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==परिचय==
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==लेखन कार्य==
चित्रा मुद्गल के लेखन में जहाँ एक ओर निरंतर रीती होती जा रही मानवीय संवेदनाओं का चित्रण होता है, वहीं दूसरी ओर नए जमाने की रफ्तार में फँसी जिंदगी की मजबूरियों का चित्रण भी बड़े सलीके से हुआ है। इनके पात्र समाज के निम्न वर्ग के होते हैं और उनकी जिंदगी के समूचे दायरे के अंदर तक घुसकर अध्ययन करते हुये आगे बढ़ते है। इनकी रचनाओं में दलित शेाषित संवर्ग को विशेष स्थान मिला है। चित्रा मुद्गल के एक कथा संग्रह में सम्मिलित रचनाओं के बारे में [[उपेंद्रनाथ अश्क|अश्क जी]] ने ‘वर्तमान साहित्य’ के महाकथा विशेषांक में विस्तार से लिखते हुये [[कहानी]] के शीर्षक में कुछ परिवर्तन का सुझाव दिया तो चित्रा जी ने कहानी संग्रह की भूमिका में अपनी बात इस प्रकार कही थी- "...व्यवस्था से लड़ने को तत्पर किशोर मोट्या की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, खत्म होगी भी नहीं क्योंकि वह एक ही रूप में नहीं छला जा रहा। उसकी दैहिक और मानसिक भूख की नब्ज उनके हाथों में है। और वे जानते हैं कि किस समय उसे किस की भूख हो सकती है और क्या दें, दिखा असे बहलया, फुसलाया, इस्तेमाल किया जा सकता है।"<ref>{{cite web |url=http://gadyakosh.org/gk/%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%B2_/_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%AF |title=चित्रा मुद्गल/परिचय |accessmonthday=21 अक्टूबर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=gadyakosh.org|language=हिंदी}}</ref>
==प्रमुख कृतियाँ==
==प्रमुख कृतियाँ==
चित्रा मुद्गल के अब तक तेरह कहानी संग्रह, तीन उपन्यास, तीन बाल उपन्यास, चार बाल कथा संग्रह, पांच संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उपन्यास ‘आवां’ आठ भाषाओं में अनूदित तथा देश के 6 प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत है।
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;उपन्यास
 
* गिलिगडु
'''उपन्यास''' :  एक जमीन अपनी, आवां, गिलिगडु।
* एक ज़मीन अपनी  
 
* क्रूसेड
'''कहानी संग्रह''' :  भूख, जहर ठहरा हुआ, लाक्षागृह, अपनी वापसी, इस हमाम में, ग्यारह लंबी कहानियाँ, जिनावर, लपटें, जगदंबा बाबू गाँव आ रहे हैं, मामला आगे बढ़ेगा अभी, केंचुल, आदि-अनादि।
; बाल उपन्यास
 
* जीवक
'''लघुकला संकलन''' :  बयान।
* मनिमेखल्ये
 
* माधवीकन्नगी
'''कथात्मक रिपोर्ताज''' :  तहकानों में बंद।
==सम्मान और पुरस्कार==
 
[[2003]] में तेरहवां [[व्यास सम्मान]] पाने वाली देश की प्रथम लेखिका हैं। उन्हें ये सम्मान उपन्यास 'आवां' के लिए दिया गया। इसके अतिरिक्त चित्रा मुद्गल को [[उदयराज सिंह स्मृति पुरस्कार]] से सन् 2010 में सम्मानित किया गया।
'''लेख''' :  बयार उनकी मुठ्ठी में।
 
'''बाल उपन्यास''' :  जीवक, माधवी कन्नगी, मणिमेख।
 
'''नवसाक्षरों के लिए''' : जंगल।


'''बालकथा संग्रह''' :  दूर के ढोल, सूझ बूझ, देश-देश की लोक कथाएँ।


'''नाट्य रूपांतर''' : पंच परमेश्वर तथा अन्य नाटक, सद्गगति तथा अन्य नाटक, बूढ़ी काकी तथा अन्य नाटक।
==सम्मान और पुरस्कार==
चित्रा मुद्गल को उनके [[उपन्यास]] 'आवां' के लिए [[2003]] में '[[व्यास सम्मान]]' दिया गया था। वे तेरहवां 'व्यास सम्मान' पाने वाली देश की प्रथम लेखिका हैं। इसके अतिरिक्त उपन्यास 'आवां' के लिए चित्रा जी को [[इंग्लैंड]] का 'इन्दु शर्मा कथा सम्मान पुरस्कार' और दिल्ली अकादमी के 'हिन्दी साहित्यकार सम्मान पुरस्कार', सहित अनेक सम्मान भी प्राप्त हुये हैं। संप्रति [[दिल्ली]] में निवासित होकर वे सतत [[साहित्य]] सृजन में लगी हैं। चित्रा मुद्गल को '[[उदयराज सिंह स्मृति पुरस्कार]]' से सन [[2010]] में सम्मानित किया गया था।


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चित्रा मुद्गल
चित्रा मुद्गल
चित्रा मुद्गल
पूरा नाम चित्रा मुद्गल
जन्म 10 सितम्बर, 1943
जन्म भूमि चेन्नई, तमिलनाडु
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र कथा साहित्य
मुख्य रचनाएँ 'आवां', 'गिलिगडु', 'एक ज़मीन अपनी', 'जीवक', 'मणिमेख', 'दूर के ढोल', 'माधवी कन्नगी' आदि।
भाषा हिन्दी
पुरस्कार-उपाधि 'उदयराज सिंह स्मृति पुरस्कार' (2010), 'व्यास सम्मान' (2003)
प्रसिद्धि लेखिका
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी चित्रा मुद्गल का उपन्यास ‘आवां’ आठ भाषाओं में अनुदित हो चुका है तथा यह देश के 6 प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत है।
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इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

चित्रा मुद्गल (अंग्रेज़ी: Chitra Mudgal, जन्म- 10 सितम्बर, 1943, चैन्नई) आधुनिक हिंदी कथा साहित्य की बहुचर्चित और सम्मानित लेखिका हैं। उनके लेखन में जहाँ एक ओर मानवीय संवेदनाओं का चित्रण होता है, वहीं दूसरी ओर नए जमाने की रफ्तार में फँसी जिंदगी की मजबूरियों का चित्रण है। चित्रा मुद्गल को उनके उपन्यास 'आवां' के लिए 2003 में 'व्यास सम्मान' से सम्मानित किया गया था। उनका ये उपन्यास आठ भाषाओं में अनुवादित हो चुका है।

परिचय

चित्रा मुद्गल का जन्म 10 सितम्बर, 1944 को चेन्नई (तमिलनाडु) में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में स्थित निहाली खेड़ा और उच्च शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय में हुई। बकौल चित्रा मुद्गल, "विद्रोह, संघर्ष और कायरता, मनुष्य को ये सभी चीजें घर से वातावरण से ही मिलती हैं। मुझे भी घर के माहौल ने विद्रोही बनाया।" संयोग देखिए कि इसी विद्रोह ने चित्रा मुद्गल को रचना संसार की राह भी दिखाई। पहली कहानी स्त्री-पुरुष संबंधों पर थी, जो 1955 में प्रकाशित हुई।

लेखन कार्य

चित्रा मुद्गल के लेखन में जहाँ एक ओर निरंतर रीती होती जा रही मानवीय संवेदनाओं का चित्रण होता है, वहीं दूसरी ओर नए जमाने की रफ्तार में फँसी जिंदगी की मजबूरियों का चित्रण भी बड़े सलीके से हुआ है। इनके पात्र समाज के निम्न वर्ग के होते हैं और उनकी जिंदगी के समूचे दायरे के अंदर तक घुसकर अध्ययन करते हुये आगे बढ़ते है। इनकी रचनाओं में दलित शेाषित संवर्ग को विशेष स्थान मिला है। चित्रा मुद्गल के एक कथा संग्रह में सम्मिलित रचनाओं के बारे में अश्क जी ने ‘वर्तमान साहित्य’ के महाकथा विशेषांक में विस्तार से लिखते हुये कहानी के शीर्षक में कुछ परिवर्तन का सुझाव दिया तो चित्रा जी ने कहानी संग्रह की भूमिका में अपनी बात इस प्रकार कही थी- "...व्यवस्था से लड़ने को तत्पर किशोर मोट्या की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, खत्म होगी भी नहीं क्योंकि वह एक ही रूप में नहीं छला जा रहा। उसकी दैहिक और मानसिक भूख की नब्ज उनके हाथों में है। और वे जानते हैं कि किस समय उसे किस की भूख हो सकती है और क्या दें, दिखा असे बहलया, फुसलाया, इस्तेमाल किया जा सकता है।"[1]

प्रमुख कृतियाँ

चित्रा मुद्गल के अब तक तेरह कहानी संग्रह, तीन उपन्यास, तीन बाल उपन्यास, चार बाल कथा संग्रह, पांच संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उपन्यास ‘आवां’ आठ भाषाओं में अनूदित तथा देश के 6 प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत है। चित्रा जी कि प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं[2]-

उपन्यास : एक जमीन अपनी, आवां, गिलिगडु।

कहानी संग्रह : भूख, जहर ठहरा हुआ, लाक्षागृह, अपनी वापसी, इस हमाम में, ग्यारह लंबी कहानियाँ, जिनावर, लपटें, जगदंबा बाबू गाँव आ रहे हैं, मामला आगे बढ़ेगा अभी, केंचुल, आदि-अनादि।

लघुकला संकलन : बयान।

कथात्मक रिपोर्ताज : तहकानों में बंद।

लेख : बयार उनकी मुठ्ठी में।

बाल उपन्यास : जीवक, माधवी कन्नगी, मणिमेख।

नवसाक्षरों के लिए : जंगल।

बालकथा संग्रह : दूर के ढोल, सूझ बूझ, देश-देश की लोक कथाएँ।

नाट्य रूपांतर : पंच परमेश्वर तथा अन्य नाटक, सद्गगति तथा अन्य नाटक, बूढ़ी काकी तथा अन्य नाटक।

सम्मान और पुरस्कार

चित्रा मुद्गल को उनके उपन्यास 'आवां' के लिए 2003 में 'व्यास सम्मान' दिया गया था। वे तेरहवां 'व्यास सम्मान' पाने वाली देश की प्रथम लेखिका हैं। इसके अतिरिक्त उपन्यास 'आवां' के लिए चित्रा जी को इंग्लैंड का 'इन्दु शर्मा कथा सम्मान पुरस्कार' और दिल्ली अकादमी के 'हिन्दी साहित्यकार सम्मान पुरस्कार', सहित अनेक सम्मान भी प्राप्त हुये हैं। संप्रति दिल्ली में निवासित होकर वे सतत साहित्य सृजन में लगी हैं। चित्रा मुद्गल को 'उदयराज सिंह स्मृति पुरस्कार' से सन 2010 में सम्मानित किया गया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चित्रा मुद्गल/परिचय (हिंदी) gadyakosh.org। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2016।
  2. चित्रा मुद्गल (हिंदी) हिंदी समय। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

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