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'''चंद्रकांता''' (जन्म- [[1938]], [[श्रीनगर]], [[जम्मू-कश्मीर]]) [[हिन्दी भाषा]] की आधुनिक कहानीकार व उपन्यासकार हैं। कश्मीरी पंडित परिवार से ताल्लुक रखने वाली चंद्रकांता जी की पहली कहानी वर्ष [[1966]] में 'खून के रेशे' शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। [[कश्मीर]] की आवोहवा में पली बढ़ी चंद्रकांता की रचनाओं में कश्मीरियत और कश्मीरी होने के दर्द, दोनों की झलक स्पष्ट रूप से मिलती है। | {{सूचना बक्सा साहित्यकार | ||
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चंद्रकांता (लेखिका)
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पूरा नाम | चंद्रकांता |
जन्म | 1938 |
जन्म भूमि | श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | कहानीकार, उपन्यासकार |
मुख्य रचनाएँ | 'हाशिए की इबारतें', 'ऐलान गली जिंदा है', 'अपने अपने कोणार्क' |
पुरस्कार-उपाधि | व्यास सम्मान (2005) |
नागरिकता | भारतीय |
अद्यतन | 12:27, 11 सितम्बर 2021 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
चंद्रकांता (जन्म- 1938, श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर) हिन्दी भाषा की आधुनिक कहानीकार व उपन्यासकार हैं। कश्मीरी पंडित परिवार से ताल्लुक रखने वाली चंद्रकांता जी की पहली कहानी वर्ष 1966 में 'खून के रेशे' शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। कश्मीर की आवोहवा में पली बढ़ी चंद्रकांता की रचनाओं में कश्मीरियत और कश्मीरी होने के दर्द, दोनों की झलक स्पष्ट रूप से मिलती है।
कृतियाँ
अब तक चंद्रकांता जी के 13 कहानी संग्रह, पाँच कथा संकलन, आठ उपन्यास, एक कविता संग्रह के अलावा दो संस्मरण प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-
- हाशिए की इबारतें'
- 'कथा सतीसर'
- 'पोशनूल की वापसी'
- 'ऐलान गली जिंदा है'
- 'यहाँ वितस्ता बहती'
- 'अपने अपने कोणार्क'
पुरस्कार व सम्मान
चंद्रकांता जी को 'व्यास सम्मान' (2005) सहित अन्य कई सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख