"कल्याण सिंह": अवतरणों में अंतर

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'''कल्याण सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kalyan Singh'') एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, [[राजस्थान]] के वर्तमान [[राज्यपाल]] एवं [[उत्तर प्रदेश]] के पूर्व [[मुख्यमंत्री]] हैं। कल्याण सिंह पूर्व में [[हिमाचल प्रदेश]] के राज्यपाल भी रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर बाबरी मस्जिद विध्वंस में उनका कार्यकाल विवादास्पद रहा। कल्याण सिंह जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। कल्याण सिंह सितम्बर 1997 से नवम्बर 1999 तक पुनः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। कल्याण सिंह ने 4 सितम्बर 2014 को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। उन्हें जनवरी 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।<ref>{{cite web |url=https://www.patrika.com/topic/kalyan-singh/ |title=कल्याण सिंह |accessmonthday=21 फ़रवरी |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=पत्रिका डॉट कॉम|language=हिंदी }}</ref>  
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को [[उत्तर प्रदेश]] के अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ। उनकी पत्नी का नाम रामवती है। कल्याण सिंह के एक पुत्र एक पुत्री है। कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह राजू भैया [[भारतीय जनता पार्टी]] के एटा से सांसद हैं।  
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी, 1932 को [[उत्तर प्रदेश]] के अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ। उनका तालुक लोधी समुदाय से था।उनके [[पिता]] का नाम तेजपाल सिंह लोधी एवं [[माता]] का नाम सीता देवी था। सन [[1952]] में कल्याण सिंह ने रामवती देवी से शादी की। इस दंपति से एक बेटे (राजवीर सिंह) और एक बेटी (प्रभा वर्मा) का जन्म हुआ। कल्याण सिंह हिंदू राष्ट्रवादी [[राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ]] के एक स्वयंसेवक थे। स्कूल में रहते हुए ही वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बन गए थे। कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह और पोते संदीप सिंह भी राजनेता और [[भारतीय जनता पार्टी]] के सदस्य हैं।<ref name="pp">{{cite web |url=https://shubhamsirohi.com/kalyan-singh-biography-in-hindi/ |title=कल्याण सिंह का जीवन परिचय|accessmonthday=27 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=shubhamsirohi.com |language=हिंदी}}</ref>
==राजनीतिक परिचय==
==राजनीतिक परिचय==
कल्याण सिंह 24 जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। 1993 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अतरौली और कासगंज से विधायक निर्वाचित हुये। चुनावों में [[भारतीय जनता पार्टी|भाजपा]] सबसे बड़े दल के रूप में उभरा लेकिन [[मुलायम सिंह यादव]] के नेतृत्व में समाजवादी-बहुजन समाज पार्टी ने गठबन्धन सरकार बनायी। विधान सभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने। कल्याण सिंह 21 सितम्बर 1997 से 12 नवम्बर 1999 तक पुनः उत्तर प्रदेश के दुबारा मुख्यमंत्री बने। 21 अक्टूबर 1997 को [[बहुजन समाज पार्टी]] (बसपा) ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कल्याण सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के सम्पर्क में थे और उन्होंने तुरन्त शीघ्रता से नयी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का घटन किया और 21 विधायकों का समर्थन दिलाया। इसके लिए उन्होंने नरेश अग्रवाल को ऊर्जा विभाग का कार्यभार सौंपा। दिसम्बर 1999 में कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और जनवरी 2004 में पुनः भाजपा से जुड़े। 2004 के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में [[लोकसभा]] चुनाव लड़ा। 2009 में उन्होंने पुनः भाजपा को छोड़ दिया और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये।
कल्याण सिंह [[24 जून]] [[1991]] में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये [[6 दिसम्बर]] [[1992]] को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। [[1993]] के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में वह अतरौली और कासगंज से विधायक निर्वाचित हुये। चुनावों में [[भारतीय जनता पार्टी|भाजपा]] सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, लेकिन [[मुलायम सिंह यादव]] के नेतृत्व में समाजवादी-बहुजन समाज पार्टी ने गठबन्धन सरकार बनायी। विधान सभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने।
====राज्यपाल====
कल्याण सिंह ने 4 सितम्बर 2014 को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। कल्याण सिंह ने 28 जनवरी 2015 से 12 अगस्त 2015 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला।<ref>{{cite web |url=https://www.notedlife.com/hi/Kalyan-Singh-biography-in-hindi |title=कल्याण सिंह जीवन परिचय |accessmonthday=21 फ़रवरी |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=NotedLife|language=हिंदी }}</ref>
 


कल्याण सिंह [[21 सितम्बर]] [[1997]] से [[12 नवम्बर]] [[1999]] तक पुनः उत्तर प्रदेश के दुबारा मुख्यमंत्री बने। [[21 अक्टूबर]] [[1997]] को [[बहुजन समाज पार्टी]] (बसपा) ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कल्याण सिंह पहले से ही [[कांग्रेस]] विधायक नरेश अग्रवाल के सम्पर्क में थे और उन्होंने तुरन्त शीघ्रता से नयी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का घटन किया और 21 विधायकों का समर्थन दिलाया। इसके लिए उन्होंने नरेश अग्रवाल को ऊर्जा विभाग का कार्यभार सौंपा। [[दिसम्बर]] [[1999]] में कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और [[जनवरी]] [[2004]] में पुनः भाजपा से जुड़े। [[2004]] के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में [[लोकसभा]] चुनाव लड़ा। [[2009]] में उन्होंने पुनः भाजपा को छोड़ दिया और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये।
==हमेशा से ही सुर्खियों में==
कल्‍याण सिंह अपने लंबे राजनीतिक जीवन में अक्सर सुर्खियों में रहे। मस्जिद विध्वंस मामले में अदालत में लंबी सुनवाई चली। इस बीच वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। राजस्थान के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सितंबर 2019 में वह [[लखनऊ]] लौटे और फिर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे का सामना किया और अदालत ने [[सितंबर 2020]] में उनके समेत 31 आरोपियों को बरी कर दिया।<ref name="rr">{{cite web |url=https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/politics/kalyan-singh-emerged-as-a-prominent-hindu-leader-after-the-demolition-of-babri-masjid/articleshow/85524948.cms |title=बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद प्रमुख हिन्दू नेता के रूप में उभरे थे कल्याण सिंह|accessmonthday=27 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=navbharattimes.indiatimes.com |language=हिंदी}}</ref>
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कल्‍याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री रह चुके बालेश्वर त्यागी ने '''जो याद रहा''' शीर्षक से एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने कल्‍याण सिंह की प्रशासनिक दक्षता और दूरदर्शिता से जुड़े कई संस्मरण लिखे हैं। कल्‍याण सिंह ने [[मुख्यमंत्री]] रहते हुए अफसरों को सही काम करने के लिए पूरी छूट दी थी।<ref name="rr"/>
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==राज्यपाल==
कल्याण सिंह ने [[4 सितम्बर]] [[2014]] को [[राजस्थान]] के [[राज्यपाल]] पद की शपथ ली। उन्होंने [[28 जनवरी]] [[2015]] से [[12 अगस्त]] [[2015]] तक [[हिमाचल प्रदेश]] के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला।<ref>{{cite web |url=https://www.notedlife.com/hi/Kalyan-Singh-biography-in-hindi |title=कल्याण सिंह जीवन परिचय |accessmonthday=21 फ़रवरी |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=NotedLife|language=हिंदी }}</ref>
==मृत्यु==
लंबे समय से बीमार चल रहे कल्याण सिंह जी का [[21 अगस्त]], [[2021]] को 89 साल की उम्र में [[लखनऊ]] के 'संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान' (एसजीपीजीआई) में निधन हो हुआ। उन्हें [[4 जुलाई]], 2021 को संक्रमण और बेहोशी के बाद भर्ती किया गया था। इससे पहले राम मनोहर लोहिया ऑफ मेडिकल साइंस में उनका इलाज चल रहा था। यहाँ के डॉक्टरों ने अनुसार उनको गुर्दों की बीमारी थी, हालाँकि बाद में जहां डॉक्टरों को गुर्दे की समस्या का संदेह था। बाद में उनका ब्लड प्रेसर खतरनाक रूप से बढ़ गया। ख़राब हालत के कारण उनको तुरंत संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती करा दिया गया था। 20 जुलाई तक उनकी हालत बहुत नाजुक बनी हुई थी और उनका इमरजेंसी कक्ष में इलाज जारी था।


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06:51, 27 अगस्त 2021 के समय का अवतरण

कल्याण सिंह
कल्याण सिंह
कल्याण सिंह
पूरा नाम कल्याण सिंह
जन्म 5 जनवरी 1932
जन्म भूमि मढ़ौली गांव, अतरौली, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 21 अगस्त, 2021
मृत्यु स्थान लखनऊ, उत्तर प्रदेश
अभिभावक पिता- तेजपाल सिंह लोधी

माता- सीता देवी

पति/पत्नी रामवती
संतान पुत्र- राजवीर सिंह, पुत्री- प्रभा वर्मा
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

प्रथम बार- 24 जून, 1991 से 6 दिसम्बर, 1992 तक
दूसरी बार- 21 सितंबर, 1997 से 12 नवंबर, 1999 तक
राज्यपाल, राजस्थान- 4 सितंबर, 2014 से 8 सितम्बर, 2019 तक
राज्यपाल (अतिरिक्त प्रभार), हिमाचल प्रदेश- 28 जनवरी 2015 से 12 अगस्त 2015 तक

भाषा हिन्दी
विशेष बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर, 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था।
अन्य जानकारी कल्‍याण सिंह की सरकारों में मंत्री रहे बालेश्वर त्यागी ने जो याद रहा शीर्षक से एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने कल्‍याण सिंह की प्रशासनिक दक्षता और दूरदर्शिता से जुड़े कई संस्मरण लिखे हैं।
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कल्याण सिंह (अंग्रेज़ी: Kalyan Singh, जन्म- 5 जनवरी, 1932, अलीगढ़; मृत्यु- 21 अगस्त, 2021, लखनऊ) प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। उन्हें लोग 'बाबूजी' के नाम से भी सम्बोधित करते थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर बाबरी मस्जिद विध्वंस में उनका कार्यकाल विवादास्पद रहा। कल्याण सिंह जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। कल्याण सिंह सितम्बर 1997 से नवम्बर 1999 तक पुनः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 4 सितम्बर 2014 को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। उन्हें जनवरी 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था।[1]

जीवन परिचय

कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी, 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ। उनका तालुक लोधी समुदाय से था।उनके पिता का नाम तेजपाल सिंह लोधी एवं माता का नाम सीता देवी था। सन 1952 में कल्याण सिंह ने रामवती देवी से शादी की। इस दंपति से एक बेटे (राजवीर सिंह) और एक बेटी (प्रभा वर्मा) का जन्म हुआ। कल्याण सिंह हिंदू राष्ट्रवादी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक स्वयंसेवक थे। स्कूल में रहते हुए ही वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बन गए थे। कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह और पोते संदीप सिंह भी राजनेता और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं।[2]

राजनीतिक परिचय

कल्याण सिंह 24 जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। 1993 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में वह अतरौली और कासगंज से विधायक निर्वाचित हुये। चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, लेकिन मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी-बहुजन समाज पार्टी ने गठबन्धन सरकार बनायी। विधान सभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने।

कल्याण सिंह 21 सितम्बर 1997 से 12 नवम्बर 1999 तक पुनः उत्तर प्रदेश के दुबारा मुख्यमंत्री बने। 21 अक्टूबर 1997 को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कल्याण सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के सम्पर्क में थे और उन्होंने तुरन्त शीघ्रता से नयी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का घटन किया और 21 विधायकों का समर्थन दिलाया। इसके लिए उन्होंने नरेश अग्रवाल को ऊर्जा विभाग का कार्यभार सौंपा। दिसम्बर 1999 में कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और जनवरी 2004 में पुनः भाजपा से जुड़े। 2004 के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा। 2009 में उन्होंने पुनः भाजपा को छोड़ दिया और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये।

हमेशा से ही सुर्खियों में

कल्‍याण सिंह अपने लंबे राजनीतिक जीवन में अक्सर सुर्खियों में रहे। मस्जिद विध्वंस मामले में अदालत में लंबी सुनवाई चली। इस बीच वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। राजस्थान के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सितंबर 2019 में वह लखनऊ लौटे और फिर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे का सामना किया और अदालत ने सितंबर 2020 में उनके समेत 31 आरोपियों को बरी कर दिया।[3]

दो बार छोड़ी भाजपा

कल्‍याण सिंह ने दो बार भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ा। पहली बार 1999 में पार्टी नेतृत्व से मतभेद के चलते उन्होंने भाजपा छोड़ी। वर्ष 2004 में उनकी भाजपा में वापसी हुई। इसके बाद 2009 में कल्‍याण सिंह ने भाजपा के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया और आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा में अपमानित किया गया।

धुर विरोधी मुलायम से मिलाया हाथ

इस दौरान कल्‍याण सिंह ने 'राष्ट्रीय क्रांति पार्टी' बनाकर अपने विरोधी मुलायम सिंह यादव से भी हाथ मिलाने से परहेज नहीं किया।

अफसरों को सही काम करने की छूट

कल्‍याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री रह चुके बालेश्वर त्यागी ने जो याद रहा शीर्षक से एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने कल्‍याण सिंह की प्रशासनिक दक्षता और दूरदर्शिता से जुड़े कई संस्मरण लिखे हैं। कल्‍याण सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए अफसरों को सही काम करने के लिए पूरी छूट दी थी।[3]

नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने की वकालत

नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जब भाजपा नेताओं का एक खेमा लामबंद हो रहा था तो कल्‍याण सिंह ने मोदी की वकालत की। मोदी के नेतृत्व में 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया।

राज्यपाल

कल्याण सिंह ने 4 सितम्बर 2014 को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। उन्होंने 28 जनवरी 2015 से 12 अगस्त 2015 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला।[4]

मृत्यु

लंबे समय से बीमार चल रहे कल्याण सिंह जी का 21 अगस्त, 2021 को 89 साल की उम्र में लखनऊ के 'संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान' (एसजीपीजीआई) में निधन हो हुआ। उन्हें 4 जुलाई, 2021 को संक्रमण और बेहोशी के बाद भर्ती किया गया था। इससे पहले राम मनोहर लोहिया ऑफ मेडिकल साइंस में उनका इलाज चल रहा था। यहाँ के डॉक्टरों ने अनुसार उनको गुर्दों की बीमारी थी, हालाँकि बाद में जहां डॉक्टरों को गुर्दे की समस्या का संदेह था। बाद में उनका ब्लड प्रेसर खतरनाक रूप से बढ़ गया। ख़राब हालत के कारण उनको तुरंत संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती करा दिया गया था। 20 जुलाई तक उनकी हालत बहुत नाजुक बनी हुई थी और उनका इमरजेंसी कक्ष में इलाज जारी था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कल्याण सिंह (हिंदी) पत्रिका डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 21 फ़रवरी, 2018।
  2. कल्याण सिंह का जीवन परिचय (हिंदी) shubhamsirohi.com। अभिगमन तिथि: 27 अगस्त, 2021।
  3. 3.0 3.1 बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद प्रमुख हिन्दू नेता के रूप में उभरे थे कल्याण सिंह (हिंदी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 27 अगस्त, 2021।
  4. कल्याण सिंह जीवन परिचय (हिंदी) NotedLife। अभिगमन तिथि: 21 फ़रवरी, 2018।

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