"बासुरि गमि नारैनि गमि -कबीर": अवतरणों में अंतर

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बासुरि गमि नारैनि गमि, नाँ सुपिनंतर गंम।
बासुरि गमि नारैनि गमि, नाँ सुपिनंतर गंम।
कबीर तहाँ विलंबिया, जहाँ छाँह नहिं धंम॥
कबीर तहाँ विलम्बिया, जहाँ छाँह नहिं धंम॥
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09:08, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

बासुरि गमि नारैनि गमि -कबीर
संत कबीरदास
संत कबीरदास
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

बासुरि गमि नारैनि गमि, नाँ सुपिनंतर गंम।
कबीर तहाँ विलम्बिया, जहाँ छाँह नहिं धंम॥

अर्थ सहित व्याख्या

कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! मैं उस द्वन्द्वातीत अवस्था में स्थित हूँ जहाँ न दिन की पहुँच है, न रात की, जो स्वप्नों में भी नहीं जाना जा सकता और न जहाँ छाया है, न धूप।



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