"वनराज भाटिया": अवतरणों में अंतर
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}}'''वनराज भाटिया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vanraj Bhatia'',जन्म- [[31 मई]], [[1927]]; मृत्यु- [[7 मई]], [[2021]]) भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार थे। उन्होंने [[अमिताभ बच्चन]] और [[ऋषि कपूर]] के अअभिनय से सजी फ़िल्म 'अजूबा' का संगीत दिया था। 'तमस', 'अंकुर', 'मंथन', 'मंडी', 'जुनून' और 'कलयुग' जैसी फिल्मों में भी वनराज भाटिया ने [[संगीत]] दिया। वनराज भाटिया को [[1988]] में गोविंद निहलानी की फिल्म 'तमस' में सर्वश्रेष्ठ संगीत के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और [[2012]] में उन्हें [[पद्मश्री]] से नवाजा गया। उन्होंने 60 के दशक में कई मशहूर ऐड फिल्मों का संगीत देते हुए अपने संगीतमय कॅरियर की शुरुआत की थी। | |||
==जन्म== | ==जन्म== | ||
संगीत निर्देशक वनराज भाटिया का जन्म 31 मई, 1927 को बॉम्बे, ब्रिटिश भारत में हुआ था। उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 2012 में उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है। सन [[1989]] में [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]] से सम्मानित वनराज भाटिया ने [[लंदन]] स्थित रॉयल एकेडमी ऑफ म्यूजिक से वेस्टर्न क्लासिकल | संगीत निर्देशक वनराज भाटिया का जन्म 31 मई, 1927 को बॉम्बे, ब्रिटिश भारत में हुआ था। उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 2012 में उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है। सन [[1989]] में [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]] से सम्मानित वनराज भाटिया ने [[लंदन]] स्थित रॉयल एकेडमी ऑफ म्यूजिक से वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक की शिक्षा ली थी। | ||
==कॅरियर== | |||
70 और 80 के दशक की समानांतर फिल्मों में सुमधुर [[संगीत]] देने के लिए वनराज भाटिया मशहूर रहे। एक समय सिनेमा जगत में उनका ऊंचा नाम था और उनके द्वारा संगीतबद्ध किए गए गाने खूब पसंद किए जाते हैं। कॅरियर की ऊंचाइयों को छूने वाले वनराज भाटिया ने जीवन के अंतिम वर्ष आर्थिक संकट भी देखा। गायकों, गीतकारों और संगीतकार के हितों का ख्याल रखने वाली 'इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसायटी' (आईपीआरेस) की ओर से भी उनकी आर्थिक मदद की गई थी। | |||
साल [[1974]] में रिलीज हुई [[श्याम बेनेगल]] निर्देशित फिल्म 'अंकुर' बतौर संगीतकार वनराज भाटिया की पहली फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने 'मंथन', '36 चौरंगीलेन', 'निशांत', 'भूमिका', 'कलयुग', 'जुनून', 'मंडी', 'हिप हिप हुर्रे', 'आघात' 'मोहन जोशी हाजिर हो' 'पेस्टनजी', 'खामोश', 'जाने भी दो यारों' जैसी फिल्मों में बतौर संगीतकार काम किया। कई फिल्मों में वनराज भाटिया ने पार्श्व संगीत दिया भी था। 'अजूबा', 'दामिनी' और 'परदेस' जैसी मुख्यधाराओं की फिल्मों से भी वह जुड़े रहे। | |||
==पुरस्कार व सम्मान== | |||
*वनराज भाटिया को फिल्म 'तमस' ([[1988]]) के लिए बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। | |||
*इसके बाद उन्हें [[1989]] में [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया। | |||
*साल [[2012]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें चौथे सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया था। | |||
==आर्थिक तंगी== | ==आर्थिक तंगी== | ||
वनराज भाटिया अपने जीवन के अंत समय में आर्थिक तंगी से | वनराज भाटिया अपने जीवन के अंत समय में आर्थिक तंगी से गुजरे। [[हिंदी]] फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता [[आमिर ख़ान]] ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा था कि "यह बताते हुए खुशी हो रही है कि म्यूजिक कंपोजर वनराज भाटिया की जिंदगी पर किताब लिखी जाएगी। किताब को खालिद मोहम्मद लिखेंगे। यह किताब मेरे दोस्त दलीप ताहिल की पहल पर लिखी जा रही है"। वनराज भाटिया घुटने में तकलीफ की समस्या से ग्रस्त थे। सुनने की क्षमता कम हो रही थी और धीरे-धीरे उनकी याददाश्त भी कमजोर होती जा रही थी। आमिर ख़ान से पहले वनराज भाटिया की मदद के लिए अभिनेता [[कबीर बेदी]] ने लोगों से अपील की थी कि वे वनराज की मदद करें। वहीं निर्देशक [[श्याम बेनेगल]] भी यह अपील कर चुके थे। वनराज भाटिया अपनी ज़िंदगीभर की कमाई साल [[2000]]की शुरुआत में स्टॉक ट्रेडिंग में गंवा बैठे थे। | ||
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07:34, 8 मई 2021 के समय का अवतरण
वनराज भाटिया
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पूरा नाम | वनराज भाटिया |
जन्म | 31 मई, 1927 |
जन्म भूमि | मुम्बई, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 7 मई, 2021 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | हिंदी सिनेमा |
मुख्य फ़िल्में | 'अजूबा', 'तमस', 'अंकुर', 'मंथन', 'मंडी', 'जुनून', 'निशांत', 'भूमिका', 'हिप हिप हुर्रे' और 'कलयुग' आदि। |
पुरस्कार-उपाधि | संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1989) |
प्रसिद्धि | संगीतकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | साल 1974 में रिलीज हुई श्याम बेनेगल निर्देशित फिल्म 'अंकुर' बतौर संगीतकार वनराज भाटिया की पहली फिल्म थी। |
वनराज भाटिया (अंग्रेज़ी: Vanraj Bhatia,जन्म- 31 मई, 1927; मृत्यु- 7 मई, 2021) भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार थे। उन्होंने अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर के अअभिनय से सजी फ़िल्म 'अजूबा' का संगीत दिया था। 'तमस', 'अंकुर', 'मंथन', 'मंडी', 'जुनून' और 'कलयुग' जैसी फिल्मों में भी वनराज भाटिया ने संगीत दिया। वनराज भाटिया को 1988 में गोविंद निहलानी की फिल्म 'तमस' में सर्वश्रेष्ठ संगीत के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और 2012 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। उन्होंने 60 के दशक में कई मशहूर ऐड फिल्मों का संगीत देते हुए अपने संगीतमय कॅरियर की शुरुआत की थी।
जन्म
संगीत निर्देशक वनराज भाटिया का जन्म 31 मई, 1927 को बॉम्बे, ब्रिटिश भारत में हुआ था। उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 2012 में उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है। सन 1989 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित वनराज भाटिया ने लंदन स्थित रॉयल एकेडमी ऑफ म्यूजिक से वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक की शिक्षा ली थी।
कॅरियर
70 और 80 के दशक की समानांतर फिल्मों में सुमधुर संगीत देने के लिए वनराज भाटिया मशहूर रहे। एक समय सिनेमा जगत में उनका ऊंचा नाम था और उनके द्वारा संगीतबद्ध किए गए गाने खूब पसंद किए जाते हैं। कॅरियर की ऊंचाइयों को छूने वाले वनराज भाटिया ने जीवन के अंतिम वर्ष आर्थिक संकट भी देखा। गायकों, गीतकारों और संगीतकार के हितों का ख्याल रखने वाली 'इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसायटी' (आईपीआरेस) की ओर से भी उनकी आर्थिक मदद की गई थी।
साल 1974 में रिलीज हुई श्याम बेनेगल निर्देशित फिल्म 'अंकुर' बतौर संगीतकार वनराज भाटिया की पहली फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने 'मंथन', '36 चौरंगीलेन', 'निशांत', 'भूमिका', 'कलयुग', 'जुनून', 'मंडी', 'हिप हिप हुर्रे', 'आघात' 'मोहन जोशी हाजिर हो' 'पेस्टनजी', 'खामोश', 'जाने भी दो यारों' जैसी फिल्मों में बतौर संगीतकार काम किया। कई फिल्मों में वनराज भाटिया ने पार्श्व संगीत दिया भी था। 'अजूबा', 'दामिनी' और 'परदेस' जैसी मुख्यधाराओं की फिल्मों से भी वह जुड़े रहे।
पुरस्कार व सम्मान
- वनराज भाटिया को फिल्म 'तमस' (1988) के लिए बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था।
- इसके बाद उन्हें 1989 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- साल 2012 में भारत सरकार ने उन्हें चौथे सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान 'पद्मश्री' से सम्मानित किया था।
आर्थिक तंगी
वनराज भाटिया अपने जीवन के अंत समय में आर्थिक तंगी से गुजरे। हिंदी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता आमिर ख़ान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा था कि "यह बताते हुए खुशी हो रही है कि म्यूजिक कंपोजर वनराज भाटिया की जिंदगी पर किताब लिखी जाएगी। किताब को खालिद मोहम्मद लिखेंगे। यह किताब मेरे दोस्त दलीप ताहिल की पहल पर लिखी जा रही है"। वनराज भाटिया घुटने में तकलीफ की समस्या से ग्रस्त थे। सुनने की क्षमता कम हो रही थी और धीरे-धीरे उनकी याददाश्त भी कमजोर होती जा रही थी। आमिर ख़ान से पहले वनराज भाटिया की मदद के लिए अभिनेता कबीर बेदी ने लोगों से अपील की थी कि वे वनराज की मदद करें। वहीं निर्देशक श्याम बेनेगल भी यह अपील कर चुके थे। वनराज भाटिया अपनी ज़िंदगीभर की कमाई साल 2000की शुरुआत में स्टॉक ट्रेडिंग में गंवा बैठे थे।
मृत्यु
हिन्दी सिनेमा के जाने माने संगीतकार वनराज भाटिया का निधन 7 मई, 2021 को हुआ। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे और 94 साल की उम्र में मुंबई के नेपियनसी रोड स्थित घर में उन्होंने तकरीबन 8.30 बजे अंतिम सांस ली।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- तंगहाली में गुजर रहा पद्मश्री से सम्मानित वनराज भाटिया का जीवन
- बर्तन बेचकर गुज़ारा करने वाले वनराज भाटिया की सबसे बड़ी मदद का ऐलान आमिर खान ने किया
- संगीतकार वनराज भाटिया के जीवन पर लिखी जाएगी किताब
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