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'''डॉ. योगी ऐरन''' [[देहरादून]], [[उत्तराखंड]] में रहने वाले एक प्लास्टिक सर्जन हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन आग में झुलसे लोगों व जंगली जानवरों के लिए समर्पित कर दिया है। पहाड़ों की तरफ रह रहे लोगों में कई ऐसे लोग हैं जिनका चेहरा आग के कारण झुलस जाता है, शरीर विकृत होता है। उनके पास ऐसे में प्लास्टिक सर्जरी के इलावा कोई ओर विकल्प नहीं होता है। ऐसे में [[अमेरिका]] में रह चुके डॉ. योगी ऐरन उनके लिए किसी भगवान से कम नही हैं। डॉ. योगी ऐरन ने [[1966]] से [[1984]] तक अमेरिका में प्रेक्टिस की है। जिस कारण काफी डॉक्टर उनके साथ जुड़े हुए हैं। उन्हें [[2020]] में '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया है।
'''डॉ. योगी ऐरन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dr. Yogi Aran'') [[देहरादून]], [[उत्तराखंड]] में रहने वाले एक प्लास्टिक सर्जन हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन आग में झुलसे लोगों व जंगली जानवरों के लिए समर्पित कर दिया है। पहाड़ों की तरफ रह रहे लोगों में कई ऐसे लोग हैं जिनका चेहरा आग के कारण झुलस जाता है, शरीर विकृत होता है। उनके पास ऐसे में प्लास्टिक सर्जरी के इलावा कोई ओर विकल्प नहीं होता है। ऐसे में [[अमेरिका]] में रह चुके डॉ. योगी ऐरन उनके लिए किसी भगवान से कम नही हैं। डॉ. योगी ऐरन ने [[1966]] से [[1984]] तक अमेरिका में प्रेक्टिस की है। जिस कारण काफी डॉक्टर उनके साथ जुड़े हुए हैं। उन्हें [[2020]] में '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया है।
==परिचय==
==परिचय==
डॉ. योगी एरेन ने [[1967]] में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, [[लखनऊ]] से स्नातक किया। प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, [[पटना]] से वर्ष [[1971]] में प्लास्टिक सर्जरी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। डॉ. योगी ने लखनऊ और [[देहरादून]] के सरकारी अस्पतालों और प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना में काम किया। उन्होंने मियामी में डॉ. आर मिलार्ड की देखरेख में अपना हुनर तराशा। [[सितंबर]] [[2006]] में डॉ. ऐरन और उनके बेटे डॉ. कुश ने देहरादून में अमेरिका की संस्था रीसर्ज की मदद से पहला कैंप किया। तब से अब तक वह कई लोगों को नया जीवन दे चुके हैं।
डॉ. योगी एरेन ने [[1967]] में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, [[लखनऊ]] से स्नातक किया। प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, [[पटना]] से वर्ष [[1971]] में प्लास्टिक सर्जरी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। डॉ. योगी ने लखनऊ और [[देहरादून]] के सरकारी अस्पतालों और प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना में काम किया। उन्होंने मियामी में डॉ. आर मिलार्ड की देखरेख में अपना हुनर तराशा। [[सितंबर]] [[2006]] में डॉ. ऐरन और उनके बेटे डॉ. कुश ने देहरादून में अमेरिका की संस्था रीसर्ज की मदद से पहला कैंप किया। तब से अब तक वह कई लोगों को नया जीवन दे चुके हैं।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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डॉ. योगी ऐरन

डॉ. योगी ऐरन (अंग्रेज़ी: Dr. Yogi Aran) देहरादून, उत्तराखंड में रहने वाले एक प्लास्टिक सर्जन हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन आग में झुलसे लोगों व जंगली जानवरों के लिए समर्पित कर दिया है। पहाड़ों की तरफ रह रहे लोगों में कई ऐसे लोग हैं जिनका चेहरा आग के कारण झुलस जाता है, शरीर विकृत होता है। उनके पास ऐसे में प्लास्टिक सर्जरी के इलावा कोई ओर विकल्प नहीं होता है। ऐसे में अमेरिका में रह चुके डॉ. योगी ऐरन उनके लिए किसी भगवान से कम नही हैं। डॉ. योगी ऐरन ने 1966 से 1984 तक अमेरिका में प्रेक्टिस की है। जिस कारण काफी डॉक्टर उनके साथ जुड़े हुए हैं। उन्हें 2020 में 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया है।

परिचय

डॉ. योगी एरेन ने 1967 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से स्नातक किया। प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना से वर्ष 1971 में प्लास्टिक सर्जरी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। डॉ. योगी ने लखनऊ और देहरादून के सरकारी अस्पतालों और प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना में काम किया। उन्होंने मियामी में डॉ. आर मिलार्ड की देखरेख में अपना हुनर तराशा। सितंबर 2006 में डॉ. ऐरन और उनके बेटे डॉ. कुश ने देहरादून में अमेरिका की संस्था रीसर्ज की मदद से पहला कैंप किया। तब से अब तक वह कई लोगों को नया जीवन दे चुके हैं।

देहरादून-मसूरी रोड स्थित कुठालगेट के पास उनकी अपनी पुश्तैनी जमीन है। वे यहीं रहना पसंद करते हैं। यहां पर उन्होंने छोटा सा क्लीनिक बनाया है। डॉ. योगी कहते हैं कि 'इस उम्र में उन्हें धन-दौलत की नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और सुकून की जरूरत है। लोगों की मुस्कान और दुआ के रूप में यह शांति भरपूर मिल रही है'। उनका कहना है कि 'वह अब तक जो भी कर रहे हैं, अब उससे भी बेहतर करना है'।[1]

सेवा-भाव

सन 1971 में डॉ. योगी एरेन जब पटना मेडिकल कॉलेज से प्लास्टिक सर्जरी का कोर्स करके निकले तो वे शादीशुदा थे और दो बच्चे भी थे। तब भारत में प्लास्टिक सर्जरी कोई जानता भी नहीं था। माता-पिता के पास परिवार छोड़ा और नौकरी ढूंढ़ना शुरू की। 1973 में देहरादून के जिला अस्पताल में प्लास्टिक सर्जन के रूप में काम मिला। अस्पताल प्रशासन ने उनसे अन्य काम करने को कहा तो डॉ. योगी एरेन ने इनकार कर दिया। उनकी बहन अमेरिका में डॉक्टर थीं। 1982 में बहन के पास गए। लौटकर डॉ. एरन ने पिताजी से पैसे लेकर मसूरी के आगे मालसी में खेती की जमीन खरीदी। तब तक 4 बच्चे हो चुके थे। फिर पत्नी को भी देहरादून ले आए। किराए से रहने लगे। घर के हॉल को ही ऐसा बनाया कि सर्जरी कर सके। कई लोग पैसे नहीं दे पाते थे।[2] पिता की ओर से डॉ. एरन को मदद मिलती थी। धीरे-धीरे हालात सुधरते गए। यहां जले हुए लोगों की सर्जरी करते हैं और बिना कोई फीस लिए।

एक साल में 500 फ्री सर्जरी

डॉ. योगी एरेन अलग अलग गांवों में जाकर कैंप लगाते हैं। कई जगहों पर 15-15 दिन तक कैंप चलता हैं। एक साल में तकरीबन 500 के करीब मुफ्त सर्जरी करते हैं। जिसमें उनका एक असिस्टेंट पिछले 25 साल से उनका साथ दे रहा है। अब असिस्टेंट का बेटा भी उनके साथ ही है। इस कैंप में अमेरिका से 15 डॉक्टर की टीम भी आकर भाग लेती है, जो कि सबका फ्री इलाज करती है।[3]

डॉ. योगी एरेन हिमालय की तरफ के उन गांवों को चुनते है यहां पर मेडिकल की सुविधा आसानी से नहीं पहुंचती है। इन गांवों में वह डॉक्टर्स के साथ मिलकर रोज की तकरीबन 10 सर्जरियां करते हैं। उनका मानना है कि लोगों की ओर से दी जाने वाली दुआ व उनके चेहरे पर आने वाली मुस्कान ही उनके लिए सबसे बड़ी कमाई है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. डॉ. योगी ऐरन को पद्मश्री (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 04 नवंबर, 2020।
  2. डॉ. योगी एरन, प्लास्टिक सर्जन (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 04 नवंबर, 2020।
  3. ऐसे 2 डॉक्टर जो फ्री इलाज के साथ मरीजों को बनाते है आत्मनिर्भर (हिंदी) nari.punjabkesari.in। अभिगमन तिथि: 04 नवंबर, 2020।

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