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'''सुरुज बाई खांडे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Suruj Bai Khande'', जन्म- [[12 जून]], [[1949]]; मृत्यु- [[10 मार्च]], [[2018]]) [[छत्तीसगढ़]] की | '''सुरुज बाई खांडे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Suruj Bai Khande'', जन्म- [[12 जून]], [[1949]]; मृत्यु- [[10 मार्च]], [[2018]]) [[छत्तीसगढ़]] की प्रसिद्ध भरतरी गायिका थीं। उन्हें [[1986]]-[[1987]] में सोवियत रूस में हुए 'भारत महोत्सव' का हिस्सा बनने का मौका मिला था। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उन्हें 'दाऊ रामचंद्र देशमुख' और 'स्व. देवदास बंजारे स्मृति पुरस्कार' भी मिला। | ||
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सुरुज बाई खांडे का जन्म 12 जून, 1949 में बिलासपुर जिले के एक सामान्य ग्रामीण [[परिवार]] में हुआ था। उन्होंने महज सात साल की उम्र में अपने नाना रामसाय धृतलहरे से भरथरी, ढोला-मारू, चंदैनी जैसी लोक कथाओं को सीखना शुरू कर दिया था। | सुरुज बाई खांडे का जन्म 12 जून, 1949 में बिलासपुर जिले के एक सामान्य ग्रामीण [[परिवार]] में हुआ था। उन्होंने महज सात साल की उम्र में अपने नाना रामसाय धृतलहरे से भरथरी, ढोला-मारू, चंदैनी जैसी लोक कथाओं को सीखना शुरू कर दिया था। |
18:22, 11 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण
सुरुज बाई खांडे (अंग्रेज़ी: Suruj Bai Khande, जन्म- 12 जून, 1949; मृत्यु- 10 मार्च, 2018) छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध भरतरी गायिका थीं। उन्हें 1986-1987 में सोवियत रूस में हुए 'भारत महोत्सव' का हिस्सा बनने का मौका मिला था। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उन्हें 'दाऊ रामचंद्र देशमुख' और 'स्व. देवदास बंजारे स्मृति पुरस्कार' भी मिला।
परिचय
सुरुज बाई खांडे का जन्म 12 जून, 1949 में बिलासपुर जिले के एक सामान्य ग्रामीण परिवार में हुआ था। उन्होंने महज सात साल की उम्र में अपने नाना रामसाय धृतलहरे से भरथरी, ढोला-मारू, चंदैनी जैसी लोक कथाओं को सीखना शुरू कर दिया था।
प्रथम गायन
इन्हें सबसे पहले रतनपुर मेले में गायन का मौका मिला। इसके बाद 'मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला परिषद' ने उनके इस हुनर को पहचाना और उन्हें 1986-1987 में सोवियत रूस में हुए 'भारत महोत्सव' का हिस्सा बनने का मौका मिला।
सुरुज बाई खांडे को एसईसीएल में आर्गनाइजर की नौकरी मिली थी, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व मोटर साइकिल से दुर्घटना होने की वजह से नौकरी कर पाना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने 2009 में ही रिटायरमेंट ले लिया।
मृत्यु
10 मार्च, 2018 को बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में 69 वर्ष की उम्र में सुरुज बाई खांडे की मृत्यु हो गई।
सम्मान एवं पुरुस्कार
2000-2001 में सुरुज बाई खांडे को मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 'देवी अहिल्या बाई सम्मान' से नवाजा था। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 'दाऊ रामचंद्र देशमुख' और 'स्व. देवदास बंजारे स्मृति पुरस्कार' भी मिले।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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