"राजेन्द्र कुमार पचौरी": अवतरणों में अंतर
(''''राजेन्द्र कुमार पचौरी''' (अंग्रेज़ी: ''Rajendra Kumar Pachauri'', ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''राजेन्द्र कुमार पचौरी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Rajendra Kumar Pachauri'', जन्म- [[20 अगस्त]], [[1940]], [[नैनीताल]], [[उत्तराखण्ड]]) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित प्रसिद्ध पर्यावरणविद | {{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | ||
|चित्र=Rajendra-Kumar-Pachauri.gif | |||
|चित्र का नाम=राजेन्द्र कुमार पचौरी | |||
|पूरा नाम=राजेन्द्र कुमार पचौरी | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=[[20 अगस्त]], [[1940]] | |||
|जन्म भूमि=[[नैनीताल]], [[उत्तराखण्ड]] | |||
|मृत्यु=[[13 फ़रवरी]], [[2020]] | |||
|मृत्यु स्थान=[[नई दिल्ली]], [[भारत]] | |||
|अभिभावक= | |||
|पति/पत्नी=सरोज पचौरी | |||
|संतान= | |||
|गुरु= | |||
|कर्म भूमि=[[भारत]] | |||
|कर्म-क्षेत्र= | |||
|मुख्य रचनाएँ= | |||
|विषय= | |||
|खोज= | |||
|भाषा= | |||
|शिक्षा= | |||
|विद्यालय=उत्तरी केरोलिना राज्य विश्वविद्यालय और ला मार्टिनियर, [[लखनऊ]] | |||
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्म विभूषण]] ([[2001]]), नोबेल शांति पुरस्कार ([[2007]]) | |||
|प्रसिद्धि=पर्यावरणविद | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|अन्य जानकारी=[[भारत सरकार]] की अनेक समितियों में भी राजेन्द्र पचौरी की सहभागिता रही है। बतौर सदस्य राजेन्द्र पचौरी [[ऊर्जा]] के क्षेत्र में दक्षता रखने वाले पैनल में शामिल किए गए थे। यह पैनल ऊर्जा मंत्रालय ने गठित किया था। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}}'''राजेन्द्र कुमार पचौरी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Rajendra Kumar Pachauri'', जन्म- [[20 अगस्त]], [[1940]], [[नैनीताल]], [[उत्तराखण्ड]]; मृत्यु- [[13 फ़रवरी]], [[2020]], [[नई दिल्ली]]) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित प्रसिद्ध पर्यावरणविद थे। उन्हें अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल्बर्ट ऑर्नल्ड (अल) गोर गुनियर के साथ संयुक्त रूप से [[2007]] का 'नोबेल शांति पुरस्कार' मिला था। उल्लेखनीय है कि जहाँ अल गोर को यह पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण-संवर्द्धन हेतु उनके व्यक्तिगत प्रयासों के लिए मिला, वहीं डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी को यह पुरस्कार व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला। अल गोर के साथ संयुक्त रूप से यह पुरस्कार इंटर-गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) नामक [[संयुक्त राष्ट्र|संयुक्त राष्ट्र संघ]] की संस्था को मिला था। डॉ. पचौरी इस संस्था के अध्यक्ष रहे। लेकिन इससे उनको मिले पुरस्कार का महत्त्व कम नहीं हो जाता। युद्ध में मोर्चे पर तो सिपाही लड़ते हैं, लेकिन जीत का श्रेय व्यूह रचना करने वाले सेनापति को मिलता है, ऐसा ही डॉ. पचौरी के विषय में कहा जा सकता है।<ref name="a">{{cite web |url=http://www.gyanipandit.com/rajendra-k-pachauri-in-hindi/ |title=राजेंद्र कुमार पचौरी जीवनी |accessmonthday=10 अगस्त |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ज्ञानी पण्डित |language=हिंदी }}</ref> | |||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी का जन्म [[भारत]] में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर [[उत्तराखण्ड]] के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल [[नैनीताल]] में 20 अगस्त, 1940 को हुआ था। राजेन्द्र पचौरी ने डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, [[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]] से अपने कैरियर का आगाज किया। यहां उन्होंने कई वरिष्ट प्रबंधकीय पदों पर कार्य को बखूबी अंजाम दिया। पचौरी जब भारत लौटे तो उनका अनुभव भी उनके साथ था। भारत लौटकर पचौरी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज, [[हैदराबाद]] में बतौर सीनियर फैकल्टी मेम्बर नियुक्त हुए। [[1975]] से [[1979]] तक आप यहीं कार्यरत रहे। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि हैदराबाद के इसी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज में देश के वरिष्ट नौकरशाहों (आईएएस) को प्रशिक्षित किया जाता है। | डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी का जन्म [[भारत]] में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर [[उत्तराखण्ड]] के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल [[नैनीताल]] में 20 अगस्त, 1940 को हुआ था। राजेन्द्र पचौरी ने डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, [[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]] से अपने कैरियर का आगाज किया। यहां उन्होंने कई वरिष्ट प्रबंधकीय पदों पर कार्य को बखूबी अंजाम दिया। पचौरी जब भारत लौटे तो उनका अनुभव भी उनके साथ था। भारत लौटकर पचौरी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज, [[हैदराबाद]] में बतौर सीनियर फैकल्टी मेम्बर नियुक्त हुए। [[1975]] से [[1979]] तक आप यहीं कार्यरत रहे। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि हैदराबाद के इसी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज में देश के वरिष्ट नौकरशाहों (आईएएस) को प्रशिक्षित किया जाता है। | ||
पंक्ति 5: | पंक्ति 44: | ||
#[[जुलाई]], 1979 से [[1981]] [[मार्च]] तक राजेन्द्र पचौरी कंसलटिंग एंड एप्लाइड रिसर्च डिविजन में डायरेक्टर रहे। | #[[जुलाई]], 1979 से [[1981]] [[मार्च]] तक राजेन्द्र पचौरी कंसलटिंग एंड एप्लाइड रिसर्च डिविजन में डायरेक्टर रहे। | ||
#[[अप्रैल]], [[1981]] में राजेन्द्र पचौरी ने टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टिट्यूट (टेरी) का कार्यभार बतौर डायरेक्टर संभाला। [[ऊर्जा]], [[पर्यावरण]], वन, बायो तकनिक तथा प्राकृतिक संपदाओं के अनुरक्षण के क्षेत्र में टेरी को महारत हासिल है। | #[[अप्रैल]], [[1981]] में राजेन्द्र पचौरी ने टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टिट्यूट (टेरी) का कार्यभार बतौर डायरेक्टर संभाला। [[ऊर्जा]], [[पर्यावरण]], वन, बायो तकनिक तथा प्राकृतिक संपदाओं के अनुरक्षण के क्षेत्र में टेरी को महारत हासिल है। | ||
#[[2001]] में पचौरी टेरी के शीर्ष यानी डायरेक्टर जनरल के पद पर पहुंच गए। इसी [[वर्ष]] [[भारत सरकार]] ने उनको उनकी उत्कृष्ट सेवाओं | #[[2001]] में पचौरी टेरी के शीर्ष यानी डायरेक्टर जनरल के पद पर पहुंच गए। इसी [[वर्ष]] [[भारत सरकार]] ने उनको उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए '[[पद्म विभूषण]]' से सम्मानित किया। | ||
#[[1988]] में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम तथा विश्व जलवायु संगठन ने आईपीसीसी की स्थापना की। राजेन्द्र पचौरी ने [[20 अप्रैल]], [[2002]] को इस संस्था के चेयरमैन का पदभार संभाला। | #[[1988]] में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम तथा विश्व जलवायु संगठन ने आईपीसीसी की स्थापना की। राजेन्द्र पचौरी ने [[20 अप्रैल]], [[2002]] को इस संस्था के चेयरमैन का पदभार संभाला। | ||
==उपलब्धियाँ== | ==उपलब्धियाँ== | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 54: | ||
*अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजेन्द्र पचौरी इंटरनेशनल सोलर एनर्जी सोसाइटी (आईएसईएस) तथा वर्ल्ड रिर्सोर्सिंग इंस्टीट्युट ऑन डेवलपिंग कंट्रीज से बतौर मेम्बर जुड़े रहे। | *अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजेन्द्र पचौरी इंटरनेशनल सोलर एनर्जी सोसाइटी (आईएसईएस) तथा वर्ल्ड रिर्सोर्सिंग इंस्टीट्युट ऑन डेवलपिंग कंट्रीज से बतौर मेम्बर जुड़े रहे। | ||
*इंटरनेशल एसोसिएशन फ़ॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स (आईएईई) वाशिंगटन, डी.सी. में पचौरी ने पहले प्रेसिडेंट तथा बाद में चेयरमैन का पदभार संभाला। | *इंटरनेशल एसोसिएशन फ़ॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स (आईएईई) वाशिंगटन, डी.सी. में पचौरी ने पहले प्रेसिडेंट तथा बाद में चेयरमैन का पदभार संभाला। | ||
*राजेन्द्र पचौरी [[1992]] से एशियन एनर्जी इंस्टीट्युट के प्रेजिडेंट भी हैं। | *राजेन्द्र पचौरी [[1992]] से एशियन एनर्जी इंस्टीट्युट के प्रेजिडेंट भी हैं।<ref name="a"/> | ||
[[भारत सरकार]] ने [[पर्यावरण]] के क्षेत्र में योगदान के लिए राजेन्द्र पचौरी को [[2001]] में '[[पद्म विभूषण]]' से नवाजा। इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में वारोलिना स्टेट विश्वविद्यालय में एमएस और पीएच डी की उपाधि लेने वाले राजेन्द्र पचौरी के ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र के कार्यों को देखते हुए [[संयुक्त राष्ट्र]] ने [[1994]] से [[1999]] तक उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया था। यही नहीं उनको [[14 जुलाई]], [[2006]] को जब [[फ़्राँस]] के राष्ट्रीय दिवस पर [[नई दिल्ली]] में कुछ चुनिंदा लोगों के साथ सम्मानित किया गया, तब [[भारत]] में फ़्राँस के राजदूत डी गिरार्ड ने कहा कि "आप केवल विज्ञानी ही नहीं, बल्कि एक जिंदादिल इनसान भी हैं।" पचौरी की इस जिंदादिली ने उन्हें और उनकी अध्यक्षता वाली संस्था को इस मुकाम तक पहुंचाया कि विश्व शांति के 'नोबल पुरस्कार' में भारत की हिस्सेदारी भी जुड़ गई। पर्यावरण संतुलन पर कार्य करने वाले राजेन्द्र पचौरी का मानना है कि "ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के कारण विश्व भर में कोई सुरक्षित नहीं है।" [[जून]], [[2007]] में एक वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में पर्यावरणीय असंतुलन पर लगाम लगाने के लिए भी पचौरी ने कई सामान्य सुझाव दिए थे, जिन पर अमल कर हम बढ़ते असंतुलन को कम कर सकते हैं। इन सुझावों में बिजली-पानी के कम प्रयोग तक का सुझाव भी शमिल था।<ref>{{cite web |url=http://hindi.indiawaterportal.org/content/%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%B2-%E0%A4%AA%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%80 |title=नोबेल पचौरी |accessmonthday=10 अगस्त |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=इण्डिया वॉटर पोर्टल |language= हिन्दी}}</ref> | |||
==भारतीय समितियों में सहभागिता== | |||
[[भारत सरकार]] की अनेक समितियों में भी राजेन्द्र पचौरी की सहभागिता रही। बतौर सदस्य राजेन्द्र पचौरी [[ऊर्जा]] के क्षेत्र में दक्षता रखने वाले पैनल में शामिल किए गए। यह पैनल ऊर्जा मंत्रालय ने गठित किया था। इसके अतिरिक्त दिल्ली विजन–कोर प्लानिंग ग्रुप, भारत सरकार के एडवाइजरी बोर्ड ऑन एनर्जी, नेशनल एनवायरनमेंटल काउंसिल तथा ऑयल इंडस्ट्री रिस्ट्रक्चरिंग ग्रुप के मेम्बर भी पचौरी रहे। ट्राइरीम साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में उन्हें शामिल किया गया था। इंडिया इंटरनेशल सेंटर की एक्जीक्यूटिव कमेटी के वे [[1985]] से सदस्य हैं। [[1987]] से इंडिया हैबिटेट सेंटर की गवर्निंग काउंसिल का मेम्बर होने के साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज के कोर्ट ऑफ़ गवर्नर्स के भी वे सदस्य हैं। | |||
राजेन्द्र पचौरी को [[1999]] में को दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे हेरिटेज फाउंडेशन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। [[2001]] में उन्हें [[प्रधानमंत्री]] के प्रति उत्तरदायी इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल का सदस्य बनाया गया। [[10 दिसंबर]], [[2007]] को '[[नोबेल पुरस्कार]]' प्राप्त करते समय उनकी विनम्रता दर्शनीय थी। राजेन्द्र पचौरी ने आईपीसीसी के लिए 'नोबेल पुरस्कार' ग्रहण करते हुए कहा था कि- "इस पुरस्कार के मिलने से जलवायु परिवर्तन की ज्वलंत समस्या की ओर समूचे विश्व का ध्यान आकृष्ट होगा।" | |||
==मृत्यु== | |||
डॉ. राजेंद्र पचौरी का निधन [[13 फ़रवरी]], [[2020]] को हुआ। 'द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट' (टेरी) के संस्थापक और पूर्व प्रमुख रहे राजेंद्र पचौरी का लंबी बीमारी के बाद हुआ। उन्हें [[हृदय]] की पुरानी परेशानी को लेकर राजधानी [[दिल्ली]] के एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{नोबेल पुरस्कार}} | {{पद्म विभूषण}}{{नोबेल पुरस्कार}} | ||
[[Category:नोबेल_पुरस्कार]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व | [[Category:पद्म विभूषण]][[Category:नोबेल_पुरस्कार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:समाचार जगत]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
07:23, 15 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
राजेन्द्र कुमार पचौरी
| |
पूरा नाम | राजेन्द्र कुमार पचौरी |
जन्म | 20 अगस्त, 1940 |
जन्म भूमि | नैनीताल, उत्तराखण्ड |
मृत्यु | 13 फ़रवरी, 2020 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली, भारत |
पति/पत्नी | सरोज पचौरी |
कर्म भूमि | भारत |
विद्यालय | उत्तरी केरोलिना राज्य विश्वविद्यालय और ला मार्टिनियर, लखनऊ |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म विभूषण (2001), नोबेल शांति पुरस्कार (2007) |
प्रसिद्धि | पर्यावरणविद |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | भारत सरकार की अनेक समितियों में भी राजेन्द्र पचौरी की सहभागिता रही है। बतौर सदस्य राजेन्द्र पचौरी ऊर्जा के क्षेत्र में दक्षता रखने वाले पैनल में शामिल किए गए थे। यह पैनल ऊर्जा मंत्रालय ने गठित किया था। |
राजेन्द्र कुमार पचौरी (अंग्रेज़ी: Rajendra Kumar Pachauri, जन्म- 20 अगस्त, 1940, नैनीताल, उत्तराखण्ड; मृत्यु- 13 फ़रवरी, 2020, नई दिल्ली) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित प्रसिद्ध पर्यावरणविद थे। उन्हें अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल्बर्ट ऑर्नल्ड (अल) गोर गुनियर के साथ संयुक्त रूप से 2007 का 'नोबेल शांति पुरस्कार' मिला था। उल्लेखनीय है कि जहाँ अल गोर को यह पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण-संवर्द्धन हेतु उनके व्यक्तिगत प्रयासों के लिए मिला, वहीं डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी को यह पुरस्कार व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला। अल गोर के साथ संयुक्त रूप से यह पुरस्कार इंटर-गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) नामक संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था को मिला था। डॉ. पचौरी इस संस्था के अध्यक्ष रहे। लेकिन इससे उनको मिले पुरस्कार का महत्त्व कम नहीं हो जाता। युद्ध में मोर्चे पर तो सिपाही लड़ते हैं, लेकिन जीत का श्रेय व्यूह रचना करने वाले सेनापति को मिलता है, ऐसा ही डॉ. पचौरी के विषय में कहा जा सकता है।[1]
परिचय
डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी का जन्म भारत में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल में 20 अगस्त, 1940 को हुआ था। राजेन्द्र पचौरी ने डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी, उत्तर प्रदेश से अपने कैरियर का आगाज किया। यहां उन्होंने कई वरिष्ट प्रबंधकीय पदों पर कार्य को बखूबी अंजाम दिया। पचौरी जब भारत लौटे तो उनका अनुभव भी उनके साथ था। भारत लौटकर पचौरी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज, हैदराबाद में बतौर सीनियर फैकल्टी मेम्बर नियुक्त हुए। 1975 से 1979 तक आप यहीं कार्यरत रहे। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि हैदराबाद के इसी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज में देश के वरिष्ट नौकरशाहों (आईएएस) को प्रशिक्षित किया जाता है।
उच्च पदों पर कार्य
- जुलाई, 1979 से 1981 मार्च तक राजेन्द्र पचौरी कंसलटिंग एंड एप्लाइड रिसर्च डिविजन में डायरेक्टर रहे।
- अप्रैल, 1981 में राजेन्द्र पचौरी ने टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टिट्यूट (टेरी) का कार्यभार बतौर डायरेक्टर संभाला। ऊर्जा, पर्यावरण, वन, बायो तकनिक तथा प्राकृतिक संपदाओं के अनुरक्षण के क्षेत्र में टेरी को महारत हासिल है।
- 2001 में पचौरी टेरी के शीर्ष यानी डायरेक्टर जनरल के पद पर पहुंच गए। इसी वर्ष भारत सरकार ने उनको उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया।
- 1988 में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम तथा विश्व जलवायु संगठन ने आईपीसीसी की स्थापना की। राजेन्द्र पचौरी ने 20 अप्रैल, 2002 को इस संस्था के चेयरमैन का पदभार संभाला।
उपलब्धियाँ
उपरोक्त के अतिरिक्त भी राजेन्द्र पचौरी की अनेक उपलब्धियां रही हैं-
- वेस्ट वजीर्निया यूनिवर्सिटी के मिनरल एंड एनर्जी रिसोर्सेज कॉलेज में रिसोर्स इकोनॉमिक्स विभाग के विजिटिंग प्रोफेसर रहे।
- रिसोर्स सिस्टम इंस्टीट्युट, ईस्ट–वेस्ट सेंटर, अमेरिका में सीनियर विजिटिंग फैलो रहे।
- विश्व बैंक, वाशिंगटन, डी.सी. में विजिटिंग रिसर्च फैलो रहे। राजेन्द्र पचौरी 1994 से 1999 तक इस कार्य से जुड़े रहे।
- 2000 में पचौरी येल यूनिर्वसिटी, अमेरिका के स्कूल ऑफ़ एनवायरमेंटल एंड फ़ॉरेस्ट स्टडीज से बतौर फैलो जुड़े।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजेन्द्र पचौरी इंटरनेशनल सोलर एनर्जी सोसाइटी (आईएसईएस) तथा वर्ल्ड रिर्सोर्सिंग इंस्टीट्युट ऑन डेवलपिंग कंट्रीज से बतौर मेम्बर जुड़े रहे।
- इंटरनेशल एसोसिएशन फ़ॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स (आईएईई) वाशिंगटन, डी.सी. में पचौरी ने पहले प्रेसिडेंट तथा बाद में चेयरमैन का पदभार संभाला।
- राजेन्द्र पचौरी 1992 से एशियन एनर्जी इंस्टीट्युट के प्रेजिडेंट भी हैं।[1]
भारत सरकार ने पर्यावरण के क्षेत्र में योगदान के लिए राजेन्द्र पचौरी को 2001 में 'पद्म विभूषण' से नवाजा। इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में वारोलिना स्टेट विश्वविद्यालय में एमएस और पीएच डी की उपाधि लेने वाले राजेन्द्र पचौरी के ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र के कार्यों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 1994 से 1999 तक उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया था। यही नहीं उनको 14 जुलाई, 2006 को जब फ़्राँस के राष्ट्रीय दिवस पर नई दिल्ली में कुछ चुनिंदा लोगों के साथ सम्मानित किया गया, तब भारत में फ़्राँस के राजदूत डी गिरार्ड ने कहा कि "आप केवल विज्ञानी ही नहीं, बल्कि एक जिंदादिल इनसान भी हैं।" पचौरी की इस जिंदादिली ने उन्हें और उनकी अध्यक्षता वाली संस्था को इस मुकाम तक पहुंचाया कि विश्व शांति के 'नोबल पुरस्कार' में भारत की हिस्सेदारी भी जुड़ गई। पर्यावरण संतुलन पर कार्य करने वाले राजेन्द्र पचौरी का मानना है कि "ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के कारण विश्व भर में कोई सुरक्षित नहीं है।" जून, 2007 में एक वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में पर्यावरणीय असंतुलन पर लगाम लगाने के लिए भी पचौरी ने कई सामान्य सुझाव दिए थे, जिन पर अमल कर हम बढ़ते असंतुलन को कम कर सकते हैं। इन सुझावों में बिजली-पानी के कम प्रयोग तक का सुझाव भी शमिल था।[2]
भारतीय समितियों में सहभागिता
भारत सरकार की अनेक समितियों में भी राजेन्द्र पचौरी की सहभागिता रही। बतौर सदस्य राजेन्द्र पचौरी ऊर्जा के क्षेत्र में दक्षता रखने वाले पैनल में शामिल किए गए। यह पैनल ऊर्जा मंत्रालय ने गठित किया था। इसके अतिरिक्त दिल्ली विजन–कोर प्लानिंग ग्रुप, भारत सरकार के एडवाइजरी बोर्ड ऑन एनर्जी, नेशनल एनवायरनमेंटल काउंसिल तथा ऑयल इंडस्ट्री रिस्ट्रक्चरिंग ग्रुप के मेम्बर भी पचौरी रहे। ट्राइरीम साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में उन्हें शामिल किया गया था। इंडिया इंटरनेशल सेंटर की एक्जीक्यूटिव कमेटी के वे 1985 से सदस्य हैं। 1987 से इंडिया हैबिटेट सेंटर की गवर्निंग काउंसिल का मेम्बर होने के साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज के कोर्ट ऑफ़ गवर्नर्स के भी वे सदस्य हैं।
राजेन्द्र पचौरी को 1999 में को दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे हेरिटेज फाउंडेशन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2001 में उन्हें प्रधानमंत्री के प्रति उत्तरदायी इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल का सदस्य बनाया गया। 10 दिसंबर, 2007 को 'नोबेल पुरस्कार' प्राप्त करते समय उनकी विनम्रता दर्शनीय थी। राजेन्द्र पचौरी ने आईपीसीसी के लिए 'नोबेल पुरस्कार' ग्रहण करते हुए कहा था कि- "इस पुरस्कार के मिलने से जलवायु परिवर्तन की ज्वलंत समस्या की ओर समूचे विश्व का ध्यान आकृष्ट होगा।"
मृत्यु
डॉ. राजेंद्र पचौरी का निधन 13 फ़रवरी, 2020 को हुआ। 'द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट' (टेरी) के संस्थापक और पूर्व प्रमुख रहे राजेंद्र पचौरी का लंबी बीमारी के बाद हुआ। उन्हें हृदय की पुरानी परेशानी को लेकर राजधानी दिल्ली के एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 राजेंद्र कुमार पचौरी जीवनी (हिंदी) ज्ञानी पण्डित। अभिगमन तिथि: 10 अगस्त, 2016।
- ↑ नोबेल पचौरी (हिन्दी) इण्डिया वॉटर पोर्टल। अभिगमन तिथि: 10 अगस्त, 2016।
संबंधित लेख