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'''के. केलप्पन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''K. Kelappan'' ; जन्म- [[24 अगस्त]], [[1889]], [[कालीकट]], [[केरल]]; मृत्यु- [[7 अक्टूबर]], [[1971]]) [[केरल]] के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता, स्वतन्त्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। ये [[महात्मा गाँधी]] से बहुत प्रभावित थे। जब गाँधी जी ने '[[असहयोग आन्दोलन]]' प्रारम्भ किया तो के. केलप्पन ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और आन्दोलन में कूद पड़े। वर्ष [[1930]] में '[[व्यक्तिगत सत्याग्रह]]' के समय गाँधी जी ने उन्हें प्रथम सत्याग्रही नामजद किया था। आज़ादी के बाद जब [[जे. बी. कृपलानी]] ने 'किसान मज़दूर प्रजा पार्टी' बनाई, तब के. केलप्पन पार्टी में सम्मिलित हो गए और फिर बाद में [[लोकसभा]] के सदस्य चुने गए। | |||
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==जन्म तथा शिक्षा== | ==जन्म तथा शिक्षा== | ||
के. केलप्पन का जन्म 24 अगस्त, 1889 ई. में [[केरल]] के [[कालीकट]] अथवा कोझीकोड ज़िले में हुआ था। अपनी स्नातक की शिक्षा उन्होंने '[[मद्रास विश्वविद्यालय]]' से पूरी की। फिर वर्ष [[1920]] में के. केलप्पन क़ानून की शिक्षा ग्रहण करने के लिए '[[मुम्बई विश्वविद्यालय]]' आ गए। | के. केलप्पन का जन्म 24 अगस्त, 1889 ई. में [[केरल]] के [[कालीकट]] अथवा कोझीकोड ज़िले में हुआ था। अपनी स्नातक की शिक्षा उन्होंने '[[मद्रास विश्वविद्यालय]]' से पूरी की। फिर वर्ष [[1920]] में के. केलप्पन क़ानून की शिक्षा ग्रहण करने के लिए '[[मुम्बई विश्वविद्यालय]]' आ गए। | ||
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के. केलप्पन 'मुम्बई विश्वविद्यालय में क़ानून की पढ़ाई कर ही रहे थे कि इसी समय [[महात्मा गाँधी]] ने [[असहयोग आन्दोलन]] आरंभ कर दिया। देश भक्त और मातृभूमि से प्रेम करने वाले के. केलप्पन ने भी विश्वविद्यालय छोड़ दिया और आन्दोलन में योगदान देने के लिए उसमें सम्मिलित हो गए। इसके बाद उनका पूरा जीवन राष्ट्र और समाज की सेवा में ही बीता।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=|url=188}}</ref> | के. केलप्पन 'मुम्बई विश्वविद्यालय में क़ानून की पढ़ाई कर ही रहे थे कि इसी समय [[महात्मा गाँधी]] ने [[असहयोग आन्दोलन]] आरंभ कर दिया। देश भक्त और मातृभूमि से प्रेम करने वाले के. केलप्पन ने भी विश्वविद्यालय छोड़ दिया और आन्दोलन में योगदान देने के लिए उसमें सम्मिलित हो गए। इसके बाद उनका पूरा जीवन राष्ट्र और समाज की सेवा में ही बीता।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=|url=188}}</ref> | ||
==गिरफ़्तारी== | ==गिरफ़्तारी== | ||
बाद के दिनों में के. केलप्पन [[मुम्बई]] से मालाबार चले गए। उस समय 'असहयोग आन्दोलन' और [[ख़िलाफ़त आन्दोलन]]' बड़े जोर-शोर से साथ-साथ चल रहे थे। आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ़्तार होने वाले के. केलप्पन [[केरल]] के पहले व्यक्ति थे। [[1930]] ई. के '[[व्यक्तिगत सत्याग्रह]]' में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने उन्हें केरल से प्रथम सत्याग्रही नामजद किया था। इसके बाद [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आन्दोलन]]' के दौरान के. केलप्पन गिरफ़्तार किये गए और तीन [[वर्ष]] तक जेल में बंद रहे। | बाद के दिनों में के. केलप्पन [[मुम्बई]] से मालाबार चले गए। उस समय 'असहयोग आन्दोलन' और [[ख़िलाफ़त आन्दोलन]]' बड़े जोर-शोर से साथ-साथ चल रहे थे। आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ़्तार होने वाले के. केलप्पन [[केरल]] के पहले व्यक्ति थे। [[1930]] ई. के '[[व्यक्तिगत सत्याग्रह]]' में [[महात्मा गाँधी|राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी]] ने उन्हें [[केरल]] से प्रथम सत्याग्रही नामजद किया था। इसके बाद [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आन्दोलन]]' के दौरान के. केलप्पन गिरफ़्तार किये गए और तीन [[वर्ष]] तक जेल में बंद रहे। | ||
==वायकोम सत्याग्रह== | ==वायकोम सत्याग्रह== | ||
समाज सुधार और छूआछूत निवारण के क्षेत्र में भी के. केलप्पन अग्रणी व्यक्ति थे। मंदिर प्रवेश के '[[वायकोम सत्याग्रह]]' में उनके ऊपर पुलिस की मार भी पड़ी। गुरुवायुर के प्रसिद्ध [[गुरुवायुर मंदिर|कृष्ण मंदिर]] में हरिजनों के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी, इसके लिए उन्होंने 10 [[महीने]] तक [[सत्याग्रह]] का नेतृत्व किया और अंत में भूख हड़ताल पर बैठे गए। [[महात्मा गाँधी]] के कहने पर के. कलप्पन ने भूख हड़ताल तोड़ दी। इसके बाद ही [[मद्रास]] की सरकार ने मंदिर प्रवेश का क़ानून बना दिया।<ref name="aa"/> | समाज सुधार और छूआछूत निवारण के क्षेत्र में भी के. केलप्पन अग्रणी व्यक्ति थे। मंदिर प्रवेश के '[[वायकोम सत्याग्रह]]' में उनके ऊपर पुलिस की मार भी पड़ी। गुरुवायुर के प्रसिद्ध [[गुरुवायुर मंदिर|कृष्ण मंदिर]] में हरिजनों के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी, इसके लिए उन्होंने 10 [[महीने]] तक [[सत्याग्रह]] का नेतृत्व किया और अंत में भूख हड़ताल पर बैठे गए। [[महात्मा गाँधी]] के कहने पर के. कलप्पन ने भूख हड़ताल तोड़ दी। इसके बाद ही [[मद्रास]] की सरकार ने मंदिर प्रवेश का क़ानून बना दिया।<ref name="aa"/> | ||
====लोकसभा सदस्य==== | ====लोकसभा सदस्य==== | ||
वर्ष [[1951]] में जब [[जे. बी. कृपलानी|आचार्य जे. बी. कृपलानी]] ने 'किसान | वर्ष [[1951]] में जब [[जे. बी. कृपलानी|आचार्य जे. बी. कृपलानी]] ने 'किसान मज़दूर प्रजा पार्टी' बनाई तो के. केलप्पन भी उसमें सम्मिलित हो गए और फिर वे [[1952]] में [[प्रथम लोकसभा]] के सदस्य चुने गए। [[1957]] के बाद उन्होंने अपना सारा जीवन सर्वोदय के काम में लगाया। | ||
====निधन==== | ====निधन==== | ||
राष्ट्रभक्त के. केलप्पन का निधन [[7 अक्टूबर]], [[1971]] में हुआ। | राष्ट्रभक्त के. केलप्पन का निधन [[7 अक्टूबर]], [[1971]] में हुआ। |
05:59, 24 अगस्त 2018 के समय का अवतरण
के. केलप्पन
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पूरा नाम | के. केलप्पन |
जन्म | 24 अगस्त, 1889 |
जन्म भूमि | कालीकट, केरल |
मृत्यु | 7 अक्टूबर, 1971 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतन्त्रता सेनानी, समाज सुधारक |
धर्म | हिन्दू |
जेल यात्रा | 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान के. केलप्पन गिरफ़्तार किये गए और तीन वर्ष तक जेल में बंद रहे। |
विद्यालय | 'मद्रास विश्वविद्यालय', 'मुम्बई विश्वविद्यालय' |
पार्टी | 'किसान मज़दूर प्रजा पार्टी' |
अन्य जानकारी | जब आचार्य जे. बी. कृपलानी ने 'किसान मज़दूर प्रजा पार्टी' बनाई तो के. केलप्पन उसमें सम्मिलित हो गए। इसके बाद वे 1952 में प्रथम लोकसभा के सदस्य चुने गए। |
के. केलप्पन (अंग्रेज़ी: K. Kelappan ; जन्म- 24 अगस्त, 1889, कालीकट, केरल; मृत्यु- 7 अक्टूबर, 1971) केरल के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता, स्वतन्त्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। ये महात्मा गाँधी से बहुत प्रभावित थे। जब गाँधी जी ने 'असहयोग आन्दोलन' प्रारम्भ किया तो के. केलप्पन ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और आन्दोलन में कूद पड़े। वर्ष 1930 में 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' के समय गाँधी जी ने उन्हें प्रथम सत्याग्रही नामजद किया था। आज़ादी के बाद जब जे. बी. कृपलानी ने 'किसान मज़दूर प्रजा पार्टी' बनाई, तब के. केलप्पन पार्टी में सम्मिलित हो गए और फिर बाद में लोकसभा के सदस्य चुने गए।
जन्म तथा शिक्षा
के. केलप्पन का जन्म 24 अगस्त, 1889 ई. में केरल के कालीकट अथवा कोझीकोड ज़िले में हुआ था। अपनी स्नातक की शिक्षा उन्होंने 'मद्रास विश्वविद्यालय' से पूरी की। फिर वर्ष 1920 में के. केलप्पन क़ानून की शिक्षा ग्रहण करने के लिए 'मुम्बई विश्वविद्यालय' आ गए।
असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित
के. केलप्पन 'मुम्बई विश्वविद्यालय में क़ानून की पढ़ाई कर ही रहे थे कि इसी समय महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन आरंभ कर दिया। देश भक्त और मातृभूमि से प्रेम करने वाले के. केलप्पन ने भी विश्वविद्यालय छोड़ दिया और आन्दोलन में योगदान देने के लिए उसमें सम्मिलित हो गए। इसके बाद उनका पूरा जीवन राष्ट्र और समाज की सेवा में ही बीता।[1]
गिरफ़्तारी
बाद के दिनों में के. केलप्पन मुम्बई से मालाबार चले गए। उस समय 'असहयोग आन्दोलन' और ख़िलाफ़त आन्दोलन' बड़े जोर-शोर से साथ-साथ चल रहे थे। आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ़्तार होने वाले के. केलप्पन केरल के पहले व्यक्ति थे। 1930 ई. के 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने उन्हें केरल से प्रथम सत्याग्रही नामजद किया था। इसके बाद 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान के. केलप्पन गिरफ़्तार किये गए और तीन वर्ष तक जेल में बंद रहे।
वायकोम सत्याग्रह
समाज सुधार और छूआछूत निवारण के क्षेत्र में भी के. केलप्पन अग्रणी व्यक्ति थे। मंदिर प्रवेश के 'वायकोम सत्याग्रह' में उनके ऊपर पुलिस की मार भी पड़ी। गुरुवायुर के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर में हरिजनों के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी, इसके लिए उन्होंने 10 महीने तक सत्याग्रह का नेतृत्व किया और अंत में भूख हड़ताल पर बैठे गए। महात्मा गाँधी के कहने पर के. कलप्पन ने भूख हड़ताल तोड़ दी। इसके बाद ही मद्रास की सरकार ने मंदिर प्रवेश का क़ानून बना दिया।[1]
लोकसभा सदस्य
वर्ष 1951 में जब आचार्य जे. बी. कृपलानी ने 'किसान मज़दूर प्रजा पार्टी' बनाई तो के. केलप्पन भी उसमें सम्मिलित हो गए और फिर वे 1952 में प्रथम लोकसभा के सदस्य चुने गए। 1957 के बाद उन्होंने अपना सारा जीवन सर्वोदय के काम में लगाया।
निधन
राष्ट्रभक्त के. केलप्पन का निधन 7 अक्टूबर, 1971 में हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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