिक्षा

बंगाली फ़िल्मों के महानायक उत्तम कुमार का जन्म ब्रिटिश कालीन भारत में 3 सितम्बर, 1926 को भवानीपुर, कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में उनके गिरीश मुखर्जी मार्ग स्थित पुश्तैनी मकान में हुआ था। उन्होंने कोलकाता के ही 'साउथ सबर्बन स्कूल (मेन)' से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए 'कोलकाता विश्वविद्यालय' से सम्बद्ध 'गोयेनका कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड बिजनेस ऐडमिनिस्ट्रेशन' में दाखिला ले लिया। लेकिन उत्तम कुमार अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और उन्होंने 'कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट' में एक लिपिक की नौकरी प्राप्त कर ली।

अभिनय की शुरुआत

अभिनेता उत्तम कुमार की बतौर नायक पहली फ़िल्म 'दृष्टिदान' थी, जिसे मशहूर निर्देशक नितिन बोस ने निर्देशित किया था। सुचित्रा सेन के साथ उनकी जोड़ी खूब पसंद की गई। सुचित्रा के साथ उनकी 'सप्तपदी', 'पौथे होलो देरी', 'हारानो सुर', 'चावा पावा', 'बिपाशा', 'जीवन तृष्णा' और 'सागरिका' जैसी फ़िल्में बेहद लोकप्रिय रहीं। बंगाली के साथ-साथ उन्होंने कई हिन्दी फ़िल्मों में भी अभिनय किया, जैसे-

  1. 'छोटी सी मुलाक़ात' - 1967 (स्वयं निर्माता)
  2. 'अमानुष' - 1975
  3. 'आनंद आश्रम' - 1977
  4. 'क़िताब' - 1979
  5. 'दूरियां' - 1979

सुचित्रा सेन के साथ जोड़ी

जिस प्रकार हिन्दी सिनेमा में राज कपूर और नरगिस की जोड़ी याद की जाती है, उसी तरह बंगाली सिनेमा में उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन का कोई मुकाबला नहीं था। प्रेम को इस तीव्रता से वे अपने अभिनय में व्यक्त करते थे कि दर्शक दंग रह जाते थे। यही वजह रही कि दर्शक इस जोड़ी से कभी बोर नहीं हुए। दो दशक तक तीस फ़िल्मों में दोनों ने अपने अभिनय के रंग बिखेरे और इनमें से ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं। उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन बंगाली सिनेमा के व्यवसाय को एक बार फिर ऊपर की ओर ले गए, क्योंकि जब उन्होंने बंगाली सिनेमा में कदम रखा था, तब वहां के फ़िल्म उद्योग की हालत खस्ता थी। ऐसे में उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन के स्टारडम ने दर्शकों के बीच पहचान बनाई और बंगाली फ़िल्में फिर सफल होने लगीं।

फ़िल्म 'अग्निपरीक्षा' से उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की जोड़ी सफल हुई थी। दोनों ने फ़िल्म में इस कदर डूब कर रोमांस किया कि कई लोग उन्हें पति-पत्नी मानने लगे। फ़िल्मी पर्दे पर जिस तरह से वे रोमांस करते थे, उस कारण आज भी कई लोग मानते हैं कि उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन में प्रेम था। पर्दे पर दर्शक दोनों को खुशहाल जोड़ी के रूप में देखना पसंद करते थे। फ़िल्म 'शिल्पी' में उत्तम कुमार के किरदार की आखिर में मौत दिखाई गई और इस कारण फ़िल्म फ्लॉप हो गई थी। सु‍चित्रा और उत्तम कुमार बेहतरीन कलाकार थे। दोनों साथ काम करते तो उनका अभिनय और निखर जाता था। उन्होंने कई अलग-अलग भूमिकाएँ अभिनीत कीं और अपने बेहतरीन अभिनय से यादगार बनाया। बिना कहे दोनों बहुत कुछ कह जाते थे और दोनों के रोमांटिक सीन में पर्दा जगमगाने लगता था। उन पर फ़िल्माए गए गीत सुपरहिट रहे।[1]

सुचित्रा सेन

प्रमुख फ़िल्में

उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की कुछ प्रमुख फ़िल्में निम्नलिखित थीं-

  1. ओरा ठाकरे ओधारे - 1954
  2. मरनेर पारे - 1954
  3. अग्नि परीक्षा - 1954
  4. गृह प्रबेश - 1954
  5. सांझेर प्रदीप - 1955
  6. एक्ति रात - 1956
  7. शिल्पी - 1956
  8. चन्द्रनाथ - 1957
  9. जीबन तृष्णा - 1957

निधन

उत्तम कुमार का निधन 24 जुलाई, 1980 को पश्चिम बंगाल में हुआ। कोलकाता में हाजरा अंचल में उनके नाम पर 'उत्तम थियेटर' है तथा टालीगंज ट्रामडिपो के समक्ष उनका विशाल पुतला सड़क के चौक पर लगाया गया है। वर्ष 2009 में टालीगंज मेट्रो स्टेशन का नामकरण 'महानायक उत्तम कुमार' हो गया है। उत्तम कुमार के एकमात्र पुत्र गौतम कुमार चटर्जी (दिवंगत) एक व्यवसायी थे। फ़िल्मों में उनकी रुचि नहीं थी, लेकिन उत्तम के पौत्र गौरव ने बांग्ला फ़िल्मों में अभिनय किया। उनकी ख़्वाहिश थी कि अभिनय करते हुए उनका दम निकले और हुआ भी ऐसा ही। 1980 में 'ओ गो बोधु शुंदरी' की शूटिंग के दौरान हृदयाघात से उनका निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बंगाली सिनेमा के राजकपूर-नरगिस थे उत्तम सुचित्रा (हिन्दी) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख