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==निधन==
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मोहन धारिया ने [[14 अक्टूबर]], [[2013]] को सुबह [[पुणे]] के पूना हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली। मोहन धारिया एक लंबी बीमारी से पीड़ित थे। मोहन धरिया अपने पीछे पत्नी शशिकला, बेटे सुशील और रविन्द्र और बेटी साधना श्रॉफ को पीछे छोड़ गए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक 88 वर्षीय मोहन धारिया किडनी में समस्या से पिछले एक साल से जूझ रहे थे।  
मोहन धारिया ने [[14 अक्टूबर]], [[2013]] को सुबह [[पुणे]] के पूना हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली। मोहन धारिया एक लंबी बीमारी से पीड़ित थे। मोहन धरिया अपने पीछे पत्नी शशिकला, बेटे सुशील और रविन्द्र और बेटी साधना श्रॉफ को पीछे छोड़ गए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक़ 88 वर्षीय मोहन धारिया किडनी में समस्या से पिछले एक साल से जूझ रहे थे।  





09:58, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

मोहन धारिया
मोहन धारिया
मोहन धारिया
पूरा नाम मोहन धारिया
जन्म 14 फ़रवरी, 1925
जन्म भूमि महाद, महाराष्ट्र
मृत्यु 14 अक्टूबर, 2013 (88 वर्ष)
मृत्यु स्थान पुणे, महाराष्ट्र
पति/पत्नी शशिकला धारिया
संतान सुशील और रविन्द्र (पुत्र) और साधना श्रॉफ (पुत्री)
पार्टी कांग्रेस, भारतीय लोकदल
पद वाणिज्य मंत्री, उपाध्यक्ष (योजना आयोग)
शिक्षा वकालत
विद्यालय आईएलएस लॉ कॉलेज
पुरस्कार-उपाधि 'पद्म विभूषण', 'इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार'
अन्य जानकारी मोहन धारिया की संस्था 'वनराई' ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्य कर रही है। वनों को बचाने, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने और जल संरक्षण के क्षेत्र में सफलतापूर्वक कार्य करते हुए यह संस्था ग्रामीणों के शहर की ओर पलायन रोकने में सफल रही है।

मोहन धारिया (अंग्रेज़ी: Mohan Dharia, जन्म: 14 फ़रवरी, 1925; मृत्यु: 14 अक्टूबर, 2013) भारत के पूर्व केंद्रीय मंत्री, वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता थे। लोकसभा और राज्यसभा के दो बार सदस्य रह चुके मोहन धारिया राज्य स्तरीय व राष्ट्र स्तरीय राजनीति का जाना-पहचाना नाम है। वह 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में राज्य मंत्री रहे, लेकिन 1975 में आपात काल लागू होने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके बाद वे भारतीय लोकदल में शामिल हो गए थे और 1977 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के कार्यकाल में वाणिज्य मंत्री बने थे। मोहन धारिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे थे।

जीवन परिचय

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाद शहर में 14 फ़रवरी, 1925 को जन्मे धारिया ने पुणे जाने से पहले यहीं अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उन्होंने आईएलएस लॉ कॉलेज से अपनी कानूनी पढ़ाई पूरी की। राजनीति में पांच दशक के सक्रिय जीवन के बाद वह एक समर्पित पर्यावरणविद बन गए और किसानों के अधिकारों के लिए काम किया।

समाज सेवा

मोहन धारिया लगभग 50 वर्षों तक सार्वजनिक जीवन से जुड़े रहे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोहन धारिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे है। मोहन धारिया की संस्था वनराई ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्य कर रही है। वनों को बचाने, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने और जल संरक्षक के क्षेत्र में सफलतापूर्वक कार्य करते हुए यह संस्था ग्रामीणों के शहर की ओर पलायन रोकने में सफल रही है। कई अन्य सम्मानों के साथ धारिया को 2005 में उनके सामाजिक कार्यो के लिए देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मोहन धारिया को इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से सम्मानित किया था। यह पुरस्कार देश और समाज के लिए काम करने वाले लोगों को दिया जाता है।

सम्मान और पुरस्कार

निधन

मोहन धारिया ने 14 अक्टूबर, 2013 को सुबह पुणे के पूना हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली। मोहन धारिया एक लंबी बीमारी से पीड़ित थे। मोहन धरिया अपने पीछे पत्नी शशिकला, बेटे सुशील और रविन्द्र और बेटी साधना श्रॉफ को पीछे छोड़ गए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक़ 88 वर्षीय मोहन धारिया किडनी में समस्या से पिछले एक साल से जूझ रहे थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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